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( votes)Funny Story of Intelligent King in Hindi
Best Hindi story – एक राजा स्वयं को दुनिया का सबसे बढ़ा बुद्धिमान राजा मानता था। वो जानना चाहता था की उसकी सोच सही है या गलत, क्या इस संसार में उससे भी अधिक बुद्धिमान कोई है या नहीं।
यह सोचकर उसने अपने सभी दरबारियों और कर्मचारियों को इकठ्ठा किया और उनसे पूछने को कहा की उसके मन में क्या है। बहुतों ने दिमाग लड़ाया पर कोई भी उसे संतुष्ट न कर सका। तब राजा ने दीवान को आदेश दिया की वह एक महीने में दुनिया के सबसे बुद्धिमान आदमी को -ढूंढ कर लाए, जो उसके विचारों का अनुमान लगा सके।
दीवान ने हर जगह तलाश कि, पर व्यर्थ महीना ख़त्म होने को था पर कोई नतीजा नहीं निकला। दीवान बिलकुल निराश हो गया, लेकिन उसकी इकलोती बेटी ने उसे यह कहकर चिंतामुक्त कर दिया की वह उस सही आदमी को ढूंढ देगी। दीवान ने कहा– ‘ठीक है, देखूं तुम क्या कर सकती हो ।’
King Story in Hindi
एक दिन दीवान की बेटी ने एक मंदबुद्धि गडरिये को पिता के सामने लाकर खड़ा कर दिया। यह गडरिया उनके यहाँ नौकर था। उसने पिता से कहा की वे इसे राजा के पास ले जाये। दीवान भौंचक्का रह गया, पर बेटी ने जोर देकर कहा की यह भौंदू गडरिया उनकी सारी परेशानिया दूर कर देगा। और कोई चारा न देखकर दीवान गडरिये को दरबार में ले गया ।
राजा दरबार में दीवान का इंतजार कर रहा था। दीवान ने गडरिये को राजा के सामने पेश किया। गडरिये ने आँखे उठाकर राजा की और देखा। राजा ने अपनी एक ऊँगली ऊपर उठाई ।
इसके जवाब में गडरिये ने दो ऊँगलियाँ ऊपर उठाई। इस पर राजा ने तीन ऊँगलियाँ ऊपर उठाई। यह देखकर गडरिये ने सर हिलाया और वहां से भागने की चेष्ठा की। राजा जोर से हंसा। ऐसा बुद्धिमान आदमी लाने के लिए उसने दीवान की पीठ ठोंकी और उसे पुरुस्कारों से लाद दिया।
दीवान चित्रवत देखता रह गया। यह गोरख धंधा उसके पल्ले नहीं पड़ा । उसने राजा से खुलासा करने का आग्रह किया ।
राजा ने कहा –”एक उंगली उठाकर मैंने उससे पुछा की क्या में सबसे बुद्धिमान हूँ। दो उंगलियां उठाकर उसने मुझे याद दिलाया की भगवान भी तो है, जो अधिक नहीं तो मेरे बराबर बुद्धिमान तो है ही। तब मैंने पूछा की क्या कोई तीसरा भी है। इस पर उसने सर हिलाकर साफ मना किया। ये व्यक्ति सच में बड़ा ज्ञानी है। में सोचता था की में अकेला ही शक्तिशाली हूँ। इसने मुझे भगवान के अस्तित्व की याद दिलाई पर तीसरे की सम्भावना को नहीं माना ।’
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दरबार बर्खास्त हुआ। सब अपने-अपने रास्ते लगे। रात को दीवान ने मूढ़ गडरिये से पुछा की उसने राजा के इशारों का क्या मतलब निकाला और उसने राजा को क्या जवाब दिया। गडरिये ने कहा – मालिक मेरे पास सिर्फ तीन भेंड़े है। जब आप मुझे महाराज के पास ले गए तो उन्होंने मुझे एक उंगली दिखाई। में समझा की वे मेरी एक भेड़ लेना चाहते है।
वे इतने बड़े राजा ठहरे ! सो मेने उन्हें दो भेंड़ देनी चाही और दो उंगली उठा दी। इस पर उन्होंने तीन उँगलियाँ दिखाई, यानी वे मेरी तीनो भेड़ लेना चाहते है। मुझे लगा यह उनकी ज्यादती है । सो मेंने इंकार करके वहां से भाग जाना चाहा।’ दीवान गडरिये की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और बोला –‘तू निश्चिन्त रह तुझसे तेरी भेंड़े कोई नहीं लेगा
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