(Guide) Tratak Meditation in Hindi – त्राटक साधना कैसे करे

Learn  How To Do Tratak Meditation in Hindi

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Full guide on Tratak Kriya

Tratak The thrid eye meditation in hindi or ese (Kaise kare) योग में त्राटक का महत्व बहुत बडा है। त्राटक का अर्थ हैं किसी एक ही वस्तु को बिना पलक झपकाये हुए देखता रहना। जब आप किसी वस्तु को टकटकी लगाये बिना पलक झपकाये देखते रहेंगे तब आपका मन उस वस्तु पर केंद्रित होने लगेगा, उस समय मन में चंचलता कम होने लगती हैं। (पढ़िए त्राटक ध्यान कैसे करे) (Soon trataka sadhana pdf file will be available here।

त्राटक साधना मुख्यतः 3 प्रकार की होती हैं।

  • Inner Tratak
  • Middle tratak
  • Outer Tratak

Inner tratak

बंद आँख त्राटक में आपको अपनी आंखे बंद करके अपनी भ्रकुटी के बिच में ध्यान लगाना होता है। (दोनों आँखों के बिच जिसे तीसरा नेत्र कहते हैं उस जगह पर दृष्टि को स्थिर करना होता है)

रीड की हड्डी को सीधी करके बेथ जाए, अपनी दोनों आँखों को बंद करले अब अपनी दोनों आँखों के बिच भ्रकुटी के मध्य पर एकाग्रता करे।

Middle Trataka

इस क्रिया में अपनी आंखों को न ज्यादा बंद ओर न ज्यादा खुली रखना होती है। इस क्रिया को दीपक की लो ओर अपनी नाक पर किया जाता है।

Outer Tratak

इस क्रिया को सूर्य, चंद्रमा, तारे या किसी दिवार पर एक बिंदु बनाकर (bindu tratak) उस पर एकाग्रता की जाती है।

Tratak Benefits Fayde in Hindi

  • त्राटक साधना करने से मानसिक शांति मिलती है।
  • मानसिक क्षमता, याददाश्त बढ़ती है।
  • किसी भी काम को करने की एकाग्रता बढ़ती है।
  • विद्यार्थियों के लिए त्राटक बहुत फायदेमंद होता है।
  • आंखों की रोशनी बढ़ाता है।
  • त्राटक साधना के जरिये सम्मोहन शक्ति जाग्रत होने लगती है।
  • त्राटक साधना से बहुत सी सिद्धियां भी प्राप्त की जा सकती है।
  • नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है।
  • भविष्य में होने वाली घटनाओ के बारे में त्राटक करने वाले साधक को पहले ही मालूम हो जाता है।
  • त्राटक से भविष्य और भूतकाल के बारे में जानने की क्षमता आने लगती है।
  • इस साधना के जरिये मनुष्य अपना पूरा जीवन बदल सकता है।
  • त्राटक के ओर भी बहुत से फायदे व लाभ होते है। त्राटक के बारे में संक्षेप में पढ़ने के लिए निचे जाए।

अगर आप भी त्राटक साधना के सफल साधक बनना चाहते है तो निचे त्राटक के विषय जो बताया जा रहा है उसे पूरा पड़े- यह त्राटक के सफल साधक योगी आनंद सिंह द्वारा बताया गया है।

जब साधक का मन ध्यान अवस्था में अधिक चंचल होने लगे तब उसे त्राटक के अभ्यास से स्थिर करने का प्रयास करना चाहिए। नये साधक का मन साधना के शुरुआत में अधिक चंचल रहता है क्योंकि उसे पहले कभी एक जगह ठहरने की आदत नहीं रही है।

इसलिए त्राटक साधना का अभ्यास हर साधक के लिए लाभकारी है। हर साधक को त्राटक का अभ्यास करना चाहिए ताकि मन को स्थिर रहने की आदत पड सके।

जब मन स्थिर होने लगेगा तब उसकी चंचलता समाप्त होने लगेगी फिर मन अंतर्मुखी होने लगेगा इस प्रकार साधक का मन ध्यान अवस्था में एकाग्र होने लगता है। फिर साधक की ध्यान में बैठने की अवधि बढ जाती है।

