Science Behind Fasting
उपवास के पीछे एक गुढ आध्यात्मिक विज्ञान है। जिसने हमें इस सत्य के विषय में स्मरण कराया, जब उन्होंने कहा- मनुष्य केवल रोटी से जीवित नही रहेगा। आपको धरती से दो चीजें बांधे रखती है। श्वास और रोटी। और नींद में आप श्वास और भोजन दोनों की जरुरत के प्रति शन्तिपूर्वक अंजान रहते है। आपकी आत्मदेह चेतना से पृथक हो जाती है।
ऐसे ही उपवास मन को उन्नत करता है। उपवास के द्वारा अपने मन को इसकी अपनी शक्ति पर निर्भर रहने दें जब वह शक्ति व्यक्त हो जाती है तब शरीर चारों ओर की ब्रह्मांडीय उर्जा, मेरु-शीश मेडुला द्वारा प्रवेश करके मस्तिष्क और मुरूदण्ड में निरंतर प्रवाहित होते हुए अनन्त उर्जा के साथ शरीर की जीवन शक्ति को निरंतर बढाते हुए सदृढ़ करती है।
शरीरिक पोषण के भौतिक स्त्रोतों पर निर्भरता से अलग होकर जीवन शक्ति को लगता हैं कि इसका पोषण अंदर से हो रहा है और उसे आश्चर्य होता हैं कि ऐसा कैसे हो रहा है, तब मन कहता है ठोस पदार्थ जिन पर शरीर निर्भर रहने को आदि हो गया था वे उर्जा के घनिभूत स्थूल रूप के कुछ नही है।
आप शुद्ध उर्जा हैं और शुद्ध चेतना है। तब मन जीवन शक्ति की चेतना को जो आदेश देता है उसी के अनुसार वह व्यक्त होगी। मन की शक्ति से कुछ भी किया जा सकता है।
अतः आपने जाना कि मन और आपके अन्दर सर्वशक्तिमान जीवन के प्रति यह कहना कितना अन्याय पूर्ण हैं कि आप भोजन के बिना जीवित नहीं रह सकते। अपने जीवन को भोजन और कष्टों से अप्रभावित बनायें स्वयं पर विजय पायें, लंबे उपवास के द्वारा आप जान जाते हैं कि मन ही सब कुछ है।
जिस तरह सपने में हर एक़ वस्तु का बोध आपके मन की रचना हैं उसी प्रकार ब्रम्हाण्ड में प्रत्येक शक्ति और वस्तु मन की रचना है। चेतन स्तर पर भी यदि आपके मन में यह विचार उत्पन्न हो गया हैं कि उपवास से शरीर कमजोर हो जायेगा तो यह वास्तव में कमजोर हो जायेगा |
अथवा यदि आप उपवास रख रहे हैं क्षण भर के लिए भी यह सोच लें कि यह आपको कमजोर बना रहा हैं तो भी शरीर वास्तव में कमजोरी अनुभव करेगा।
लेकिन आप अपने मन को दृढ कर लें कि शरीर बलिष्ठ हैं जो यह कोई कमजोरी अनुभव नही करेगा बल्कि यह अत्यधिक शक्ति का अनुभव करेगा। अधिकतर लोग यह नहीं जानते क्योंकि उन्होंने इसका कभी परिक्षण नही किया।
मन अपने चमत्कार तब तक नही दिखायेगा जब तक आप इसे काम करने के लिए विवश नही कर देते और जब तक आप भौतिक वस्तुओं पर अधिक निर्भर रहेंगे यह कार्य नहीं करेगा।
इसलिए साधारण दृष्टि से इसके अदभूत चमत्कार छिपे रहते है। लेकिन जब उपवास के द्वारा आप मन पर निर्भर रहना सीख लेते हैं तो यह प्रत्येक वस्तु पर कार्य करेगा चाहे रोग पर वियज पाना हौ या जीवन के परम लक्ष्य ईश्वर को पाना हो। या जीवन में किसी क्षेत्र में सफलता पानी हो तो उसमें भी आपका मन सहायक हो सकता हैं।