Indian Vastu Shastra Tips For Shops in Hindi
दुकान के लिए वास्तु शास्त्र के बारे में पूरी जानकारी, दुकान किस दिशा में होना चाहिए, दुकान का प्रवेश द्वार, केश बॉक्स रखने की जगह। भगवान की पूजा के लिए जगह आदि सब कुछ पढ़िए।
Essential vastu shastra tips for shops business- दुकान अथवा व्यापार आदि को चलाने के लिए प्रबंधक या मालिक के बैठने की दिशा और दुकान आदि की स्थिति भी महत्वपूर्ण साबित होती है। इसलिए इस संदर्भ में भी वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। कार्यालय के लिए वास्तु शास्त्र। Jewellery, cloth, business, store room, facing east, west, north, south etc।
वास्तु विज्ञान को समझने और उससे फायदा उठाने के लिए सबसे पहले दिशाओं का ज्ञान होना जरूरी है। जब आप पूर्व दिशा की ओर मुंह करके खडे़ होते हैं तो आपके बाईं ओर उत्तर और दाहिनी ओर दक्षिण होता है। आपकी पीठ के पीछे पश्चिम दिशा होती है। जहां दोनों दिशाएं मिलती हैं, वह कोण बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वह दोनों दिशाओं से आने वाली शक्तियों और ऊर्जाओं का मिला देता है। उत्तर और पूर्व के बीच वाले कोण को उत्तर-पूर्व या “ईशान” कहते हैं। पूर्व और दक्षिण के बीच वाले कोण को दक्षिण-पूर्व या “आग्नेय” कहते हैं, दक्षिण और पश्चिम के बीच वाले कोण को दक्षिण-पश्चिम या “नैऋत्य” कहते हैं। उसी तरह पश्चिम और उत्तर के बीच के कोण को उत्तर-पश्चिम या “वायव्य” कोण कहा जाता है और मध्य स्थान को “ब्रह्रास्थान” के रूप में जाना गया है।
दुकान में मालिक के बैठने का स्थान
उत्तर मुखी दुकान के फर्श की ढाल दक्षिण से उत्तर या पश्चिम से पूर्व की ओर होनी चाहिए।
व्यापारी को वायव्य कोण में उत्तरी तथा पश्चिम दिवारों से कुछ दूरी पर बैठना चाहिए।
यदि उसका मूंह उत्तर की ओर हो तो Cash Box दायीं ओर रहना चाहिए।
Cash Box को इस तरह से रखे की वह उत्तर दिशा की ओर खुले यानी उत्तर दिशा के स्वामी कुबैर की दृष्टि Cash Box पर पडे।
यदि मेज कुर्सी पर बैठना हो तो दक्षिण-पश्चिम मे लगाकर उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मूंह करके बैठना चाहिए। मेज कुर्सी ईशान्य अथवा आग्नेय कोण में भूलकर भी नहीं लगन चाहिए।
Shops Business दुकान के लिए वास्तु शास्त्र टिप्स
दूकान के उत्तर और पूर्व दिशा का भाग खुला रखें जिसका प्रयोग ग्राहकों के आने-जाने के लिए हो। यदि दुकान में दो Shutter लगें हो तो ईशान्य कोण वाला Shutter खुला रखें और वायव्य कोण वाला Shutter बंद रखें।
यदि दुकान का मालिक या व्यवस्थापक केबिन बनाकर बैठता हैं तो उसका केबिन नैऋत्य कोण में होना चाहिए।
केबिन का प्रवेश द्वारा आग्नेय तथा वायव्य कोण में कभी न रखें। (दुकान के लिए जरुरी वास्तु टिप्स)
प्रवेश द्वार ईशान्य, उत्तर या पूर्व में होना चाहिए
अगर दुकान पश्चिम दिशा की ओर हो तो फर्श का ढाल पश्चिम से पूर्व या दक्षिण से उत्तर की ओर बनवाना चाहिए।
दफ़्तर या दुकान के मालिक को नैऋत्य में उत्तर की ओर मूख करके बैठना चाहिए।
ऐसी स्थिति में वह Cash Box अपने बायीं ओर रखें यदि पूर्व की ओर मूख करके बैठे तो Cash Box दायीं तरफ रखें।
पश्चिम दिशा में स्थित दुकान के मालिक को दुकान के ईशान्य कोण, वायव्य कोण या आग्नेय कोण में नहीं बैठना चाहिए।
व्यवसाय पर दिशाओ का प्रभाव