Tratak Kaise Kare Guide in hindi

Dot Tratak Meditation – त्राटक करने के तरीके विभिन्न प्रकार के हैं – त्राटक आप किसी बिंदू पर कर सकते हैं (बिंदु त्राटक क्रिया), किसी देवता के चित्र, और आप शीशे के सामने बैठकर अपनी भृकुटी पर भी त्राटकर कर सकते हैं। किसी दीवार पर निशान लगाकर भी त्राटक कर सकते हैं। कुछ साधक दीपक की लौ पर भी त्राटक करते हैं।

त्राटक क्रिया में क्या होता है

अब यह देखे कि त्राटक से होता क्या है। हमारी आंखो से वृत्तियां तेजस रूप से बाहर निकलती हैं जिससे मन इधर-उधर के भोग्य पदार्थो पर भागता रहता हैं जो वस्तु उसे अच्छी लगती हैं उसी का सुक्ष्म रूप् से भोग करता हैं फिर स्थूल रूप से भोग करने के लिए अपनी इंद्रियों को प्ररित करता है,

जो हमारी आंखो से वृत्तियां तेजस रूप से निकलती हैं वह चारों ओर फैली रहती हैं वह किसी को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाती जैंसे सूर्य की किरणें लेंस द्वारा एकत्र करके एक जगह पर डालते हैं उस जगह पर एकत्र की गई किरणें आग लगाने में सामथ्र्य रखती हैं।

इसी प्रकार जब मन की किरणें एकत्र करके जब एक बिंदू पर डाली जाये वही किरणें अधिक शक्तिशाली रूप से काम कर सकती है। इस अवस्था में मन की शक्ति बहुत अधिक हो जाती है।

वह जिस व्यक्ति के उपर अपनी नजर डालेगा उस व्यक्ति से अपनी इच्छा अनुसार कार्य करा सकता है। क्योंकि जिस व्यक्ति पर नजर डाली जायेगी उसका मन त्राटक करने वाले की अपेक्षा कमजोर होगा। त्राटक करने वाले का मन शक्तिशाली होने के कारण मन तेजस रूप में दूसरे के शरीर में प्रवेष कर जाता हैं फिर दूसरे का मन अपने वश में कर लेता हैं।

त्राटक साधना की उच्च अवस्था प्राप्त करने पर सम्मोहन करने का सामथ्र्य आ जाता है। कुछ व्यक्ति त्राटक का अभ्यास शुरू में ही दीपक की लौ पर करते हैं मगर ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि दीपक के प्रकाश से आंखों में तीव्र जलन होने लगती है।

शुरुआत में किसी चार्ट को ले लें उसमें छोटा सा निशान लगा लें, बाजार में ओम लिखे चार्ट भी मिलते हैं जो सिर्फ त्राटक के लिए प्रयोग में लाये जाते है। उसे खरीद लें। सबसे पहले त्राटक के लिए ऐसी जगह चूनें जहां बिलकुल शांति हो किसी प्रकार का कौलाहल न हो, जिस स्थान पर बच्चों, मोटरों रेडियों आदि का शोर हो वहां त्राटक नहीं करना चाहिए।

त्राटक साधना करते समय कानों में किसी प्रकार की आवाज सुनाई नहीं पडनी चाहिए नही तो मन एकाग्र नहीं होगा। त्राटक के लिए कोई समय निष्चित नहीं हैं कभी भी किया जा सकता है। यदि जरूरत पडे तो रात्री के नौ-दस बजे अभ्यास कर सकते है।

त्राटक साधना के लिए आसन का प्रयोग करें उसी आसन को बिछाकर बैठें, एक बिलकुल साफ मुलायम कपडा ले लीजिए। आप रूमाल भी अपने पास रख सकते हैं यह आंसु पोंछने केे काम आयेगा। इसे त्राटक करने से पहले अपने पास रख लें।

