Shekh Chilli Master Of Fools
यहाँ Kahani थोड़ी लम्बी जरूर है लेकिन इस Kahani का हर एक मोड़ मजेदार है
एक दिन नौकरी की तलाश में shekh chilli समुद्र किनारे बंदरगाहों में जा पहुंचे, वहां उन्हें एक विदेशी जहाज में काम मिल गया । एक दिन वह जहाज लंदन के लिए रवाना हुआ और shekh भी लंदन जा पहुंचे
लंदन पहुँचने पर उन्होंने सर्वप्रथम टेम्स नदी के शीतल जल से स्नान किया और अपनी हालत ठीक की , फिर वे शहर की और घूमने निकल पड़े । थोड़ी दूर चलकर उन्होंने देखा की एक अंग्रेज आदमी खड़ा हुआ है और उसके पास एक पेटी रखी है, जिसमें शराब की बोतलें रखी हुई हैं ।
क्या तुम कूली हो?” उसने शेख को देखकर कहा । शेख अंग्रेजी तो जानते ही नहीं थे, फिर भी उन्होंने समझ लिया था की यह सामान पहुँचाने को कह रहा है, उन्होंने आगे बढ़कर कहा—“हाँ, हाँ कहाँ ले चालू ?’
‘पिकाडलो।” अंग्रेज ने कहा और शेख ने वह संदूक उठा लिया और पीछे-पीछे चलने लगा ।
एक स्थान पर रुक कर उसने संदूक उतारकर शेख को कुछ पैसे दिए और बोला–थैंक्यू।’
शेख ने समझा साहब कहता है —फेंक दूँ, उन्होंने जल्दी से पेटी उठाकार जोर से फेंक दी और सारी बोतलें फुट गईं । यह देखकर शेख पर वह आदमी डंडा लेकर दौड़ा–‘ओह चिल्ली डैम फूल!”
वह अंग्रेज पीछे-पीछे और शेख लंदन के पुरे बाजार में आगे-आगे भागे जा रहे थे । पार्क स्ट्रीट के नुक्कड़ पर पहुंचकर शेख एक हिंदुस्तानी होटल में घुस गए । मालिक ने शेख को अपने देश का आदमी देखकर कहा–“क्या बात है भाई, क्या है, क्यों डर रहे हो ?”
“क्या बताऊँ हुजूर, मेरा तो मुकद्दर ही खराब है, जहाँ जाता हूँ, मार खाता हूँ । अब इस कमबख्त से बचाइये, नहीं तो यह मेरी खाल उधेड़ देगा ।” होटल वाले ने उनको छुपा लिया । जब वह अंग्रेज बड़बड़ाता हुआ वापस लौट गया तो शेख मेज के नीचे से बाहर निकले और कुर्सी पर बैठकर उन्होंने खाने का आदेश दिया । खाना खाने के बाद उन्होंने होटल के मालिक से कहा– भाई साहब! एक पान तो खिलाइए ।”
मालिक ने अपनी डिबिया से एक पान शेख को दिया और वह पान चबाते हुए शहर की सेर करने निकले । थोड़ी देर बाद वे ग्रांड स्ट्रीट के चौराहे पर आए तो उन्होंने एक स्थान पर पिक थूक दी । अभी वे थूक-कर पलटे ही थे की बहुत-से लोगों ने उन्हें घेर लिया और पकड़कर अस्पताल ले गए की काफी खून बहाने की वजह से इस आदमी को खून की कमी हो गई है । इसका इलाज किया जाए । डॉक्टर ने मुआयना किया और उन्हें टी.बी का मरीज बताया ।
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शेख चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे की भाई मुझे छोड़ दो, मुझे कोई बिमारी नहीं, पर अस्पताल वाले उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थे। उन्हें मजबूरन बिस्तर पर लेटना पड़ा । एक नर्स ने उन्हें थर्मामीटर दिया तो शेखचिल्ली ने समझा यह कोई दवा है, उन्होंने झट से उसे चबा लिया और खाने लगे । यह देखकर नर्स बोली–“ओह चिल्ली! ईट इज थर्मामीटर।”
“मेरा नाम चिल्ली नहीं, शेखचिल्ली है । में कहीं का मॉनिटर नहीं हूँ मेम साहब! तुम सच मानो, में किसी स्कुल में नहीं पढ़ा, फिर मॉनिटर कैसे हो गया ?”
