Effects Of Global Warming On Animals
महीनों खाने का इंतज़ार –
ये ध्रूवीय मादा भालु कहीं महीनों से भुखी हैं । अपने भोज़न के लिये सील मछलीयों पर निर्भर हैं और बर्फ़ के जमने के इन्तज़ार क़र रही हैं । जब बर्फ़ जमेगी तब दुसरे छोर पर जाकर यह सीलो का शिकार क़र पायगी । Global Warming के चलते ध्रुवों की बर्फ़ तेज़ी से पिघल रही हैं, जिससें इन भालुओं के अस्तित्व पर भी संकट आ गया हैं ।
इंसानों के द्वारा होने वाले प्रदूषण जैसे उत्सर्जन प्रदूषण, व सेंकडों और भी कारण हैं जिससे Global Warming बढ़ गयी हैं। जिससे ध्रुव स्थित बर्फ़ पिघल रही हैं। इस कारण साल 2050 तक़ विश्व के दो-तिहाई ध्रूवीय भालु भी खत्म हो जाएंगे। दुनिया में इनकी लगभग 19 प्रजातीयां हैं, जिनमें से 13 अकेले Canada में पाई जाती हैं। विज्ञानिकों के मुताबिक, Global Warming के कारण इस शताब्दी के खत्म होते-होते पृथ्वी का Temperature 2-6 Degree Celsius तक बढ़ जायेगा ।
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घर को छोड़कर कहाँ जाएँ –
आर्थिक लाभ के लिये आंधाधुंध Jungle काटने से सभी पशु पक्षीयों की ज़िन्दगी पर ख़तरा पैदा होता जा रहा हैं । इसका सबसें बड़ा Example हैं, ताड़ के पौंधों का तेजी से विस्तार । इसका Use खाद्य तेल बनाने में होता हैं । इसके लिये Africa, Latin, America और Asia में Jungle काटकर ताड़ के पोधे लगाए जा रहे हैं । Indonesia और Malesia में भी बड़े स्तर पर ताड़ के पौधे लगाए जा रहे हैं ।
इससे Elephant, Lion और भी कही Wild Animals की रोज़ाना संख्या घट रही हैं । इंसानो के बेहद क़रीब Oronton ने इस दौरान तेजी से दम तोड़ा हैं । इनमें इंसानो की तरह 97 Percent तक एक़ जैसे ही DNA होते हैं । एक़ आंकड़े के हिसाब से पिछले 20 सालों में 80 percent Oronton खत्म हो चुके हैं । हर साल छः हजार Oronton हम इंसानो के लालच के वज़ह से मारे जा रहे हैं ।
घुसपैठ तो इंसानों ने की हैं –
शहरों में तेंदुए की घुसपैंठ और हमलो की घटनाए बढती जा रही हैं । एक़ आंकडे के हिसाब से हर साल देश के अन्दर तेंदुए के 100 से ज्यादा हमलें होते हैं। तेंदुए के हमलें के बाद इंसान भी जानवरों की तरह बरताव करने लगे हैं । इससे भी इनके व्यवहार में असामान्यता आईं हैं । अभी तक़ तेंदुए बकरी और कुत्तों को अपना शिकार बनाते थे, अब इनका शिकार बच्चे और महिलायें हो रही हैं ।
वन्य प्राणी विशेषज्ञ D.N.N Suman के अनुभव से Jungle खत्म होने की वज़ह से तेंदुए शहर और गांवों की तरफ़ पलायन क़र रहे हैं । चुंकि यह कही भी रह सकते हैं इसलिए अपने प्राकृतिक घर यानि Jungle खत्म होने से गांवो की तरफ़ आ रहे हैं। यही कारण हैं की तेंदुए की संख्या भी बढ रही हैं। आधिकारिक आंकडो के अनुसार देश में 12-14 हजार तेंदुए हैं ।
मौत का कारण बनता plastic –
हर साल 10 Lakh से ज्यादा समुद्री ज़ीव plastic कचरे की वज़ह से मारे जाते हैं । Polythene Plastic के टुकड़े केन जैसी हजारों चीजों को ये जीव भोज़न समझकर खा जाते हैं । जिससे ये इनके गले और पेट में फंस जाते हैं । हज़ारो Ton plastic नदीयों से होते हुए समुद्र में मिल रहा हैं, तो जहाज़ों से भी इसमें उडेला जा रहा हैं । एक अनुमान के हिसाब से समुद्र के हर वर्ग kilometer क्षेत्र में औसतन 46 हजार Plastic की चीजें तैर रही हैं ।
समुद्र में रहने वाले जीवों के अलावा हर साल 10 Lakh समुद्री पक्षी भी plastic की वज़ह से मारे जा रहे हैं । यह plastic जैविक तरीक़े से खत्म नहीं होता, जिससे सालों-साल पडा रहता हैं । तेल और अन्य प्रदूषक तत्व भी समुद्री जीव-जन्तुओं का काल बन रहे हैं । इसके लिए दोषी सिर्फ हम हैं ।
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