अब सामने दीवार पर चार्ट लगा लें, चार्ट का रंग सफेद हो, चार्ट के मध्य में नीले रंग का बिंदू बना लें अथवा ओम लिख लें। जिस जगह पर बिंदू बना हैं या ओम लिखा हैं वह आपकी आंखो के सीध पर रहे ताकि आंखे न ज्यादा खोलनी पडे न कम खोलनी पडे।

दृष्टि बिलकुल सीधी पडनी चाहिए। जिस पर त्राटक करना हो जिस कमरे में आप त्राटक कर रहे हों उसमें प्रकाश न तेज रहे और न प्रकाश इतना कम रहे कि आंखो पर जोर पडे। मध्य में रोशनी हो तो अच्छा है।

आप अपने आसन को बिछाकर बैठ जाईये, जिस बिंदू पर आप त्राटक करने वाले हो वह बिंदू और आपकी आंखो की दूरी कम से कम एक मीटर की होनी चाहिए।

त्राटक साधना करते समय बिलकुल सीधे बैठिये ताकि रीढ की हडडी सीधी रहे। अब आप चार्ट पर बने बिंदू को देखिए, ध्यान रहे आपको पलक बंद नहीं करनी है। जब आप पलक बंद नहीं करेंगे तब आपकी आंखो में कुछ क्षणों बाद हल्की-हल्की थकान महसूस होगी।

ऐसा मन में आयेगा कि पलक बंद कर लूं मगर आप दृढता के साथ खोले रहिए। आपको आंखे ज्यादा देर तक खोलने की आदत नहीं थी इसलिए आंखो में जलन होने लगेगी यदि जलन ज्यादा महसूस हो तो आंखे बंद कर लीजिए।

आंखे बद करके तुरन्त मत खोलिए, थोडी देर तक बंद रखिए ताकि आंखो को आराम मिल सके। जब आंखे बद कर ले तब उन्हें खुजलाना नहीं चाहिए सिर्फ बंद किये रहना चाहिए। कुछ समय बाद आपको आराम मिल जायेगा आराम मिलने के बाद फिर पहले जैसा त्राटक कीजिए।

त्राटक साधना करते समय आपकी वृत्ति सिर्फ बिंदू पर होना चाहिए, इधर-उधर दृष्टि नही रखना चाहिए। उस समय आप अपने मन में कुछ भी न सोचिए। यहां तक की उस समय मन के अन्दर मंत्रोच्चारण भी नहीं करना चाहिए। मंत्रोच्चारण से मन कंद्रित नहीं होगा।

धीरे-धीरे थोडी जलन सहन करने की आदत डालिए। आपकी आंखो में आंसू बराबर बहते जायेंगे जब आंखो मे ज्यादा थकान और जलन महसूस हो तब आंख बंद कर लीजिए। फिर अपने साफ कपडे को कई परते तह लगाकर मोटा कर लें (रुमाल को मोडले), मोटी तह लगी कपडे से आंसु पोछ लें।

आंसु पोछते समय आंखे बंद रखिए। फिर कुछ समय तक बंद रखकर आंखो को आराम करने दें जब जलन बंद हो जाये तो आंखो को खोल लें। अब त्राटक साधना न करें। आराम से आप लेंट जायें।

एक बात का ध्यान रखें आंखों के अन्दर के आसु व बहने वाले आंसु कभी भी उस समय हाथ से न पौंछे अथवा हाथों पर हथैलियां न रगडे सिर्फ उसी मुलायम कपउे का इस्तेमाल करे क्योंकि त्राटक के कारण आंखों की बाहरी परत मुलायम हो जाती है। ऐसी अवस्था में हाथ रगडना हानिकारक हो सकता है।

इसी प्रकार दिन में कई बार त्राटक का अभ्यास करना चाहिए। इससे धीरे-धीरे त्राटक की अवधि बडती जायेगी। जब आपके त्राटक की अवधि दस-पंद्रह मिनट जो जाये तब आप त्राटक करने के बाद आंख बंद करके उसी बिंदू को देखने का प्रयास करें।

