31* Most Interesting Facts About Acharya Rajneesh Osho in Hindi

Master Osho Rajneesh Facts in Hindi

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आज हम ऐसे महान व्यक्ति के बारे में जानेंगे जो की सदियों में कहीं एक बार हुआ करते है। Lets read about acharya rajneesh osho interesting facts, history and about his life journey in Hindi language.

ओशो एक भारतीय रहस्यवादी, गुरु और शिक्षक थे जिन्होंने ध्यान के लिए अध्यात्मिक अभ्यास बनाया था। वे एक विवादित आध्यात्मिक नेता हैं और पुरे विश्व में उनके लाखों अनुयायी हैं और हजारों की तादाद में उनके विरोधी भी हैं।

वे एक प्रतिभाशाली वक्ता थे और किसी भी प्रकार के विषयों में अपने विचार व्यक्त करने में थोडा भी नहीं झिझकते थे। यहाँ तक की उन्हें रूढ़िवादी समाज द्वारा निषेध भी माना जाता है।

ओशो ने हमेशा स्वच्छंद जीवन और फ्री सेक्स जैसी बातों का समर्थन किया। इसके अलावा हम ओशो के बारे में यह भी कहते सुनते हैं कि वे धर्म, राष्ट्रवाद, परिवार, विवाह आदि के सख्त विरोधी थे।

ओशो ‘आचार्य रजनीश’ विद्रोही गुरु 

  • ओशो, जो कि आचार्य रजनीश के नाम से भी जाने जाते है, का जन्म 11 दिसम्बर 1931 को  मध्यप्रदेश में भोपाल के पास रायसेन जिले के कुचवाड़ा में अपने नाना-नानी के यहाँ हुआ था।
  • Osho  का बचपन का नाम Chandra Mohan Jain था, जो की 1960 के आसपास से ‘Bhagwan Shree rajneesh‘ के नाम से लोगो में पहचाने जाने लगे।
  • Osho के पिता का नाम बाबूलाल जैन और माता का नाम सरस्वती जैन था।
  • ओशो जन्म के तीन दिन तक न हंसे न रोये।
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Osho Childhood Photo

  • ओशो जन्म होने के तीन दिन तक न तो हंसे थे और न रोए थे, इस कारण उनके परिवार के लोग बहुत चिंतित और परेशान हो गए थे।
  • तीन दिनों बाद जब ओशो को नहलाया गया तब ओशो ने रोना शुरू किया था।

बचपन से ही विद्रोही और जिज्ञासु प्रवृत्ति

  • स्कूल में ओशो एक परम बौद्धिक और विद्रोही छात्र के रूप में जाने जाते थे।
  • ओशो अपने जन्म से ही बहुत ही जिज्ञासु रहे थे हर बात को जानने और उसके पीछे के कारण को समझने के लिए उनके अंदर बहुत उत्सुकता रहती थी, इसी कारण वे महज 12 वर्ष कि उम्र में रात में निडर होकर शमशान में पहुच जाते थे और यह जानने कि कोशिश करते थे कि आखिर मरने के बाद इंसान कहा जाता है और क्या होता है।

जिद्दी और luxury life के आदि

  • ओशो शुरू से ही जिद्दी और luxury life जीने के आदि रहे है। एक बार उन्होंने जिद की कि वे हाथी पर बैठकर ही स्कूल जायेंगे तब जिद देखकर उनके पिता को हाथी मंगवाना पड़ा और उस पर बैठकर स्कूल गए। तब से ही स्कूल में एक हाथी दरवाजा बना हुआ है।

Sex के प्रति खुले और स्वतंत्र विचार

  • Osho sexuality पर बड़े रूप से बातचीत करते थे, वे सेक्स के प्रति एक खुले, स्वतंत्र रवैये की वकालत करते थे, इस कारण से वह भारतीय प्रेस मीडिया द्वारा आलोचना के शिकार भी हुए थे और उन्हें सेक्स गुरु की उपाधि भी दी गयी थी।
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Osho Kon Hai ??

