Rahu Ketu Short Story
पाप छुपाए नहीं छुपता
एक़ दिन वह किसी भी स्वरूप् में सामने आता ही है। इसी तरह छल भी अपना परिणाम देता ही है। छल-कपट का एक प्रसिद्ध प्रसंग है। इसका सबंध सूर्य और चंद्र ग्रहण से भी है। पुराणों में चर्चा आती हैं कि नौ ग्रहों मे एक ग्रह Rahu भी है। समुद्र मंथन के समय राहु देवताओं के बिच छल-कपट की नीयत से आ बैठा था।
समुद्र मंथन में चौदह रत्न निकले थे उनमें अम्रत भी निकला था। जब मोहनी रूप् धारण कर भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिला रहे थे उसी समय राहु भी देवताओं जेसा रूप् धारण कर छल से देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और उसने देवताओं के साथ-साथ अमृत पान कर लिया।
छलीया राहु को सूर्य और चंद्रमा ने ऐसा करते हुए देख लिया उन्होंने भगवान विष्णु को तत्कल इस धोखे की जानकारी दी। परिणामस्वरूप् क्रोध में आकर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से राहु का सिर काट दिया लेकिन चुकि तब तक राहु अमृतपान कर चुका था अतः उसकी मृत्यु नहीं हुई उसका मस्तक वाला भाग राहु और धड वाला भाग केतू के रूप् मेें प्रसिद्ध हो गया।
देवताओं के साथ छल-छदम का दुष्परिणाम तो आखिरकार राहु को भुगतना ही पडा लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपने दुष्कर्म पर पछताप भी नहीं होता। चुकि चन्द्रमा और सूर्य ने राहु को ऐसा करते पकडा था तब से राहु उनसे बैर रखता हैं और समय आने पर सूर्य और चन्द्रमा को केतु और राहु के रूप् में ग्रस लेता है।
इसलिए जरूरी हैं कि छल कपट से भरे लोगों द्वारा किये गये व्यवहार से हम सावधान रहें यदि वे अपने बुरे इरादों में कामयाब हो जाऐ तो उनके दुष्कर्मो का ग्रहण व्यक्ति पर पडता ही है।