कई बार प्रयत्न करने के बाद आंखे बंद करने पर आपको वही बिंदु नजर आयेगा। वह स्थिर नहीं होगा बल्कि इधर-उधर, उपर-नीचे धीमी गति करता हुआ नजर आयेगा फिर लुप्त हो जायेगा। कुछ सप्ताहों बाद आपकी त्राटक की अवधि आधा घंटा हो जायेगी उस समय आपका मन थोडा स्थिर होने लगेगा, आंखो में ज्यादा जलन नहीं होगी।

जब आपका मन ज्यादा स्थिर होने लगेगा तो आपको लगेगा कि आपकी आंखों से पीले रंग की किरणे निकल रहीं हैं और उस बिंदू पर जा रही है। उस समय बिंदू के आसपास हलके पीले रंग का धब्बा नजर आयेगा, कभी दिखाई पडेगा कभी लुप्त हो जायेगा।

साधक को त्राटक साधना की अवधि एक घंटे तक ले जाना चाहिए।

पीले रंग का धब्बा हिलता या स्थिर नजर आयेगा उस समय ऐसा भी लग सकता हैं कि आपकी आंखो से हल्के पीले रंग के गोल-गोल छर्रे निकल कर बिंदू पर पीले रंग का गोलाकार चमकीला धब्बा बना रहे है। आपकी आंखो से निकला यह पीले रंग का प्रकाष प्रथ्वी तत्व को दर्षाता है।

यह पीले रंग का प्रकाश प्रथ्वी तत्व है। इस अवस्था में साधक का मन एकाग्र होने लगता है। यदि साधक त्राटक का अभ्यास और करे तो उसे साधना में और सफलता मिल सकती है। अब आप चार्ट को दो मीटर दूर भी कर सकते हैं।

जब आपकों चार्ट पर पीला धब्बा स्थिर नजर आने लगे, तब आप आंख बंद करके देखिए। बंद आंखो पर भी वही पीला धब्बा आयेगां कुछ समय बाद स्थिर स्थिर होकर लुप्त हो जायेगा। साधक को त्राटक का अभ्यास करते-करते महीनो गुजर जाते हैं अथवा गिनती सालों में भी आ सकती हैं। (tratak sadhana kaise karte hai)

यह साधक के अभ्यास के उपर हैं कि वह दिन मे कितनी बार त्राटक करता है। वैसे दिन में दो-तीन बार त्राटक अवश्य करना चाहिए फिर साधक की अपनी सुविधा के अनुसार, यदि साधक को त्राटक में माहिर होना हैं तो दिन में कईं बार त्राटक का अभ्यास करे।

जब उसका अभ्यास बढ जायेगा, तो पीले रंग के गोल धब्बे की जगह कभी हलके लाल रंग का धब्बा नजर सा आने लगेगा अथवा पीले रंग के धब्बे के आसपास हल्का लांल रंग भी नजर आने लगेगा। हो सकता हैं लाल रंग से पूर्व हल्का-सा हरा रंग दिखाई पडे।

यदि हरा रंग दिखाई नहीं पडेगा तो लाल रंग नजर आयेगा। बीच में पीला रंग होगा। वह हरा रंग हमारे शरीर का जल तत्त्व है। लाल रंग का प्रकाश अग्नि तत्व है। साधक का अभ्यास बहुत ज्यादा हो जाता हैं तो यही धब्बा नीले रंग में परिवर्तित हो जाता हैं।

अब आपको नीले रंग का धब्बा नजर आयेगा। साधक का उद्देश्य यही नीले रंग का धब्बा है। यह हल्का नीला रंग चमकदार दिखाई पडता है। यह आकाश तत्व का रंग है, कारण जगत से सबंधित है। यह नीले रंग की किरणे जो त्राटक के कारण आपकी आंखो से निकल रही हैं, ये किरणें अत्यंत शक्तिशाली होती है।

यदि साधक ध्यान दे तो याद होगा कि कारण शरीर का रंग भी हल्का नीला अत्यंत चमकदार होता है। यह नीले रंग की किरणे इसी शरीर का अंश समझे। धीरे-धीरे साधक को यही नीले रंग का धब्बा स्थिर करना चाहिए।

जब साधक नीले रंग के धब्बे को स्थिर कर लेता हैं, तो समझो साधक का मन भी स्थिर हो जाता है। यह स्थिति साधक में सालों बाद आयेगी।

