मंत्र जाप करने की विधि – मंत्र साधना कैसे करे (Detailed Guide in Hindi)

जानिये मंत्र साधना की सही विधि, सही तरीके से मंत्र जाप कैसे करे आदि। क्योंकि आज कल बहुत से व्यक्ति मंत्र उच्चारण करते हैं और कहते हैं हमें इससे कुछ लाभ नहीं मिला, इसका कारण होता है। उनका मंत्र जाप करने का तरीका बिलकुल गलत होता है, और अगर सही विधि से मंत्र साधना और जाप नहीं किये जाए तो मंत्र साधना असफल ही होती हैं। इसलिए मंत्र जाप करने से पहले जरुरी हैं की आप इसके सारे रहस्यो के बारे में अच्छे से जान लें।

दोस्तों सिद्ध योगी आनंद जी आपको मंत्र शक्ति के संबंध आगे पूरी जानकारी देंगे। योगी आनंद जी एक सफल साधक व योगी हैं। वह साधको को मार्गदर्शन करते हैं, अगर आपको उनसे कोई सवाल पूछना हो तो पूछ सकते हैं।

Detailed Mantra Sadhana Vidhi Kaise Kare in Hindi

mantra sadhana kaise kare

Mantra Power

Mantra Sadhana in Hindi – मंत्र जाप स्वयं अपने आप में मंत्र योग है। साधकों को उच्चतम साधना के लिए जरुरी हैं, वह मंत्र योग की सहायता लें। मंत्र योग में मंत्र जाप करना होता है। मंत्र के जाप से शक्ति उत्पन्न होती है। इससे आसपास का क्षेत्र भी पवित्र होता हैं।

साधक के अंदर शुद्धता भी बढती है। मंत्र जाप जितना ज्यादा किया जायेगा, साधना में सफलता उतनी शीघ्र मिलेगी। मंत्र जाप करने से पहले मंत्र बोलने की विधि सीख लेनी चाहिए। मंत्र बोलते समय मंत्र का उच्चारण सही रूप से होना चाहिए तथा मंत्र बोलेन का भी विशेष तरह का तरीका होता है।

यह तरीका किसी अनुभवी व्यक्ति से सीखना चाहिए क्योंकि मंत्र बोलने का एक विशेष प्रकार का उतार-चढाव होता हैं। जब तक मंत्र विधि पूर्वक नहीं बोला जायेगा तो वह ज्यादा फलित नहीं होगा। इसलिए मंत्र का उच्चारण विधिपूर्वक वह सही करना चाहिए।

मंत्र का उच्चारण कभी गलत नहीं होना चाहिए। यदि मंत्र का उच्चारण गलत किया जायेगा तो मंत्र के द्वारा हानि भी पहूंच सकती है। मैंने कई जगह देखा हैं कि मंत्र बोलने का तरीका सही नहीं था। मंत्र सामूहिक रूप से बोला जा रहा था।

मंत्र बोलने का निष्कर्ष भी बहुत गलत निकाला जा रहा था। मंत्र बोलने वालों को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल रहा था। मैंने अपनी दिव्यदृष्टि से देखा मंत्र बोलने का लाभ तामसिक शक्तियां उठा रहीं थी। वहां पर स्थित सूक्ष्म रूप से तामसिक शक्तियां हवन की सामग्री खा लेती थी तथा मंत्र गलत बोलने के कारण, मंत्र का मूल अर्थ से भिन्न अर्थ निकल रहा था।

उस मंत्र से सात्विक शक्ति निकलने के बजाय तामसिक शक्ति निकल रहीं थी। वहां पर स्थित तामसिक शक्तियां उस तामसिक शक्ति को ग्रहण कर लेती थी। मंगर मंत्र बोलने वालों को इस विषय में मालूम नहीं था क्योंकि वह साधारण पुरुष थे।

मंत्र जाप और साधना करने की सही विधि

Mantra in Hindi

मंत्र बोलने का ढंग कई प्रकार का होता है। एक मंत्र का उच्चारण जोर-जोर से करना। 2, मंत्र का उच्चारण धीमी आवाज में करना। 3, मंत्र का उच्चारण मन के अंदर करना। जोर-जोर से मंत्र का उच्चारण करना मंत्र की पहली अवस्था है।

