खुद से पूंछे की क्या आपको आपके शास्त्र, धर्म से कोई मतलब है, Best Speech on Religion

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Best motivational Speech on Religion By Osho

osho speech on religion

शास्त्रों से ज्यादा सत्य के मार्ग में और कोई बाधा नहीं है। लेकिन हमें बडी चोट पहूंचती है। सुबह एक मित्र ने आकर कहा, वेद आप कहते हैं क्या वह सत्य नहीं है ? उन्हें पीडा पहूंची होगी। इसलिए नहीं कि वेद सत्य नही है। बल्कि इसलिए कि वेद उनका शास्त्र है।

एक मुसलमान को कोई चोट नहीं पहूंचेगी इस बात से कि वेद में कुछ भी नहीं है। क्योंकि वेद उसका शास्त्र नही है। एक हिंदू को कोई चोंट नहीं पहूंचेगी, कह दिया जाए कुरान में कोई सत्य नहीं हैं वह प्रसन्न होगा बल्कि कि बहुत अच्छा हुआ कि कुरान में कोई सत्य नहीं, यह तो हम पहले से ही कहते थे।

यह तो प्रसन्नता की बात है। लेकिन एक मुसलमान को चोेट पहूंचेगी। क्यों ? क्या इसलिए कि कुरान में सत्य नहीं है ? बल्कि इसलिए कि कुरान उसका शास्त्र है।

शास्त्रों के साथ हमारे अंहकार जुड गए हैं, हमारे ego जुड गए है। मेरा शास्त्र ! शास्त्र की कोई फिक्र नहीं है, मेरे को चोट पहुंचती है। और बडा मजा यह हैं कि वेद आपका शास्त्र कैसे हो गया ? क्योंकि आप एक समूह में पैदा हुए, जंहा बचपन से एक प्रपोगेंडा चल रहा है कि वेद आपका शास्त्र है। अगर आप दूसरे समूह में पैदा होते, और वहां प्रपोगेंडा चलता होता कि कुरान आपका शास्त्र है, तो आप कुरान को शास्त्र मान लेते। आप किसी तरह के प्रचार के शिकार हैं।

Great Hindi Speech on All Religion

हम सभी किसी तरह के प्रचार के शिकार है। अगर हिन्दू घर में पैदा हुए हैं, तो एक तरह के प्रपोगेंडिस्ट हवा में हमको बनया गया है। जैन घर में पैदा हुए, दूसरी तरह की; ईसाई घर में तीसरी तरह की ….रूस में पैदा हो जाए तो एक चोथे तरह की हवा में आपका निर्माण होगा।

और आप यही समझेंगे कि, यह जो प्रचार ने आपको सिखा दिया, यह आपका है। जब तक आप यह समझते रहेगें कि प्रचार जो सिखाता है वह आपका है, तब तक आप शास्त्रों से मुक्त नही हो सकते। और जो आदमी प्रपोगेण्डा और प्रचार से मुक्त नही होता, वह कभी सत्य को उपलब्ध नही हो सकता है।

और प्रचार के सूत्र एक जैसे हैं- चाहे लक्स टायलेट साबुन बेचनी हो, चाहे कुरान दोनेा में कोई फर्क नहीं है। advertisement का रास्ता एक ही है, प्रपोंगेडा का रास्ता और सूत्र एक ही है। धर्मगुरु बहुत चालाक लोग थे, उन्हे ये सूत्र पहले पता चल गए, व्यापारियों को बहुत बाद में पता चले।

रेडियों पर रोज दोहराया जाता हैं कि सुन्दर चेहरा बनाना हो तो फला-फला अभिनेत्री लक्स टायलेट का उपयोग करती है। अभिनेत्री के चेहरे में और लक्स टायलेट में एक संबंध जोडने की कोशिश की जाती है।

अगर सत्य को पाना हो, तो फंला-फंला .ऋषि रामायण को पढकर सत्य पा गए। ऋषि में और रामायण मे सत्य जोडने की कोशिश की जाती है। यह वही कोशिश हैं, जो अभिनेत्री  और लक्स टॉयलेट में की जाती है, अगर सुन्दर होना हो तो लक्स टॉयलेट खरीद लीजिये,