जब साधक को अपनी आंखो द्वारा नीली किरणें दिखाई पडने लगें, और किसी केंद्र पर स्थिर करने का अभ्यास हो जायें, तो साधक के अंदर असाधारण शक्ति आने लगती है। किसी व्यक्ति पर दृष्टिपात करके, उस व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार चला सकता है।

जिस जगह भीड पर वह दृष्टि डालेगा और अच्छा करेगा तो वह भीड दृष्टिपात कर्ता की ओर आकर्षित हो जायेगी। क्योंकि उसके द्वारा निकली अत्यंत शक्तिशाली किरणें भीड में सभी लोगों के शरीर के अंदर प्रवेश कर जायेंगी, और ये शक्तिशाली किरणें उन व्यक्तियों के मस्तिष्क में प्रभावित करेंगी, जिससे सभी व्यक्ति उस द्रष्टिपात कर्ता की और प्रभावित हो जायेंगे।

किसी भी साधारण व्यक्ति का मन निर्बल होता है। त्राटक के साधक का मन अत्यंत सशक्त होता है। सशक्त मन होने के कारण निर्बल मन पर अधिकार कर लेता है। त्राटक करने वाले की आंखे बहुत तेज हो जाती है। उन्हें आंखो का रोग नहीं लगता है।

यदि कोई मनुष्य दृष्टि कमजोर होने के कारण चश्मा लगाता है तो त्राटक करने से उसका चश्मा लगाना बंद हो जायेगा। बिना चश्मे के साफ दिखाई देने लगेगा। त्राटक करने वाले साधक को बुढापे तक चश्मे की जरूरत नहीं पडती है।

मगर त्राटक वही करे, जिसकी आंखो में किसी प्रकार का रोग नहीं हो। यदि किसी प्रकार का आंखो का रोग है, पहले चिकित्सक से रोग ठीक करवा लें, अथवा चिकित्सक से सलाह ले लें, तब त्राटक की शुरुआत करें (tratak kriya kaise kare)

क्योंकि रोगी आंखो से त्राटक करने पर उसका रोग आंखो के अंदर जा सकता है। जब आंखो में किसी प्रकार का रोग न हो तब त्राटक करें। फिर आंखें रोगी नहीं होगी। साधक को यदि अपनी आंखे अत्यंत तेजस्वी करनी हैं तो चार्ट के बिंदु का त्राटक छोडकर मोमबत्ती की लौ पर त्राटक का अभ्यास साधक को क्रमषः आगे बढाना चाहिए।

दीपक त्राटक क्रिया (Candle Trataka in Hindi)

Candle trataka – (Deepak ki lo par tratak kriya) इसलिए पहले चार्ट पर फिर मोमबत्ती की लौ पर अभ्यास करना चाहिए। यदि दीपक के लौ पर अभ्यास करना हैं, तो घी के दीपक से अभ्यास करें तो अच्छा हैं, क्योंकि घी का दीपक जलाने पर कार्बन-डाइऑक्साइड नहीं निकलती है।

जिस लौं ज्योंति से कार्बन डाइआक्साइड न निकले, उस लौ ज्योंति पर अभ्यास करना चाहिए। कार्बन डाइआक्साइड से साधक को हानि पहुंच सकती है। श्वास द्वारा यह गैस साधक के शरीर में प्रवेष करेगी तथा आंखो को भी नुकसान पहूंचा सकती है।

जब दीपक की लौ पर अभ्यास करें तो कमरें में पूरी तरह से अंधकार होना चाहिए। कमरे का पंखा बंद कर दें। बाहर से भी हवा का प्रभाव नहीं होना चाहिए। दीपक की लौ हिले नहीं, लौ स्थिर होनी चाहिए। जिस प्रकार पहले बिंदू पर त्राटक करते थे, उसी प्रकार दीपक की लौ के उपरी नोक पर पूर्ण अंधकार में शांत वायु में त्राटक करना चाहिए।

