रूद्राक्ष का क्या महत्व है – Types of Rudraksha & Benefits in Hindi

Sending
User Review
0 (0 votes)

rudraksha in hindi

रूद्राक्ष का क्या महत्व है ?

Rudraksha in Hindi – हिन्दू धर्म में रूदाक्ष धारण को बहुत महत्व दिया जाता है। हिन्दू धर्मावलंबियों की मान्यता है कि इसके मूल भाग में ब्रह्मा, मध्य भाग में विष्णु और उसका मूख भगवान रूद्र अर्थात् शंकर होते है। आइये जाने रुद्राक्ष के फायदे और लाभ व रुद्राक्ष क्यों पहनते हैं। कई लोग इसके बारे में व इसको पहनने के पीछे जो विज्ञान है उसको नहीं जानते है, इसीलिए कई लोगो हमसे पूछते है की रुद्राक्षं के बारे में बताओ तो आप हम इस जानकारी के साथ आपको परिचित करवाने जा रहे हैं।

रुद्राक्ष के सारे बिन्दू सब देवता कहे गये है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक्युपंचर की पद्धति से कार्य करता है। इसे धारण करने से शरीर की रक्त संचार व्यवस्था सुचारु रुप से संचालित होती है। शक्ति और स्फूर्ति मिलती है। इसके साथ ही जो गृह दोष होते है वह भी इससे दूर होते हैं तो आइये आगे जाने रुद्राक्ष की जानकारी के बारे में।

Types Of Rudraksha in Hindi & Info

Rudraksha Ke Fayde Labh ?

-हिन्दू मान्यता के अनुसार विभिन्न प्रकार के रूद्राक्ष धारण करने से निम्न लाभ होता है-

  • एक मूखी – 1 mukhi rudraksha

एक मूखी रूद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति ब्रह्म हत्या जैसे पाप से मुक्ति मिल जाती है। इसका दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति पापमुक्त हो जाता है। एक मूखी गोल दाने वाला रूद्राक्ष केवल नेपाल में ही पाया जाता है। 

मंत्र जाप करने की विधि – मंत्र साधना कैसे करे

  • दो मूखी – 2 mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष शिव और शक्ति का दूसरा रूप माना गया है। इसे जगत का कारण बीज कहा जाता है। इससे गौ-वध जैसे पाप भी क्षीण हो जाते है। यह एक दूर्लभ वस्तु है। यह नेपाल में पाया जाता है।

  • तीन मूखी – 3 mukhi rudraksha

सत्व, रज और तम का स्वरुप माना जाता है। यह रूद्राक्ष इसे ब्रह्म विष्णु और शिव के रुप में महत्ता मिली हुई है। तीन मुखी रूद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान रखने वाला होता है।

  • चार मूखी- 4 mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष ब्रह्मा जी का दूसरा रूप माना गया है। कहा जाता है इसके धारण करने से मनुष्य को हत्या करने के पाप से भी मुक्ति मिल जाती है।

जानिये सिंहस्थ क्यों मनाया जाता हैं

  • पाँच मूखी – 5 Panch mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। इसको धारण करने से सभी प्रकार के पाप दूर होते है।

  • छः मूखी- 6 chah mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। इसको धारण करने से अनेक प्रकार के चर्मरोग, हृदय रोग तथा नैत्र रोग दूर होते है।

  • सात मूखी- 7 saat mukhi rudraksha

इस रूद्राक्ष को सात आवरणों का स्वरूप माना गया है। इसको धारण करने वालों को स्त्री सुख मिलता है।

जानिये क्या संकेत देते हैं सपने

  • आठ मूखी- 8 ashta mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष प्रथ्वी, जल, वायु, अग्नि, आकाश , सूर्य ओर चन्द्र स्वरूप माना गया है। इसको धारण करने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है।

रुद्राक्षं की जानकारी व फायदे

  • नौ मूखी- 9 mukhi rudraksha

नौ मूखी नव शक्ति का प्रतिक होता है। इसको धारण करने से व्यक्ति साक्षात नंवनाथ स्वरूप हो जाता है।