नाना-नानी के यहाँ रहे

  • अपने माता-पिता के व्यस्त जीवन-शेली के कारण ओशो अपनी नानी के यहाँ रायसेन जिले के कुचवाड़ा में रहते थे, बाद में जब उनके नाना की मृत्यु हो गयी तब वह वापस नरसिहपुर जिले के गाडरवारा में अपने माता-पिता  के साथ रहने लगे।

98 Roll Royces cars के मालिक

  • Osho 98 Roll Royces cars के धनी थे, ये कारें उन्हें उनके अनुयायियों द्वारा भेट की गयी थी।

मूल विश्लेषण, धार्मिक परम्पराओ, मनीषियों के विरोधी

  • अपने जीवन के प्रारम्भ से ही रजनीश विरोधी प्रवत्ति के व्यक्ति थे, जिन्होंने कभी परम्पराओ को नहीं अपनाया, किशोरावस्था तक आते आते ओशो नास्तिक बन चुके थे, उन्हें ईश्वर में जरा भी विश्वास नही था।
  • Osho ने अपने Research Management में ज्यादातर अपने मूल विश्लेषण, धार्मिक परम्पराओ, मनीषियों और दुनियाभर के दार्शनिको के लेखन और विचारो के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किये और प्रवचन दिए। जिसकी वजह से जल्द ही पश्चिमी देश उनसे आकर्षित होने लग गए थे।

माता-पिता का शादी के लिए दबाव

  • 21 वर्ष की आयु में  Osho के माता-पिता ने उन पर शादी के लिए दबाव डाला।  लेकिन ओशो के तार्किक स्वाभाव के वजह से उनके माता पिता उन्हें नहीं शादी के लिए नहीं मन सके।
  • ओशो को शादी के लिए राजी करने के लिए उनके माता पिता ने उनके शहर के बड़े-बड़े लोगों से भी कहां। जब ओशो से इन लोगों ने शादी के बारे में बाते की तो ओशो ने अपने स्वभाव अनुसार ऐसे तर्क किया की आखिर में इन लोगों को हार मानना ही पड़ी।

Osho Enlightenment

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Osho Age 21। photo

  • 21 मार्च 1953 को भंवरलाल गार्डन, जबलपुर में एक पेड़ के नीचे ओशो को आद्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई ।
  • इसी दौरान उन्होंने पुरे देश का भ्रमण किया और गाँधी व् समाजवाद पर भाषण दिया।
  • वर्ष 1962 में Osho का पहला ध्यान शिविर आयोजित हुआ, दो वर्ष बाद उन्होंने नॉकरी छोड़ दी और ध्यान के मार्ग पर चल पड़े।
  • वर्ष 1970 में रजनीश जबलपुर से मुम्बई आ गए यहाँ आकर उन्होंने सबसे पहली बार डायनेमिक मैडिटेशन कि शुरुआत की।

पिता द्वारा सन्यास लेना

  • ओशो के पिता ने उनसे सन्यास ग्रहण किया, जब ओशो के पिता ने उनसे सन्यास प्राप्त किया तब उनके पिता बहुत रोए फिर उनके पिता ने ओशो के पैर छुए थे।

मृत्यु को करीब से देखना

  • ज्योतिषियों ने ओशो की 21 साल तक हर सातवे वर्ष में मृत्यु का योग बताया था, 14 वर्ष की उम्र में वे सात दिनों तक एक मंदिर में लेटकर मौत का इंतजार करते रहे, इस दौरान एक सांप भी आया लेकिन वापस चला गया।

ओशो पर आरोप

  • ओशो की कठोरता के कारण भारतीय धार्मिक नेताओ द्वारा ओशो को झूठे वादे और भ्रम फ़ैलाने का आरोप लगाया गया।
  • दूसरी और कई बड़े Businessman , Merchant और Loyal प्रशंसक ओशो को Follow करने लगे उनमे से एक बड़ा हिस्सा विदेशी प्रशंसको का था।

सम्भोग से समाधी तक

  • ओशो ने अपने जीवन में कई पुस्तकें लिखी, जिनमें से ‘संभोग से लेकर समाधि तक’ नामक पुस्तक ने उन्हें विवादों के चरम पर पहुंचाया।

Acharya Rajneesh’s Young life

  • ओशो ने अपनी Young Age का काफी समय तीन मनीषियों के साथ गुजारा जिनमे मग्गा बाबा, पागल बाबा और मस्तो बाबा थे। तीनो मनीषी ओशो के पैर छूते थे।
  • ओशो को कई Colleges से निष्कासित किया गया क्योंकि वह अपने ज्ञान के बल पर प्रोफ़ेसरो का सामना करते थे, और अनेक प्रश्न पूछा करते थे।
  • Osho, University Topper रहे और Final Exams में Gold  Medalist भी रह चुके है।