शुरुआत में दीपक की लौ और आपकी आंखो की दूरी एक मीटर होनी चाहिए। लौ पर त्राटक करने के कुछ समय बाद आपकी आंखो में तीव्र जलन होगी। आंसू भी निकल आएंगे। यदि आपका बिंदु पर त्राटक अभ्यास एक घंटे का होगा, तो लौ पर त्राटक करने पर 15-20 मिनट आंखो में जलन व दर्द हो जायेगा।

इसी प्रकार लौ पर त्राटक का अभ्यास 30-40 मिनट तक किया जाना चाहिए। यदि एक घंटे का अभ्यास हो जाये तो और भी अच्छा है। इस अवस्था में साधक की आंखे बहुत तेजवान हो जायेंगी।

पेड़ पर त्राटक क्रिया (Tratak on Tree in Hindi)

जब साधक का लौ पर अभ्यास एक घंटे का हो जाये तो त्राटक का अभ्यास अब पेड पर करना चाहिए। साधक को यह अभ्यास गांव के बाहर या शहर के बाहर करना चाहिए। दूर एकांत में निकल जायें, अपने से दूर पेड के सबसे उपरी सिरे पर जो नोक के समान प्रतीत हो उस पर त्राटक करें।

शांत बैठकर पेड के सबसे उंचे सिरे पर नुकीले भाग को देखें। इससे आपको दूर का त्राटक सिद्ध होगा। कुछ समय बाद जिस भाग पर आप त्राटक कर रहे हैं, उसके पीछे आकाश में आपको पीले रंग का धब्बा दिखने लगेगा।

जब आपका अभ्यास ज्यादा हो जायेगा, तो आकाश में पीले धब्बे के स्थान पर नीले रंग का धब्बा आयेगा। यह नीला धब्बा आपके आंखो द्वारा निकला हुआ तेज है। इसके बाद सूर्य का त्राटक करना चाहिए।

सूर्य त्राटक क्रिया (Sun Trataka Meditation in Hindi)

सूर्य के त्राटक का बहुत बडा महत्व है। किसी भी साधक को सूर्य का त्राटक एकदम नहीं करना चाहिए। क्रमषः बिंदू और दीपक पर त्राटक करने के बाद करें तो अच्छा है। क्योंकि सूर्य का प्रकाश बहुत तेज होता है।

आंखे खराब भी हो सकती हैं। जिसने लौ पर त्राटक कर लिया उसकी आंखे खराब होने का डर नहीं है। सूर्य पर त्राटक करने के लिए पहले उगता हुआ सूर्य देखें, फिर सूर्यास्त के समय त्राटक का अभ्यास करना चाहिए।

शुरुआत में आधे घंटे का अभ्यास रूक-रूक कर करना चाहिए। जिससे आंखो पर गलत प्रभाव न पडे। फिर अपनी क्षमतानुसार अपना समय बढा दें। जिस समय आप सूर्य का त्राटक का अभ्यास कर रहे हों, उस समय यदि आप इधर-उधर किसी वस्तु पर दृष्टि डालेंगे तो वह वस्तु आपको हल्के नीले रंग के तेज प्रकाश में दिखाई देगी।

यदि आप अपनी दृष्टि किसी पुरूष पर डालेंगे तो वह आपको नीले रंग के प्रकाश में दिखाई पडेगा। यदि आप अपनी दृष्टि उसके सिर पर डालें और आप अपने मन में सोचें कि आप हमारे पास आइए तो वह व्यक्ति आपके पास आ जायेगा। हो सकता हैं तुरंत न आये।

आप कई बार यही संकेत उसके पास भेजिए, तो वह तुरंत आ जोयगा। वैसे यह सब हमें नहीं लिखना चाहिए। वह क्रिया सम्मोहन विद्या में आती है। लेकिन साधक को जानकारी हो जायें, इसलिए यहां पर उल्लेख किया।

सम्मोहन विद्या से साधक का कुछ लेना-देना नही है। उसे आत्मसाक्षात्कार की ओर जाना है। सूर्य त्राटक करने वाले साधक की आंखे बहुत तेज हो जाती है। उसकी आंखो में विशेष चमक आ जाती है। साधक को साधना में सहायता के लिए बिंदू का त्राटक पर्याप्त है। यदि उसके पास समय हो तो त्राटक बिंदू से आगे करना चाहिए। अभ्यास ज्यादा होने पर उपयोगी रहेगा।