इस प्रकार मंत्र जाप करने से साधक का मन एकाग्र होने लगता है, तथा आसपास के वातावरण में पवित्रता आने लगती है। मगर इसका फल कम मिलता है क्योंकि इसमें मन ज्यादा एकाग्र नहीं हो पाता है। मंत्र की आवाज इतनी होनी चाहिए कि आपकी आवाज से किसी दूसरे को अवरोध न हो।

हमारे द्वारा मंत्र जाप का यह अर्थ नहीं होना चाहिए कि अपने आप के खातिर दूसरे को परेशानी पहूंचे। धीमी आवाज में मंत्रोच्चारण करना चाहिए। इसका फल मध्यम श्रेणी का होता है। इसमें सिर्फ ओठ मिलते हैं और मूंह से निकलने वाली आवाज मंत्रोच्चारण करने वाले को ही सुनाई देती है।

इस अवस्था में साधक का मन एकाग्र ज्यादा होता है। इसका फल भी पहली अवस्था से ज्यादा मिलता है। किसी दूसरे को हानि भी नहीं पहूंचती है। मंत्र जाप करने का सबसे अच्छा तरीका हैं कि उसका मंत्र जाप अंतःकरण में चले।

यह अवस्था साधक में सबसे बाद मे आती है। साधक को यही अवस्था लानी चाहिए इस अवस्था में मन बिल्कुल एकाग्र होता है। इसका फल भी पूरा मिलता है। साधक में किसी प्रकार की बाहरी हलचल नहीं होती है।

साधक बिल्कुल शांत बैठा रहता है। साधक को धीरे-धीरे इसी प्रकार का जाप करना चाहिए। यदि साधक शुरुआत से ही आंखें बंद करके मंत्र जाप करने लगेगा, तो उसका मन तुरंत एकाग्र नहीं होगा क्योंकि मन तो चंचल है।

Experience Of Mantra Jaap Sadhana By Yogi Anand Ji

इसलिए धीरे-धीरे अभ्यास करना चाहिए। मंत्र जाप करते समय आधार के लिए माला का प्रयोग किया जाता है। इससे साधक अपना एक लक्ष्य बना लेता हैं कि हमें इतनी मात्रा (गिनती) में जाप करना है। लेकिन मन के अंदर जाप करते समय माला से गिनती नहीं हो पाती है।

अर्थात माला आगे खिसकाना रूक जाता हैं, अथवा हाथ से छुट जाती है। क्योंकि मन एकाग्र होने लगता है। जब मन एकाग्र होने लगता हैं तब माला की गुरिया आगे बढाने की याद नहीं रह जाती है। जब तक माला चलती रहे तो यह समझ लो मन एकाग्र नहीं हुआ है।

वैसे यह क्रिया धीमी आवाज में जाप करने पर भी हो जाती है। उसमें भी मन एकाग्र होने लगता है। मगर मंत्र जाप का फल अवश्य मिलता है। हर एक मंत्र का अपना अलग-अलग देवता होता है। मंत्र जाप करते समय साधक को बहुत जरूरी हैं कि उस मंत्र के देवता के स्वरूप का काल्पनिक रूप से अवलोकन करें। इससे मन एकाग्र होने में सहायता मिलेगी।

आजकल कुछ मनुष्यों का कहना हैं कि मंत्रो में कुछ भी शक्ति नहीं होती है। हमने तो हजारो-लाखों जाप किये मगर उसका फल नहीं मिला? मंत्र जाप करने का फल क्यों नहीं मिला अथवा मन क्यों स्थिर नहीं हुआ।

यह कारण अगर वह ढूंढे तो जवाब जरूर मिलेगा। कारण यह भी हो सकता हैं, मंत्र जाप करते समय आपका उच्चारण सहीं न हो। आपके अंदर का विश्वास कमजोर हो सकता है। मंत्र जाप करते समय अपने कार्य पर विश्वास पूर्ण रूप से होना चाहिए, फिर सफलता जरूर मिलेगी।

संदिग्ध बिल्कुल नहीं रहना चाहिए। आपके मन व शरीर में शुद्धता नहीं होगी। मन व शरीर में शुद्धता होनी अति आवश्यक है। जब तक शुद्धता नहीं आयेगी तो आपके द्वारा बोला गया मंत्र कितना प्रभावी होगा यह कहना मुष्किल है।