ओशो बने प्रोफेसर

  • साल 1957 में संस्कृत के लेक्चरर के तौर पर Rajneesh osho ने Raipur University join किया। लेकिन उनकी गैर परंपरागत धारणाओं और जीवन यापन करने के तरीके को छात्रों के नैतिक आचरण के लिए घातक समझते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति ने उनका ट्रांसफर कर दिया। अगले ही वर्ष वे दर्शनशास्त्र के लेक्चरर के रूप में जबलपुर यूनिवर्सिटी में शामिल हुए। इस दौरान भारत के कोने-कोने में जाकर उन्होंने गांधीवाद और समाजवाद पर भाषण दिया, अब तक वह आचार्य रजनीश के नाम से अपनी पहचान स्थापित कर चुके थे।

गांधी जी से मिलने के लिए 13 घंटे तक स्टेशन पर इंतजार

  • ओशो महात्मा गाँधी से सिर्फ एक बार मिले जब वे 10 वर्ष के थे। वह गांधीजी के इन्तेजार में 13 घंटे तक स्टेशन पर रुके रहे क्योंकि गांधीजी जिस ट्रैन से आने वाले थे वो ट्रैन लेट हो चुकी थी, सभी लोग ओशो को स्टेशन पर अकेला छोड़ कर जा चुके थे लेकिन ओशो वही रुके रहे।

पहली बार प्रवचन

  • वर्ष 1964 में रणकपुर शिविर में पहली बार ओशो के प्रवचनों को Record किया गया और Books को भी Print किया गया।
  • 1971 के बाद से उन्होंने अपना पूरा जीवन पुणे आश्रम में बिताया जहा रोज सुबह 90 मिनट का प्रवचन देते थे।
  • Osho लगातार 15 वर्षो तक प्रवचन देते रहे, 1981 से करीब साढ़े तीन साल के लिए वो सार्वजानिक मौन में चले गए।

सभी धर्मो, परम्पराओ, समाजवाद, गांधीवाद, आदि पर प्रवचन

  • ओशो ने हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, सूफी, जैन, कई धर्मो पर प्रवचन दिए थे और अक्सर यीशु, मीरा, नानक, कबीर, बुद्ध, दादू, रविंद्रनाथ टैगोर जैसे कई महापुरुषों के रहस्यों के बारे में प्रवचन दिए।

Osho Foundation

  • वर्ष 1969 में ओशो के अनुयायियों ने उनके नाम पर एक फाउंडेशन बनाया जिसका Centre Mumbai था। बाद में उसे पुणे के कोरेगांव पार्क में शिफ्ट कर दिया गया था। वह स्थान अब “Osho International Meditation Resort” के नाम से जाना जाता है।

ओशो का सन्देश

  • ओशो का कहना था कि जीवन में प्रेम, ध्यान, हास्य प्रमुख रूप से अनमोल है। मनुष्य भावनात्मक संबंधों के कारण खुद को पहचान नही पाता है, उसे अपने भीतर ध्यान को उत्पन्न करने कि कला सीखना चाहिए।
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संसार से विदा

  • ओशो को अमेरिका सरकार ने बिना किसी सबूत के गिरफ्तार कर लिया था, इस बिच ओशो को जेल में थेलिनियम नामक जहर दिया गया था, यह जहर “Slow Poison” नाम से जाना जाता है। जो की शरीर को धीरे-धीरे मौत के नजदीक ले आता है।
  • अमेरिका की इस घिनोनी हरकत पर ओशो का कहना था की। ऐसी ही हरकते मनुष्य को इतिहास में अमर कर जाती है। और ठीक ऐसा ही हुआ आज ओशो के प्रशंसक दिन दोगुना, रात चौगुना की रफ़्तार से बढ़ते जा रहे हैं।
  • 58 वर्ष कि उम्र में ओशो इस संसार से विदा हो गए, उनके लिए कहा जाता है- Never born Never died । Only visited this planet earth between 11 december 1931 – 19 January 1990 ।

  • आज भी देश और विदेश से सेकड़ो अनुयायी उनके आश्रम में ध्यान लगाने एवं रूपान्तरण के लिए आते है।
  • ओशो के अनुयायी उनको युगपुरुष कहते है जिन्होंने लोगो कि मानसिकता बदल दी।
  • जब ओशो अपनी देह में थे तब उनका सभी देशों में भारी विरोध हुआ, लेकिन अब ऐसा कोई देश नहीं जहाँ ओशो के प्रशंसक न मिलते हो।

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