साधक को भविष्य में यदि गुरू पद पर जाना हैं अथवा वह योग का मार्गदर्षक बनना चाहता हैं, मार्गदर्षन करने की सारी योग्यताएं उसके पास हैं, तो मैं ऐसे साधकों से कहूंगा कि अवष्य त्राटक में महारथ हासिल करना चाहिए।

शक्तिपात और गुरु

इससे शक्तिपात करने की क्षमता बढ जायेगी। किसी भी दूर बैठे साधक पर आंखो द्वारा आप शक्तिपात कर सकते हैं। आप कुण्डलिनी भी आंखो के द्वारा शक्तिपात से उठा सकते हैं। ऐसा साधक शक्तिशाली हो जाता है।

मगर साधकों, मैं अवष्य यह लिखना चाहूंगा कि यदि आपकी कुण्डलिनी पूर्ण यात्रा कर चुकी हैं और कुण्डलिनी स्थिर भी हो गयी हैं तो भी आप बराबर समाधि का अभ्यास करते रहिए। तथा सूर्य पर त्राटक करते रहिए।

आपकी आंखो पर शरद ऋतु में सूर्य का दोपहर के समय किसी प्रकार का अवरोध नहीं होगा। बल्कि सूर्य आपको चन्द्रमा के समान हल्के प्रकाश वाला दिखाई देगा। क्योंकि आपकी आंखो द्वारा निकली नीली रंग की किरणों सें सूर्य का प्रकाश प्रभावहीन दिखाई देगा।

जहां तक मेरा त्राटक का अनुभव है किसी समय हमने बहुत ज्यादा अभ्यास किया था। अपने साधना काल में तो त्राटक किया करता था, मगर साधना पूर्ण होने पर भी त्राटक का अभ्यास बहुत किया था। मैंने त्राटक में महारत कुण्डलिनी स्थिर होने के बाद ही पायी थी।

योग गुरु आनंद जी के अनुभव

Yogi Anand Ji

Tratak meditation experience in hindi – उस समय मैं मिरज आश्रम से घर आ गया था। पहले शाकम्भरी में सहारनपुर अभ्यास करता था। फिर शाकम्भरी से घर वापस आ जाने पर अभ्यास करने लगा। घर पर ग्रीष्म काल में सूर्य पर त्राटक सूर्य निकलने से दस बजे तक किया करता थां फिर सूर्यास्त से पूर्व किया करता था।

सुबह कई घंटे सूर्य पर त्राटक करने से हमारी आंखे बहुत तेजस्वी हो गयी थी। ग्रीष्मकाल में सुबह से ही सूर्य तेज चमकने लगता है। सूर्य पर त्राटक के समय सदैव आंखे खुली नहीं रहती थी। बीच में आंखे बंद करना पडती थी। (Tratak ke anubhav)

क्योंकि आंखो में तीव्र जलन होती थी। उस समय हमारी आंखो से दूसरा पुरुष ज्यादा देर आंखे नहीं मिला सकता था, क्योंकि हमारी आंखो से अत्यंत तेजस्वी किरणें निकला करती थीं।

उस समय हमें सदैव अत्यंत तेजस्वी नीले रंग का दूर सामने गोला दिखाई पडता था। मेरी आंखो से किरणें निकल रही हैं, यह भी हम प्रत्यक्ष दिखाई देता था। क्योंकि उस समय हमारी साधना बहुत तीव्र चल रही थी।

प्राणायाम भी बहुत करता था। शरीर बिल्कुल शुद्ध हो गया था, मगर ज्यादा त्राटक के कारण हमें परेशानी होने लगी। जिस स्थान पर हमारी दृष्टि पडती थी उस स्थान पर नीले रंग का तेजस्वी गोलाकार धब्बा दिखाई पडता था।