यदि कोई दुकान या आफिस पूर्व मूखी हैं तो व्यावसायिक तोर से उत्तम एवं लाभप्रद रहेगी। यदि दुकान पश्चिम मूखी हैं तो व्यवसाय कभी तेजी से और कभी मंदी से चलता है। उत्तर दिशा में स्थित दुकान आदि धनधान्य की वृद्धि करती है। इससे दुकान का नाम चमकता हैं तथा प्रतिष्ठान को काफी लाभ होता है। यदि दुकान दक्षिण मूखी हैं तो दशाएं कमजोर होने पर बाधाएं आती है और मंद गति से व्यापार की उन्नति होती है।
बडे-बडे शहरों एंव महानगरो की अधिकतर दुकानें दक्षिण मूखी होती हैं ऐसी स्थिति में दुकान में अपनी गददी, Cash Box, कुर्सी और काउंटर आदि का स्थान विधिवत निश्चित कर लेना चाहिए।
दुकान का प्रवेश द्वार
पूर्वी मूखी दुकानों या कार्यालय अच्छे माने जाते हैं। यही बात उत्तर मूखी या कार्यालयों के लिए भी लागू होती है। पूर्व की ओर प्रवेश द्वार होना अच्छा समझा जाता है। उत्तर की ओर प्रवेश द्वार होना भी अच्छा है। अगर गली या सड़क के आमने-सामने दुकानें या कार्यालय हो तो दोनों ही ठीक हैं। भले ही उनका प्रवेष द्वार पूर्व पश्चिम की ओर या उत्तर दक्षिण की ओर ही क्यों न हो।
जिन दुकानों और कार्यालयों का प्रवेश द्वार पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में हो तो वे भोज्य पदार्थों तथा मनोरंजन व्यवसाय के लिए अच्छे माने जाते हैं।
दुकान, कार्यालय में रसोईघर
भोजन बनाने, बना हुआ भोजन रखने या गर्म करने का हीटर दक्षिण-पूर्व के कोने में रखना उचित माना जाता है।
कार्यलय और दुकान में दरवाजे
दरवाजों के विषय में वे सिद्धांत ही लागू होते हैं, जो घरों के लिए इस सबंध में मान्य हैं। दरवाजों की संख्या 10 के गुणकों अर्थात 10,20,30 आदि नहीं होनी चाहिए। कुछ वास्तु वेदताओं का मानना हैं कि दरवाजों की विषम संख्या अच्छी रहती है, जबकि अन्य सम संख्या के समर्थक हैं।
कार्यालय और दुकान में जलपात्र
दुकान या छोटे कार्यालय में जलपात्र अर्थात घडा, पानी का फिल्टर, जल प्रषितक को उत्तर-पूर्व दिशा के भाग में रखने का सुझाव दिया जाता है।
कार्यालय और दुकान में पूजा कक्ष कहां रखें
उत्तर-पूर्व के कोने में छोटा सा पूजा कक्ष बना लिया जाना चाहिए।
शौचालय
कार्यलय और दुकान में शौचालय किस दिशा में होना चाहिए। किसी कार्यालय या बडी दुकान में शौचालय उत्तर-पूर्वी कोने में बनाने से बचना चाहिए। (Shop vastu shastra tips)
कार्यालय और दुकान में सिढियां
यदि सिढियां बनानी हैं तो यथासंभव दक्षिण-पश्चिम दीवारों के साथ बनाना चाहिए। सीढ़ियों के नीचे शौचालय या पूजा ग्रह भूलकर भी नहीं बनाना चाहिए।
अकाउंटस विभाग के लिए वास्तु शास्त्र
कार्यालयों में अकाउंटस विभाग उत्तर में होना चाहिए। यदि कोई अकाउंटेंट या मुनीम जी हो तो उसे उसी दिशा में बैठना चाहिए।
प्रशासन विभाग
कार्मीक और प्रशासन विभाग को पूर्व की ओर बैठाना चाहिए। (Govt) प्रशासन प्रमुखों का स्थान निर्देषकों तथा मुख्य कार्यपालिक अधिकारीयों के केबिन दक्षिण-पश्चिम में हो जिनका फर्श कार्यालय के फर्श से 6 इंच उंचा बना हो।
बिक्री और विपणन विभाग
बिक्री और विपणन विभाग के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा में बैठाने की अनुशसा की जाती है।
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(vastu shastra for shop in hindi me) उम्मीद हैं दोस्तों आपको दुकान के लिए वास्तु शास्त्र की टिप्स पढ़कर बहुत अच्छा लगा हो। इन वास्तु टिप्स को Facebook, Whatsapp, और Twitter पर अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे ताकि वह इन सब बातों को जान जाए जिससे उनका व्यापर भी चल निकले
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