The Sikandar Story in Hindi
Motivational Message from Sikandar
जब Sikandar की मौत (Death) हुई। नगर के लाखों लोग रास्तों पर खडे हुए थे, उसकी अर्थी का इंतजार कर रहे थे। अर्थी महल से बाहर निकली, वह जो खडे हुए लाखों लोग थे, उन सबके मन में एक ही प्रश्न था, उन सब की बात में एक ही प्रश्न और जिज्ञासा पूरे नगर में फैल गई, बडे आश्चर्य की बात हो गई थी, ऐसा कभी नहीं हुआ था?
अर्थीयां तो रोज निकलती होंगी, रोज कोई मरता है। लेकिन सिकंदर की अर्थी निकली थी तो यह बात हो गई थी वह बडी अजीब थी। अर्थी के बाहर सिकंदर के दोनों हाथ बाहर लटके हुए थे। हाथ तो भीतर होते हैं अर्थी में क्या कोई भूल हो गई थी, कि हाथ अर्थी के बाहर लटके हुए थे ?
लेकिन सिकंदर की अर्थी और भूल हो जाए यह भी संभव न था। और एक-दो लोग नहीं; सैकडों लोग महल से उस अर्थी को लेकर आए थे। किसी को तो दिखाई पड गया होगा, हाथ बाहर निकले हुए हैं।
सारा गांव पूछ रहा था कि हाथ बाहर क्यों निकले हुए हैं ? सांझ होते-होते लोगों को पता चला। सिकंदर ने मरते वक्त कहा था, मेरे हाथ अर्थी के भीतर मत करना, सिकंदर ने चाहा था।
उसके हाथ अर्थी के बाहर रहें ताकि सारा नगर यह देख ले कि उसके हाथ भी खाली हैं। हाथ तो सभी के खाली होते हैं मरते वक्त, उनके भी जिनको हम सिकंदर जानते हैं उनके हाथ भी खाली होते हैं। लेकिन सिकंदर को यह खयाल, उसके खाली हाथ लोग देख लें जिसने दुनिया जितनी चाही थी, जिसने अपने हाथ में सब कुछ भर लेना चाहा था, वह हाथ भी खाली हैं, यह दुनिया देख लें।
सिकंदर को मरे हुए बहुत दिन हो गए। लेकिन शायद ही कोई आदमी अब तक देख पाया है कि सिकंदर के हाथ भी खाली हैं, और हम सब भी छोटे-मोटे सिकंदर हैं और हम सब भी हाथों को भरने में लगे हैं, लेकिन आज तक कोई भी जीवन के अंत में क्या भरे हुए हाथों को पा सका है।
अधिकतम लोग असफल मरते हैं। यह हो सकता है कि उन्होंने बडी सफलताएं पाई हों संसार में, यह हो सकता है उन्होंने बहुत यश और धन पाया हो, लेकिन फिर भी असफल मरते हैं क्योंकि हाथ खाली होते हैं मरते वक्त, भिखारी ही खाली हाथ नहीं मरते, सम्राट भी खाली हाथ ही मरते हैं।
तो फिर यह सारी जिंदगी का श्रम कहां जाता है ? अगर सारे जीवन का श्रम भी संपदा न बन पाये और भीतर एक पूर्णता न ला पाये तो क्या हम रेत पर महल बनाते रहते हैं, या पानी पर लकीरें खींचते रहे हैं, या सपने देखते रहते है और समय गंवाते रहते है।
Sikandar Ki Kahani Kisse
सिकंदर की कहानी तुम आजाद हो में कैदी
सिकंदर के सिपाहियों ने लूटेरों के सरदार को अथक प्रयास कर आखिर में पकड़ ही लिया और उसके सामने पेश किया। सिकंदर यह देख कर हतप्रद रह गया की उस सरदार के चेहरे पर डर का निशान तक नहीं थी। वह बिलकुल निडर हो कर सिकंदर के सामने खड़ा था। लूटेरों के सरदार से वह बोला, ‘यदि तुम चाहो तो माफ़ी मांगकर मुक्त हो सकते हो, वरना तुम्हें भोले-भाले लोगों को लूटने के इल्जाम में सजा भुगतनी पड़ेगी’, निर्भीक सरदार बोला, मुझे मौत का कतई भय नहीं है, जो आया है, उसे एक-न-एक दिन इस संसार से जाना ही पड़ेगा। फिर एक लूटेरे का दूसरे लूटेरे को दंड देना या क्षमा करने का हक़ ही क्या है ?
सिकंदर ने चौंक-कर पूछा, ‘क्या में तुम्हें लूटेरा नजर आता हूँ ?’ लूटेरे सरदार ने प्रत्युत्तर देते हुए कहा, ‘इसमे क्या शक है ? यदि में राह चलते लोगों को लूटता हूँ तो तुम भी तो राज्यों को लूटते हो। जो कार्य में लघु स्तर पर करता हूँ, वही कार्य तुम व्यापक स्तर पर करते हों, यदि कोई अंतर है तो वह यह की तुम आजाद हो और में कैदी’, इतना सुनकर सिकंदर निरुत्तर हो गया और लूटेरे सरदार को मुक्त कर दिया।
सच है आज भी इस ज़माने में यही हो रहा हैं, पाप सब कर रहे हैं, भेद सिर्फ मात्रा का हैं, हमारे सत्य की भी एक मात्रा है की इतना-इतना हैं तो यह सत्य हैं, और अगर इतना-इतना गलत किया तो यह गलत हैं। हम सत्य को कैसे जान सकते हैं। दीया तलें अंधेरा, दीया चाहें उसके पास की जगह को चमका दें लेकिन उसके नीचे ही अंधेरा होता हैं, वह खुद अंधेरे में होता हैं।
Sikandar Ki Short Biography
मात्र 20 साल की उम्र में Sikandar मैसिडोनिया का राजा बन गया था। Sikandar का जन्म पेला में जुलाई 356-BC को हुआ था। उनके पिता का नाम फिलिप और माता का नाम ओलंपिया था। उनका विवाह रुखसाना के साथ हुआ था। बेबीलोन में 323-BC को पोरस के साथ हुये युद्ध के जानलेवा घाव और तेज बूखार के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी।
उम्मीद करते हैं आपको सिकंदर की यह कहानी अच्छी लगी हो। यह कहानी उस समय की है जब सिकंदर भारत को जीतने आया था, पर पोरस से हार कर वापिस अपने घर भी ना जा पाया, रास्ते मे ही उसकी मौत हो गयी।
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