अगर मंत्र का उचित फल लेना हैं तो साधक को शुद्ध रहना अति आवश्यक है। यही कारण हैं कि आजकल के व्यक्ति स्वयं तो शुद्ध नहीं रहते हैं और मंत्र को दोष देते हैं कि अब इस मंत्र में शक्ति नहीं रह गयी।

सच तो यह हैं मंत्र में इतनी शक्ति हैं कि आज भी मंत्रोच्चारण से उस मंत्र का देवता उपस्थित हो जाता है। मगर उस देवता के दर्शन करने के लिए दिव्यदृष्टि होना जरूरी है। क्योंकि बिना दिव्यदृष्टि के देवता दिखाई नहीं पडेगा।

Mantra Sadhana Experience in Hindi

उसके शरीर की संरचना अत्यंत सूक्ष्म कणों द्वारा निर्मित है। इसलिए चर्म चक्षु नहीं देख सकते हैं। जो मंत्र बोला जाता हैं उस मंत्र के प्रभाव से वायु मंडल में कंपन्न होता है। जब मंत्र का प्रभाव अभ्यास के द्वारा सूक्ष्म होता है, तो वायुतत्व में कंपन्न होने से वह कंपन्न देवता तक पहूंचता है।

जब मंत्र का प्रभाव उस देवता तक पहूंचता हैं तब वह देवता मजबूर हो कर साधक के सामने उपस्थित हो जाता है। यह क्रिया उस समय होती हैं जब मंत्र सिद्ध हो जाता है।

आदिकाल के ऋषि-मुनी अपने द्वारा बोले गये मंत्र बल पर कुछ भी कार्य करने में सफल होते थे। क्योंकि स्वयं उनके अंदर अत्यंत शुद्धता होती थी। तथा दृढ निश्चय होकर मंत्र जाप करते थे, तभी ये मंत्र उन्हें सिद्ध होते थे।

यदि सही ढंग से मंत्र बोला जाये तो अवश्य कभी न कभी आपको मंत्र सिद्ध हो जायेगा। मगर मंत्र सिद्ध करने के लिए नियम-संयग का पालन करना होगा तथा धैर्य से काम लेना होगा। जब आप मंत्र जाप करेंगे तो आपकी शुद्धता कम होगी तथा निश्चित मात्रा में कर्म भी जलेंगे।

मंत्र को प्रभावी होने में कई वर्ष लग सकते है। इस जगह आप कह सकते हैं कि हमारा तो सहज ध्यान योग है। फिर मंत्र को इतना ज्यादा क्यों शामिल किया गया है। यह सच हैं हर योग में दूसरे योग मार्ग का सहारा लेना पडता है।

साधकों, अब थोडा मंत्र के विषय में और लिखूं तो अच्छा रहेगा। क्योंकि अभी तक उन साधको के विषय में लिखा हैं जो नये साधक हैं अथवा उच्च अवस्था प्राप्त नहीं हुई है। अब थोडा उच्च श्रेणी के साधकों को अथवा जिन्होंने कुण्डलिनी की पूर्ण मात्रा करके उसकी स्थिरता प्राप्त कर ली है।

साधकों, मैं आज भी मंत्रों का जाप करता हूं। मैंने साधना काल में बहुत मंत्रों का जाप किया है तथा कुण्डलिनी स्थिरता के बाद और अब भी मंत्रों का जाप करता हूं। मैं एक बार अपनी चाहे समाधि का समय कम कर दूं, मगर मंत्र जाप नहीं छोडता हूं।

सच तो यह हैं कि मंत्र में बहुत शक्ति होती है। हम समाधि के द्वारा जितना योगबल एक साल में प्राप्त कर पाते हैं, उतना योगबल मंत्र जाप के द्वारा मात्र कुछ देर में ही प्राप्त कर लेते हें। इसीलिए मैं आज तक कभी भी योगबल के बारे में कमजोर नहीं पडां मैं किसी का भी मार्गदर्षन करते समय साधक से अपनी इच्छानुसार कार्य ले लेता हूं।