नीले रंग के धब्बे के कारण हमें स्थूल वस्तु उस स्थान की नहीं दिखाई पडती थी, क्योंकि नीला प्रकाश नजर आता था। यदि हमारे सामने व्यक्ति आ रहा होता तो उसका चेहरा हम नहीं देख सकते थे, क्योंकि वही चमकीले नीले रंग का गोलाकार धब्बा दिखाई देता था। उस पुरूष का चेहरा नजर नहीं आता था।

उस समय मैं किसी व्यक्ति को भी नहीं पहचान सकता था। यदि मैं अखबार पढता तो यहां भी अवरोध आता था। जिस जगह दृष्टि पडती थी उस स्थान पर नीले प्रकाष का धब्बा नजर आता था। शब्द दिखाई नहीं देते थे, अखबार पढना बंद हो गया था।

मैं कुछ भी लिख नहीं सकता था। हाॅं त्राटक के कारण कभी-कभी हमें अपने शरीर के अंदर के अंग दिखाई पडने लगते थे। सच तो यह हैं कि यह अंग सूक्ष्म शरीर के अंदर विद्यमान रहते हैं, वह दृष्टिगोचर होते थे।

मैं खुली आंखों से अपने मस्तिष्क की सूक्ष्म कोशिकाओं को देख लेता था। बस, कुछ सेकेंड दृष्टि स्थिर करनी पडत थी। जब मैं आकाश में देखता, तो आकाश में नीले रंग के धब्बे के केंन्द्र में अत्यंत तेजस्वी बिन्दु (रंगहीन) सुई की नोंक के बराबर आकाश चमक जाता था और उसी समय लुप्त हो जाता था।

इस अत्यंत तेजस्वी रंगहीन बिन्दु के सामने सूर्य का प्रकाश नगण्य है। यह बिन्दु महाकारण जगत का था। महाकारण जगत सगुण ब्रह्म (ईष्वर) है। आपको पढने में आष्चर्य होगा मगर यह सत्य हैं उस समय हमारी दिव्यदृष्टि त्राटक के कारण खुली स्थूल आंखों से कार्य करती थी।

एक बार मैं दोपहर के समय में सूर्य पर त्राटक करके कमरे में लेटा था। कुछ समय बाद हमें नीले रंग के कण कमरे में उडते दिखायी दिये। यही कण ज्यादा मात्रा में हो गये। ऐसा लगा कमरे में नीले रंग का हल्का प्रकाश भरा है।

अब हमें अपने कमरे की छत व दीवारें दिखायी देना बंद हो गयीं। मेरी आंखें खुली थी, मगर मैं स्थूल वस्तु नहीं देख सकता था। काफी समय तक ऐसा बना रहा। मुझे त्राटक के कारण स्थूल वस्तुएं न दिखने के कारण बडी परेशानी होने लगी।

मैंने त्राटक बंद कर दिया। सूर्य सदैव चंद्रमा की तरह दिखाई पडता था त्राटक के समय। साधकों, त्राटक के विषय में यह मेरा स्वयं का अनुभव है। उस अवस्था में मैं खुली आंखो से किसी भी व्यक्ति के विषय में जान सकता था। मगर आप सभी को इतना अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं है। मैं उस समय किसी वस्तु की खोज कर रहा था, इसलिए इतना त्राटक करना जरूरी था।

उम्मीद है दोस्तों आपको त्राटक कैसे करे इस साधना के बारे में पढ़कर बहुत लाभ मिला हो। Tratak meditation in hindi अगर आपके मन में त्राटक से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप योगी आनंद जी से संपर्क कर सकते हैं। हम उनकी Contact Details को निचे दे रहे है।

11 Comments

  1. armaan May 9, 2017
    • Ask Your Question May 10, 2017
    • kumar January 31, 2018
  2. Akash June 12, 2017
    • Ask Your Question June 15, 2017
  3. gawali sachin March 15, 2018
  4. Amit September 14, 2018
  5. Pradeep Kumar October 28, 2018
  6. Pingback: bindu tratak sadhna December 8, 2018
  7. Aniket kant January 8, 2019
    • HindiMind January 12, 2019
  8. ashutosh gupta January 15, 2019

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