जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के 3 प्रेरक प्रसंग – George Bernard Shaw Life Stories

George Bernard Shaw Life Stories

George Bernard Shaw Life Stories

प्रेरक प्रसंग – 1 

सौंदर्य प्रेमी शॉ

Georges Bernard Shaw के बारे में प्रचलित था की वह सौंदर्य प्रेमी थे। उनका अपना विचार भी यही था की जीवन के लिए सौंदर्य व साहित्य ही दो ऐसे तत्व हैं जो परम आवश्यक हैं ।

उनसे मिलने एक व्यक्ति आया और बोला, ‘आप तो सौंदर्य प्रेमी हैं । फिर भी आपके इस कक्ष में एक पुष्प भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा ।’

शॉ बोले, ‘श्रीमान सुन्दर तो मुझे आप भी लगते हैं । लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं की में आपका शीश काट-कर किसी अच्छे से पात्र में सजाकर अपने कक्ष में रखु । उनके इस चुटीले व्यग्यं को सुनकर वह व्यक्ति शर्म से गड गया ।

प्रेरक प्रसंग – 2

वेशभूषा नहीं, योग्यता है मूल्यवान

Georges Bernard Shaw को एक महिला ने भोजन पर आमंत्रित किया। शॉ ने उसका आमंत्रण स्वीकार कर लिया, जबकि उन दिनों वह व्यस्त चल रहे थे । जिस दिन उन्हें महिला के यहाँ जाना था, उस दिन भी वह कार्य में व्यस्त थे । फिर समय निकालकर वह उसके घर पहुंचे वह महिला उन्हें देखकर प्रसन्न तो हुई, लेकिन उनके पहनावे को देख-कर खिन्न हो गई और बोली, ‘मेरी गाडी में अभी वापस जाइए और वेशभूषा बदलकर आइए ।’

‘ठीक है ।’ कहकर शॉ गाड़ी में बैठकर चले गए । कुछ ही समय बाद वह कीमती वेशभूषा पहनकर आए । वह भोजन स्थल पर गए और जितने भी पकवान बने थे, उन सबको अपने कपड़ों पर डाल लिया। वह कहते जा रहे थे, ‘खूब खाओ । यह भोजन तुम्हारे लिए ही है ।’

जब लोगों ने देखा तो पूछा’ आप यह क्या कर रहे हैं ?’
शॉ बोले, ‘दरअसल निमंत्रण मुझे नहीं मेरी वेशभूषा को मिला है । इसलिए में तो वहीँ कर रहा हूँ, जो मुझे करना चाहिए ।

उनके ऐसा कहने पर वहां चुप्पी छा गई। इधर निमंत्रण देनेवाली महिला को शर्मिंदगी उठानी पड़ी। वह जान गई की किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी योग्यता से किया जाना चाहिए न की उसकी वेशभूषा से ।

प्रेरक प्रसंग – 3

शॉ का सन्देश

एक युवक सुप्रसिध्द अंग्रेजी नाटक-कार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के पास औटोग्राफी बुक लेकर गया और उसने निवेदन किया की आप नवयुवकों के लिए कोई भी सन्देश इसमें लिख कर अपने हस्तक्षर कर दें ।

शॉ ने युवक से हस्ताक्षर पुस्तिका ली और उसमें लिखा, ‘दूसरों के हस्ताक्षर एकत्रित करने में अपना समय बर्बाद न करें । बेहतर होगा की स्वयं को ही इतना योग्य बना लें की लोग तुम्हारे हस्ताक्षर के लिए ललचाने लगें ।’

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