चार लोग – सबसे बड़ा रोग!! क्या कहेंगे लोग – हिंदी कहानी

सबसे बड़ा रोग, क्या कहेंगे लोग ?

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दूसरों की नज़रों में अच्छा बनने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते हैं, हम अपना पूरा जीवन ही इस वाक्य के लिए जी लेते हैं की – लोग क्या कहेंगे। यह अब तक मानव समाज में पाया गया सबसे बड़ा रोग हैं।

एक महिला का जन्मदिन था, एक पार्टी आयोजित की गई। पार्टी इसलिए आयोजित होनी चाहिए थी क़ि इस अवसर पर आनन्द उत्सव मानाया जा सके पर शायद यहाँ उद्देश्य कुछ अलग था। जान पहचान वालों में इज्जत का सवाल था।

सबकी पार्टीयो मे जाते हैं, हम नहीं करेंगे तो लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे ? पार्टी का निश्चय क्या हुआ, जैसे घर में तनाव शुरू हो गया। हर बात में मतभेद पति को कौन सी जगह पसन्द हैं तो पत्नी बोलती हैं जन्मदिन मेरा हैं या आपका बच्चे कुछ और ही कह रहे है।

हर बात में वही तनाव। खाने में क्या होगा ? किस-किस को बुलाना है ? कार्यक्रम कैंसे होगा? यह सब तय करने में न जाने कितनी बार झगड़ा हुआ। पति मन हीं मन बार-बार सोच रहा था पता नहीं किसने यह जन्मदिन पार्टी का सिस्टम बनाया था।

जिन-जिन को बुलाया गया था, वह भी कुछ कम नही थे। क्या पहनना हैं, गिफ्ट क्या देना है। मेरी बर्थडे पर उसने यह दिया था, न जाने कितनी तरह की उलझने। किसी का पति शाम को जल्दी नही आ पाया पत्नी तैयार होकर बैठी है। और गुस्सा कर रही है। किसी को कोई जरूरी काम छुट जाने का तनाव है।

चार लोग क्या कहेंगे, लोग क्या सोचेंगे हिंदी कहानी

अपनी इज्जत बचाने के लिए महिला के पति व बच्चो ने मिलकर एक कार उसको जन्मदिन पर तोहफे में दी। चार लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे, क्या कहेंगे मन ही मन महिलाए सोच रही थी देखों इनके घर में कितना अच्छा हे। एक दूसरे से कितना प्यार करते है ?

हमारे पति ने तो कभी इतना अच्छा तोहफा लाकर नहीं दिया। पार्टी समाप्त हुई सब लोग चले गये। घर पर सबके चहरों पर जो हंसी दिखाई दे रही थी पता नही कहां गायब हो गयी। जैसे कोई नकली मुखोटा लगा रखा था जो पार्टी खत्म होते ही उतार दिया गया।

पत्नी बोली कार ही देनी थी तो मेरी पसन्द की तो देते और नाम मेरा कर दिया और चलाएंगे सभी। कुछ लोगों को दुख ढूंढने में इतनी महारत हासिल हो जाती हैं की वे अच्छी से अच्छी बात में भी दुख ढूंढ लेंते है।

जब आप दुसरों को दिखाने के चक्कर में पड जाते हो तो यह नकलीपन बडा दुख देता है। हर समय यही चिंता खाये जाती हैं कि लोग क्या कहेंगे। अच्छे से अच्छे ख़ुशी के अवसर को दुःख में बदल देते हैं कि लोग क्या कहेंगे। इसलिए यह कहावत बन गयी हैं कि सबसे बडा रोग, क्या कहेंगे लोग?

हमारे जो भी कृत्य हैं, वह सब दूसरों क़ो दिखाने के लिए हैं। दुनिया कितनी दिखावटी हो गयी हैं, क़ोई अपने लिए नहीं जीता सब सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं क़ि लोग क्या कहेंगे। अब तो बदलो अपना जीवन छोड़ो इस बात को की लोग क्या कहेंगे।

हम अपनी पुरी जिंदगी दूसरे लोगों के चक्कर में बिता देतें हैं क़ि लोग क्या कहेंगे, वो क्या सोचेंगे। हम अपने में जीना तो भूल हीं गयें। सब कुछ दिखावटी हो गया हैं। और इस तरह हम अपने जीवन क़ो नर्क बनाते जातें हैं, जिंदगी दुःख से भर जाती हैं। अब आप हीं बताओ दोस्तों हम जिंदगी हीं दूसरों के लिए जीते हैं, तो फिर सुख हमें कैसे मिल सकता हैं। हमें तो इस बात क़ि फ़िक्र हैं क़ि लोग क्या कहेंगे।

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