इस कार्य के लिए में ज्यादा मात्रा में योगबल का प्रयोग करता हूं। यदि मैंने सोचा साधक के शरीर के अंदर यह क्रिया होनी चाहिए तो अवष्य होगी। हमारा कहने का अर्थ यह हैं कि मुझे योगबल की कमी नहीं है। क्योंकि मुझे कुछ मंत्र पिछले जन्मों से सिद्ध हैं उनका लाभ उठाता हूं।

योग के माध्यम से हमें मालूम पड गया था कि मुझे पूर्व जन्म में यह मंत्र सिद्ध थे। इस जन्म में भी सिद्ध किये हैं। साधकों, इन मंत्रों को सिद्ध करने के लिए मैंने बडा कष्ट सहा हैं, स्थूल शरीर की भी खूब दूर्गति हुई है। क्योंकि किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठोरता के साथ नियम-संयम का पालन करना पडता है।

आप कुण्डलिनी उग्र करने के लिए कुण्डलिनी मंत्र या शक्ति का मंत्र का प्रयोग कीजिए। जब आपकी कुण्डलिनी कण्डचक्र तक आ गयी हो, तब इस मंत्र का प्रयोग जरूर कीजिएगा। इससे कुण्डलिनी में उग्रता आयेगी। अशुद्धता भी कम होगी तथा कण्ठचक्र खुलने में सहायता मिलेगी।

कण्ठचक्र खुलने के बाद से ब्रह्मरंध्र खुलने तक मंत्र का जाप अधिक लाभकारी होता है। जब आप शक्तिमंत्र जाप करेंगे तो जरूर ही कुण्डलिनी ऊध्र्व होने का प्रयास करेगी। ब्रह्मरंध्र खुलने में मंत्र जरूर सहायता करेगा आप जाप आधे घंटे से लेकर एक घंटे तक कीजिए।

Mantra sadhana vidhi – आप आसन पर बैठकर मंत्र को जोर से बोलें। इस समय मन के अंदर जाप नहीं करना चाहिए। कमरे को पूरी तरह से बंद कर लीजिए, ताकि आवाज बाहर न निकले, न किसी को आपके द्वारा बोले गये मंत्र से अवरोध होना चाहिए।

बंद कमरे के अंदर आवाज गूंजती रहेगी। इससे आपको ध्यान की अपेक्षा ज्यादा लाभ होगा। ध्यान के माध्यम से इतनी कुण्डलिनी ऊध्र्व नहीं होगी जितनी मंत्र के प्रभाव से होती है। इसका अर्थ यह नही हैं कि आप ध्यान करना बंद कर दें। ध्यान अपना पूर्व की भांति करते रहें।

यदि आपकी कुण्डलिनी स्थिर हो चुकी हैं तथा योगबल बढाना चाहते हैं तो शक्ति मंत्र, का जाप कीजिए अथवा ऊं (OM) मंत्र का जाप विधि के अनुसार कीजिए। एक बात का ध्यान रहे इस समय मंत्र का जाप उच्च स्वर में कीजिए।

यदि बिल्कुल एकांत में, खेतों में या जंगल में यह विधि अपनायी जाये तो अच्छा है। आप सिर्फ एक मंत्र को अपनाइये, बदल-बदल कर नहीं बोलना चाहिए। यदि आपको मंत्र सिद्ध हो गया हैं तो आजीवन योगबल की कमी महसूस नहीं करेंगे।

मंत्र का जाप करते समय आप दिव्यदृष्टि या ज्ञान के द्वारा जानकारी अवश्य करते रहें। यदि किसी प्रकार की त्रुटि हो तो अपने ज्ञान द्वारा जानकारी हासिल कर दूर कर लीजिए। शक्ति मंत्र अपने गुरू से पूछिए अथवा स्वयं कुण्डलिनी देवी से पूछ लीजिए।

मैं किसी कारण उस मंत्र को लिख नही रहा हूं। क्योंकि दुष्ट स्वभाव के साधक (तामसिक) इस मंत्र का गलत प्रयोर कर सकते हैं। इसलिए मैं उस विषय को लिखना उचित नहीं समझता हूं।

अगर आप योगी आनंद जी से संपर्क करना चाहते है तो निचे उनसे संपर्क करने की जानकारी दी जा रही हैं इसके जरिये आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। (Mantra sadhana kaise kare in hindi me)

Yogi Anand Ji

2 Comments

  1. Atul saxena March 10, 2018
    • amit June 20, 2018

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