  • दस मूखी- 10 das mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष दशावतार मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, वामन, परषुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्की के स्वरुप का प्रतिक माना गया है। दस मूखी रूद्राक्ष धारण करने से दसों इन्द्रीयों से किये गये समस्त पाप मिट जाते है। इसके धारक को लोक सम्मान धन की प्राप्ति होती है। कलाकारों, नेताओं और समाज सेवकों को लिए ज्यादा उपयुक्त है।

  • ग्यारह मूखी- 11 mukhi rudraksha

इस रूद्राक्ष को एकादश महारूद्र वीर, भद्र आदि के स्वरुप को प्रतिबिम्ब माना गया है। इससे सारे कष्ट और पाप दूर हो जाते है। ऐसा कहा जाता हैं कि श्रद्धा और विश्वास पूर्वक इसको धारण करने वाली बांझ स्त्री भी गर्भावती हो जाती है। 

  • बारह मूखी- 12 barah mukhi rudraksha

इस रूद्राक्ष को सूर्य का प्रतिक स्वरूप माना गया है। जिसे साक्षात बारह ज्योर्तिलिंग मल्लिकार्जून, सोमनाथ, महांकाल, ओंकारेष्वर, बैजनाथ, भीमषंकर, रामेष्वर, नागेष्वर, विश्वेश्वर, त्रंयबकेष्वर, केदारेष्वर और भूवनेष्वर के स्वरुप का प्रतिक भी माना जाता है। इसे धारण करने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते है। मानसिक एवं शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते है।

क्या हमारे संत महात्मा, ऋषि-मुनि जो कहते हैं, क्या वह गलत है?

  • तेरह मूखी- 13 terah mukhi rudraksha

यह रूद्राक्ष विश्वेश्वर का दूसरा रुप माना गया है। कई लोगो द्वारा इसे इंद्र का स्वरुप भी माना गया है। इसको धारण करने से हर किसी को धन तथा मनोवांछित फलों की पूर्ति होती है। इस रूद्राक्ष को पूराणों में महाप्रतापी तथा तेजस्वी माना गया है।

  • चौदह मूखी- 14 mukhi rudraksha

इस रूद्राक्ष को भगवान भूवनेष्वर का स्वरुप माना गया है। यह चौदह विद्या, चौदह लोक, चौदह इन्द्र का प्रतीक स्वरुप भी है। इसे गले में ही पहना जाता है। शारीरिक , मानसिक, आर्थिक एवं पारिवारिक कष्टों का नाश इसे धारण करने से होता है।

  • गौरीशंकर रूद्राक्ष- gaurishankar rudraksha

दो जूडे रूद्राक्षों को पुराणों में गौरीशंकर रूद्राक्ष कहा गया है। यह रूद्राक्ष स्वयं भगवान शिव एवं शक्ति का स्वरुप है। इसे धारण करने से सभी प्रकार की कामनाऐं पूर्ण होती है, यह है गौरीशंकर रुद्राक्ष की जानकारी।

लेकिन यह एक दूर्लभ रूद्राक्ष है। एक मूखी रूद्राक्ष न मिलने की स्थिति में अगर यह रूद्राक्ष मिल जाये तो इसका भी उतना ही फल मिलता है। इसे पूजाघर में रखना फलदायक होता है। इसे सोमवार को शिवलिंग से स्पर्श कराकर “ओम नमः शिवाय” का जप करते हुए पहनने का विधान है।

तो यहां आपने जाना रुद्राक्ष के फायदे और लाभ के बारे में साथ ही एक मुखी, दो मुखी, तीन मुख, चार मुख, पांच मुखी, छह मुखी, सात मुखी, आठ मुखी, नो मुखी, दस मुखी, ग्यारह मुखी, बारह मुखी आदि सभी मुखी रुद्राक्ष पहने के मतलब व अर्थ के बारे में। Rudraksha in Hindi के बारे में अगर आपके पास और कोई जानकारी हो तो वह हमे भी जरूर बताये व निचे कमेंट बॉक्स में लिखे।

Leave a Reply