और अगर सत्य पाना हो तो फलां-फलां ऋषि ने फलां-फलां किताब से पाया, आप भी उस किताब को खरीद लीजिये! उसके भक्त हो जाइये ! फिर रोज-रोज दोहराने से आदमी का चित्त इतना कमजोर है की रिपीरटिशन को वह भूल जाता है की यह क्या हो रहा है रोज रोज दोहराया जाता है ।

आपको पता भी नहीं है, रास्ते पर निकलते है लक्स टॉयलेट सबसे अच्छा साबुन है, दरवाजे पर लिखा हुआ है, अख़बार खोलते हैं, लक्स टॉयलेट सबसे अच्छा साबुन है, रेडियो चलाते है, लक्स टॉयलेट सबसे अच्छा साबुन हैं, रोज.रोज सुनते है ।

जब एक दिन आप बाजार में जाते है दुकान पर साबुन खरीदने को आप कहते हैं मुझे लक्स टॉयलेट साबुन चाहिए, और आपको पता नहीं की यह आप नहीं कह रहे हैं, आप से कहलवाया जा रहा है, आपको लक्स टॉयलेट का पता भी नहीं था ।

एक प्रपोगैंडा आपके चारों तरफ हो रहा है और आपके मूह से, आपके कान में आवाज़ डाली जा रही है बार-बार जो की एक दिन आपके मूह से निकलनी शुरू हो जाएगी, और आप इस भ्रम में होंगे की मैंने लक्स टॉयलेट साबुन ख़रीदा, आपसे खरीदवा लिया गया और जो लक्स टॉयलेट के सबंध में सही है, वही कुरान, बाइबिल, वेद, उपनिषद् के सम्बन्ध में भी सही है, हम अदभुत रूप से प्रचार के शिकार हैं । सारी मनुष्य जाती शिकार है ।

और इस प्रचार में जितना आदमी बंध जाता है, उतना परतंत्र हो जाता है । तो में शास्त्रों का विरोधी नहीं हूँ लेकिन यह आपको कह देना चाहता हूँ की आपको भी शास्त्रों से कोई मतलब नहीं है ।

आप सिर्फ प्रचार के शिकार हो गए हैं और कुछ भी नहीं है, आपके घर में, हिन्दू घर में एक बच्चा पैदा हो, उसको मुसलमान के घर में रख दीजिये, वह बड़े होने पर वेद को ईश्वरीय वाणी नहीं कहेगा, हालाँकि हिन्दू घर में पैदा हुआ था खून हिन्दू था, सच तो यह है की पागलपन की बातें हैं, खून भी कहीं हिन्दू होता है, की हड्डियां हिन्दू होती है, मुसलमान होती है, हिन्दू भी एक प्रचार है, वह मुसलमान घर में रखा गया मुसलमान हो जायेगा । ईसाईघर में रखा गया, ईसाई हो जायेगा ।

इसीलिए सभी धर्मगुरु बच्चों में बहुत उत्सुक होते हैं। स्कूल खोलते हैं, धर्म स्कूल खोलते है, क्योंकि बच्चे मौका है, जहाँ प्रचार को दिमाग में डाला जा सकता है, और जीवनभर के लिए उन्हें गुलाम बनाया जा सकता है, जब तक जमीं पर एक भी ऐसा स्कूल है, जो धर्म की शिक्षा देता हैं तब तक जमीं पर बहुत बड़े पाप चलते रहेंगे

क्योंकि बच्चों को जकड़ने की गुलाम बनाने की वहां सारी योजना की जा रही है, तो मैंने जो कहा, इसलिए नहीं कहा की किन्ही किताबों से मुझे कोई दुश्मनी हैए मुझे किताबों से क्या लेना देना है, लेकिन सच्चाइयाँ तो समझ लेनी जरुरी है । – speech by Sadguru Osho Rajneesh 

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