पंचतंत्र की कहानियो से हमे क्या शिक्षा मिलती है, पंचतंत्र की कहानी का सार क्या है। क्यों हमे यह कहानियां पढ़ना चाहिए आदि। इस बारे में और पंचतंत्र के महत्त्व के बारे में हम आपको पूरी जानकारी देंगे। पंचतंत्र की कहानी पंडित विष्णु शर्मा द्वारा लिखी गई थी यह करीबन 2000 साल पहले की बात है महिलारोग्य नामक नगर में राजा अमरशक्ति का शासन था। राजा की तीन पुत्र थे, तीनो मक्कार थे और राजा खुद ईमानदार, कुशल प्रशासक था लेकिन उन्हें चिंता थी की अगर ऐसा ही रहा और उनके पुत्रों में कोई बदलाव नहीं आया तो उनके राज्य का क्या होगा, आगे राज्य कैसे चलेगा।
- पंचतंत्र की कहानियों से शिक्षा मिलती है की कौन अपना है, कौन पराया है। दोस्त कौन होता है, शत्रु कौन होता है, कैसे जीवन जिया जाए और जीवन में कैसे-कैसे लोगों से टकराव होता है। इन टकराव में कैसे सूझ-बुझ से जिया जाए आदि यह पंचतंत्र की कहानियों का मूल उद्देश्य है।
राजा ने उनके पुत्रों को हर तरह से शिक्षा दिलवाई लेने उन मूर्खो को कोई फर्क नहीं पड़ा वह अज्ञानी के अज्ञानी ही रहे। राजा बड़े चिंतित रहते थे तभी एक दिन उनके दरबार के एक मंत्री ने उन्हें पंडित विष्णु शर्मा के बारे में बताया और कहाँ की वह बहुत ज्ञानी है और तीनो बेटों की शिक्षा के लिए वह सर्श्रेष्ठ रहेंगे।
राजा ने सोच विचार कर पंडित विष्णु शर्मा को बुलवाया और अपने तीनो पुत्रो को उनके साथ कर दिया और कहा कैसे भी इन्हे होश में लाओ और ज्ञान का मार्ग दिखाओ। राजा ने पंडित को 100 गांव परितोष के रूप में देने का वचन भी दिया लेकिन पंडित जी ने वह अस्वीकार करते हुए तीनो पुत्रों की चुनौती स्वीकार कर ली और वही राजा के सामने कहा की में बिना किसी उपहार के इनको ठीक कर दूंगा।
पंडित विष्णु शर्मा ज्ञानी थे, उन्हें पता था की ऐसे यह तीनो पुत्र उनकी बातों को समझने वाले नहीं है तो उन्होंने कहानियों के जरिये इनको ज्ञान देने का सोचा और इसी तरह पंडित जी ने जानवरो की कहानियां सुनना शुरू किया इसके साथ ही उन अंत में कहानियों से मिली शिक्षा के बारे में भी बताया।
इस तरह पंचतंत्र की कहानियों का जन्म हुआ, पंचतंत्र का नाम कैसे पड़ा – पंचतंत्र का मतलब होता है पांच तत्व, यानी पांच तत्वों का ढांचा, पांच तत्वों की कहानी हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर ही बना है। तो इस शब्द का मतलब यही है पांच तत्वों से घटने वाली कहानी और किस्से।
तो इस तरह पंडित जी ने धीरे-धीरे राजा के उन मुर्ख पुत्रों को शिक्षित किया और वह धीरे-धीरे बुद्धिमान होते गए। तभी से पंचतंत्र की कहानी इतनी प्रसिद्द है।
सबसे शुरुआत में यह कहानियां संस्कृत भाषा में थी फिर जैसे-जैसे इनकी प्रसिद्दि बढ़ती गई तो आज यह 50 तरह की भाषाओ में लिखी जा चुकी है। इस बात से आप अंदाज़ा लगा सकते है की यह कहानियां कितनी लोकप्रिय हो चुकी है।
पंचतंत्र की कहानी का सार क्या है
इन कहानियो से हमे शिक्षा मिलती है, ज्ञान मिलता है। खासकर बच्चों के लिए यह कहानी खेल के साथ सूझ-बुझ को भी जगाती है। इन कहानियों में यही एक खासियत है की यह व्यक्ति को बोर नहीं होने देती व उसके मनोरंजन के साथ-साथ एक सूझ बुझ ज्ञान भी दे जाती है। अगर हम कम बुध्दि वाले व्यक्ति को सीधे ज्ञान की बाते कहेंगे तो उसे वो समझ भी नहीं आएँगी और वह उनको ठीक से सुनेगा भी नहीं। अगर वही ज्ञान आप किसी मनोरंजन के साथ दें तो कम बुद्धि वाला उसे ठीक से सुनेगा भी और सार को भी समझेगा। यही सार पंचतंत्र की कहानियों का है।
पंचतंत्र की कहानी आज भी जीवन है ? पंचतंत्र की सभी कहानिया काल्पनिक है, उनका सच से कोई संबंध नहीं है। लेकिन वह सच को समझने और क्या सही है क्या गलत है यह बात समझने में अहम् योगदान देती है। इसीलिए 2000 साल से इन कहानियों ने इतनी प्रसिद्धि प्राप्त की है और आज भी यह बड़े पैमाने पर पढ़ी जाती है।