तभी एक बुड्ढा आदमी कमरे में आया और नर्स से अंग्रेजी में बोला – “यह भारत का सबसे मुर्ख आदमी है, इसका नाम शेख चिल्ली है । मैंने इसको दिल्ली में देखा था ।”
“वंडरफूल! मुझे ऐसे बेवकूफ आदमी की तलाश थी ।” नर्स ख़ुशी से उछल पड़ी ।
डॉक्टर से उसने यह कहकर शेख को अस्पताल से छुड़ा लिया और उसे साथ लेकर अपने घर आई । उसने शेख को बढ़िया और स्वादिष्ट खाना खिलाया और फिर उसे लेकर नाइ के यहाँ गई और कहा की इस जानवर की हजामत बना दो ।
शेख ने बालों की कटिंग तक तो कुछ नहीं कहा, लेकिन जब नाइ ने दाढ़ी में कैंची लगाई और “चाहा की शेख की दादी उड़ा दे तो शेख गुस्से में बोले – अबे मुर्गे! दिन-धर्म पर हाथ डालते तुझे शर्म नहीं आती ।” मगर नाइ उनकी भाषा समझ नहीं पाया और उसकी कैंची शेख की दाढ़ी को काटती चली गई और शेख का क्लीन शेव बना दिया ।
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जब शेख हजामत बनवाकर बाहर निकले तो अच्छे-खासे आदमी लग रहे थे । शेख सोच रहे थे –‘यह लड़की जो लड़की कम और लड़का अधिक मालूम होती है, बहुत अच्छी औरत है । यह तो मेरी अम्मी से भी अधिक अच्छी है, इसे अम्मा कहना चाहिए ।’ जब उनको एक शानदार सूट पहनाया गया तब वे बहुत अच्छे लग रहे थे ।
जब शाम हुई तो उस लड़की ने कहा- वेल, तुम बहुत अच्छा लगता है । हमको तुमसे लव हो गया है । तुम बहुत स्वीट है ।” शेख की समझ में थोड़ी सी बात आई और फिर उन्होंने पूछा- मेम साहब लव किसे कहते हैं ?”
“तुम लव का मीनिंग नहीं जनता ? हम बताता है, लव यानि की मोहब्बत हो गया है हमको तुम्हारे से, समझे ।” यह कहकर लड़की शरमाकर मुस्कराने लगी ।
“मगर में तो बेवकूफ आदमी हूँ । जहाँ जाता हूँ मार खाता हूँ । कहीं आप भी तो मुझे नहीं मारेंगी ? ” शेख ने उस मेम को बड़ी गौर से देखते हुए पूछा ।
“नो-नो माय डिअर चिल्ली! हम तो तुम्हारे साथ मैरिज करेगा । तुम्हारे साथ इंडिया जाएगा । तुम तो प्रिंस हो न । तुम्हरार स्टेट कौन-सा होता ?”
