TOP 21 Red Chilli Benefits – लाल मिर्च खाने के अचूक फायदे

What Are The Red Chilli Benefits in Hindi

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लालमिर्च की शुद्धता की पहचान

Lal mirch fayde or gun – पीसी हूई लालमिर्च में लकड़ी का बुरादा और रंग की मिलावट हो सकती है। एक चम्मच पीसी हुई लालमिर्च एक कप पानी में धोलें । इससे पानी रंगीन हो जायेगा और बुरादा पानी में तैरने लगेगा । मिर्ची विटामिन A का बहुत अच्छा स्त्रोत माना जाता हैं और लाल मिर्च से ज्यादा Vitamin A ताज़ी हरी मिर्च में पाया जाता हैं।

जब हम पूरी तरह स्वस्थ होते हैं ऐसे सम्मय पर लालमिर्च खाने से हमें और ऊर्जा मितली हैं, इससे शरीर का प्रत्येक अंग उत्तेजित हो जाता हैं । ज्यादा लालमिर्ची खाने से शरीर पर हानियां भी होती हैं । आइये पड़ते हैं लालमिर्च को खाने से होने वाले लाभ के बारे में।

आंख दुखना (Ankh Dard me Fadye)

  • आंखें दुखने पर लालमिर्च पीसकर, थोड़ा सा पानी मिलाकर लुगदी बना लें । जिस और आंख दुःख रही हो उस पैर के अंगूठे के नाख़ून पर मिर्च का लेप करें। अगर दोनों आंखें दुःख रही हो तो दोनों अंगूठों के नाखूनों पर लेप करें। जल्दी ही दर्द कम हो जायेगा । (red chillies)

पागल कुत्तों के कटाने पर (Lal Mirch Se Labh)

  • लालमिर्च को अच्छे से पिसलें और खाने में काम आने वाले तेल में मिलाकर कुत्ते द्वारा काटे घाव पर लाग दें । इससे कुत्ते के दांत का विष ख़त्म हो जाता हैं ।
  • पागल कुत्ते के काटने पर लेप करने की यह विधि ग्रामीणों में तो प्रचलित हैं ही, लेकिन अब वैज्ञानिक शोध से भी यह साफ़ हुआ हैं की लालमिर्च का लेप कुत्ते के काटने पर लाभदायक होती हैं ।

लाल मिर्च से बुखार और चर्मरोग से पाये छुटकारा

  • निम की कोंपले यानि नयी निम की पत्तियां, बिज निकाली हुई लालमिर्च, कालीमिर्च तीनों सामान मात्रा में पानी डालकर पीस लें । इनकी मटर के दाने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें।
  • एक गोली रोजाना सुबह भूखे पेट, 20 दिन पान के साथ लें । पूरा परिवार भी इसका सेवन कर सकता हैं । इसके मात्र 20 दिन के सेवन से साल भर तक त्वचा रोग-फोड़े-फुंसी, रक्तविकार, बुखार आदि नहीं होंगे ।

Lal Mirch Ke Achuk Fayde

गठिया रोग को खत्म करना (Red Chilli)

  • अमेरिका के शोधक ने एक लालमिर्च का गठिया पर एक प्रयोग किया था जिसके मुताबिक यह तय होता है की लालमिर्च में मौजूद प्रोटीन, कैपसाइसिन गठिया रोग को ख़त्म करने में सहायता करता हैं ।
  • गठिया रोगी को रोजाना नियमित रूप से लालमिर्च का सेवन करना चाहिए ।

मिर्च खाने से मुंह जलना

  • किसी-किसी को तेज मिर्च, ज्यादा मिर्च खाने से जीभ होठ जलते हैं । ऐसे शांत करने के लिए पानी पीते हैं । मीठी चीजें, चीनी खाते हैं । इससे मिर्ची में पाया जाने वाल कैपसाइसिन रसायन मुंह में और भी ज्यादा फैलता हैं, जिससे जलन और बढ़ जाती हैं ।
  • इस जलन से बचने के लिए दूध का कुल्ला भरकर मुंह में रोकें । दूध की चर्बी कैप्साइसिन को सोख लेती हैं और जलन शांत हो जाती हैं । मिर्च खाने से शरीर में रक्त प्रवाह भी बढ़ता हैं ।

ह्रदय रोगियों के लिए lal mirch ke fayde

  • मसाले के रूप में बीजरहित लाल मिर्च का सेवन करने से ह्रदय स्वस्थ बना रहता हैं । इससे ह्रदय में बीमारियां नहीं पनपती हैं ।

मिर्गी आना

  • हिस्टीरिया और पागलपन के दौरे बेहोशी में कुछ बुँदे नाम में दाल देने से जल्द होश आ जाता हैं ।

अधिक नींद आना

  • पांच-पांच बून्द सुबह-शाम एक चम्मच पानी में मिलाकर पिलाएं ज्यादा नींद नहीं आएगी ।

कफ की खांसी

  • पांच-पांच बून्द गर्म पानी में तिन बार पिलाएं । कफ निकलकर बंद हो जायेगा ।

बदहजमी

  • भूख की कमी होने पर 5-5 बून्द पानी में मिलाकर भोजन से पहले पिएं । बदहजमी बंद हो जाएगी ।

हैजे के रोगी

  • दस-दस बून्द एक चम्मच पानी में हर आधे घंटे से देने से लाभ होता हैं ।

सांप काटने पर

  • सर्प के काटने पर लालमिर्च खाने पर कड़वी नहीं । इससे सर्प ने काटा हैं या नहीं यह पहचान कर सकते हैं ।

पेटदर्द दूर करें

  • पेट दर्द में पीसी हुई लालमिर्च गुड में मिलाकर खाने से लाभ होता हैं ।

बिच्छू काटने पर

  • बिच्छू के काटने के स्थान पर लालमिर्च पीसकर लगाने से ठंडक पड़ जाती हैं । जलन नहीं होती ।

Lal mirch ke nuksan

  • हानियां – कुछ लोगों में गर्म और मसालेदार खाद्य पदार्थ, जिनमें की काफी अधिक मिर्च हों, उत्तेजना और अम्लीय जठर रसों का श्रवण (प्रवाह) कर सकते हैं, जिनसे जठर वरन (पपतिक-अलसर) पनप सकते हैं और जिनके कारन ऊपरी मध्य उदर में दर्द और बेचैनी होने लगती हैं । ऐसे लोगों को मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे स्थिति बहुत बिगड़ सकती हैं ।

लालमिर्च में केप्साईसिन नामक तत्व पाया जाता हैं जो दमा में लाभदायक हैं, दमा के बार-बार पड़ने वाले दौरों में कमी आती हैं, फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती हैं और स्वांस की नालियों की संवेदनशीलता में कमी आती हैं जिससे नालियों का संकुचन कम होता हैं।

पहली बार केप्साईसिन के प्रयोग से फेफड़ों में जलन होती हैं, जो धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं । होम्योपैथी में मिर्च से बनी औषदि कैप्सिकम हैं जिसका उपयोग स्वांस के रोगों में किया जाता हैं ।

बवासीर होने पर मिर्च ना खाएं

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One Response

  1. shruti sharma January 22, 2018

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