“स्टेट हम नहीं जानते, पर हमारा एक छोटा सा गाँव है ।’ शेख ने कहा । “वंडरफूल… गाँव मतलब विलेज आर यु लैंड लार्ड?” वह आली पित्ती हुई बोली–“हम तो बिलकुल तुम्हारा जैसा हसबैंड मांगता है ।” कुछ सोचकर वह फिर बोली–“हमारा एक फ्रेंड है जूलियट । वो हमारे साथ काम करता था । शेख उसकी कोई बात नहीं समझ पा रहे थे । अचानक उन्हें याद आ गया–“हां, अम्मी कहा करती थी की विदेश में मेम बड़ी खराब होती हैं वे भोले-भाले युवकों को फंसा लेती हैं ।”
यह सोचकर वे घबरा उठे । उन्होंने कहा–“मेमसाहब ! तुम हमारा मान-बहन है, बोलो तुम हमारा मम्मी बनेगा ?” यह सुनते ही नर्स का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया । उसने केवल इतना कहा–“इडियट।” उसने अपने नाखूनों से शेख का शेव्ड चेहरा नोंच लिया ।
शेख वहां से दुम दबाकर भागे तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा और सीधा भागते हुए लंदन से न्यूयॉर्क शहर पहुँच गए । उनकी समझ में नहीं आ रहा था, किसी औरत को अम्मी कह देने में कौन-सी बुराई है ? न्यूयॉर्क शहर पहुंचकर वे सीधे एक होटल में घुस गए और वहां एक बैर को बुलाकर कहा– “बैरा थोड़ा-सा गुड ले आओ ।”
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“व्हाट डो यू वांट ?” बैर ने आश्चर्य से पूछा ।
शेख ने मुंह की और हाथ ले जाकर इशारा किया ।
बैरा बोला—“ओह स्कॉच आई अंडरस्टैंड । यह कहता हुआ बैरा चला गया । अब शेख ने देखा की वह बैरा बोतल में शरबत भरकर रख गया है तो उन्होंने आव देखा न ताव, बोतल उठाई और बुरा-सा मुंह बनाते हुए पूरी बोतल खाली कर दी ।
वे सोचने लगे– ‘अजीब बात है । आज तो मुझे सब कुछ डबल-डबल दिखाई देता है, अरे वहां एक बत्ती की दो बत्तियां, एक लड़की की दो लड़कियां, दो आदमी के चार आदमी । वाह ! में उड़नखटोले पर सवार हूँ, ले चल चल मुझे उड़ाकर साजन के देश ।’ वे ठुमक-ठुमक कर नाचने लगे ।
होटल में बैठे हुए सब लोग शेख को नाचता देखकर तालियां बजाने लगे –‘वंडरफुल चीअर्स’ की आवाज़ें आने लगि । थोड़ी देर में बाजार के राहगीर भी होटल में घुस गए । शेख बराबर नाच रहे थे । लोगों की काफी भीड़ एकत्रित हो जाने की वजह से होटल की जोरदार बिक्री हो रही थी ।
“इस डांसर को सदा के लिए नौकर रख लो।” होटल का मालिक बोला ।
“अच्छा साहब! डांस समाप्त होने पर इससे बात करूँगा ।” मैनेजर ने कहा ।
उस होटल में दो हिंदुस्तानी ग्राहक भी थे जो शेख को नाचता देखकर कहने लगे–“मुझे तो यह आदमी जात का भांड मालूम पड़ता है ।”
“मेरा भी यही ख्याल है ।” दूसरे ने कहा ।
जब यह बातें शेख ने सुनी तो नाच छोड़कर बोले–“तुम भांड, तुम्हारा बाप भांड, में असली शेख हूँ ।”
शेख के यह कहने पर वे दोनों उस पर टूट पड़े । हाल में भगदड़ मच गई । हजारों रूपए का फर्नीचर टूट-फुट गया, फिर पता नहीं शेख को कितनी मार पड़ी ।
दूसरे दिन जब उन्हें होश आया तो वे समुद्र के किनारे पड़े थे । उन्हें होश आया तो वे इधर-उधर देखने लगे । अचानक उनकी नजर सामने पानी के एक जहाज पर पड़ी जो जाने को तैयार खड़ा था । शेख ने दौड़कर जहाज का रस्सा पकड़ लिया और डैक पर चढ़कर लदे सामान के ढेर में छिपकर बैठ गए और फिर लगभग चालीस दिन बाद वे बम्बई में समुद्र तट पर उतरे ।
अपने देश की धरती पर उतरकर उन्होंने भारतमाता का जयघोष लगाया । अपना देश तो पशुओं को भी प्यारा होता है, वे फिर भी आदमी थे । बस जरा मुर्ख ही तो थे । यदि वे मुर्ख न होते तो उनको आज कौन याद रखता ?