किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान
बहुत पुरानी कहावत है – किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान। यह long hindi funny story (also for kids) भी ठीक इसी कहावत से मिलती जुलती है। यह कहानी थोड़ी लंबी है लेकिन है बहुत comedian/funnier। एक गांव में एक आलसी और कामचोर युवक रहता था। वह सारे दिन बैठा मख्खीयां ही मारता रहता था इसलिए लोग उसे मख्खीमार बहादुर कहते थे। उसका कहना था- राम दे खाने को, बला जाये कमाने को।
मगर कहते हैं कि बैठे-बैठे तो कुए भी खाली हो जाते हैं। यही उसके साथ भी हुआ। जब बाप-दादा की दौलत खत्म हो गई तो मख्खीमार बहादुर चिंतित हो गया, अतः काम धंधे की तलाश में निकल पडा। वह लंबी-लंबी गप्पे हांका करता था। एक बार चलते-चलते वह राजा के दरबार में जा पहूंचा। राजा के समक्ष हाजिर होकर सिर नवांकर बोला- महाराज मुझे नौकरी पर रख लीजिए। राजा ने उपर से नीचे तक देखा और पूछा- तुम क्या काम जानते हो ? काम ? मख्खीमार ने फिर लंबी हांकी जो कोई न करे सो बंदा करे।
राजा ने महामंत्री से पूछा- क्यों मंत्रीजी आपकी क्या राय है ? आदमी तो काम का मालूम पडता है। शक्ल से किसी के गुणों का पता नही चलता महाराज। फिर भी आजमाने में कोई बुराई नहीं है। कुछ सोचकर राजा बोला – ठीक है हम तुम्हें एक गिल्ली रोज पर रख लेते हैं।
Comedy story for whatsapp facebook
पलक झपकते ही रोटी की समस्या हल होने से मख्खीमार बहादुर की बाछें खिल गई अब तो वह दिन रात चैन की बंसी बजाता। राजदरबार के विशेष कर्मचारीयों मैं उसकी गिनती होने से वह रोज देसी घीं के माल-पूओं पर हाथ साफ करता। कुछ दिन युही चलता रहा। काम-धाम तो उसे था नहीं अतः उस पर मोटापा चढने लगा।
इधर गिन्नी रोज के हिसाब से धन भी काफी इकट्ठा होता जा रहा था। लेकिन एक बार शक्तिशाली शत्रु राजा ने उस राज्य पर आक्रमण कर दिया। राजा को जब यह समाचार मिले तो वह बहुत चिंतित हुआ कि अब क्या होगा ?
कैसे इतनी बडी फौज का मुकाबला उसकी छोटी सी फौज कर पायेगी। उसने तुरंत आपातकालीन सभा बुलाई और अपनी चिंता जाहिर की। सब मंत्रीयों ने आपस में मंत्रणा करके कहा – महाराज इस मौके पर मख्खीमार बहादुर से सहायता लें आखिर वह किसी मर्ज की दवा है। जो काम कोई न कर सके वह करेगा यही तो कहा था उसने।
अरे हां! एकाएक ही राजा की जैसे सारी चिंता दूर हो गई। अच्छा याद दिलाया फौरन मख्खीमार बहादुर का हाजिर किया जाये। राजा ने उसे देखते ही आदेश दिया – मख्खीमार बहादुर शत्रु राज्य की सेना ने देश पर हमला बोल दिया है।
इस संकट से तुम्ही देश को बचा सकते हो। सुनते ही मख्खीमार का दिल धडक उठा। उसे लगा कि अंत समय निकट आ गया है। मगर उसने किसी भी दरबारी या राजा पर अपनी कमजोरी जाहिर न होने दी। और लगा हवा में फेंकने मसल कर रख दूंगा पूरी सेना को महाराज आप बिलकुल भी चिंता न करे। कल सुबह आप देखियेगा कि मैं कैंसे शत्रुओं को परास्त करता हूं।
मख्खीमार बहादुर की आई बारी
मख्खीमार बहादुर का आश्वासन पाकर राजा की जान में जान आयी। मख्खीमार बहादुर वापस आ गया। राजा के सामने तो उसने बडी लंबी छोड दी मगर अब उसे पसीने छुट रहे थे। उसे लगा कि अब यहां से बोरियां बिस्तर समेट कर भागने में ही फायदा है।
यह खयाल मन में आते ही उसने खाने के लिए तीन रोटीयां बनाई और बोरिया बिस्तर उठाकर रात के अधंरे में ही गायब हो गया। सुबह राजा ने उसे बुलाया तो पहरेदारों ने आकर बताया कि उसके कमरे में ताला लगा है।
राजा बहुत परेशान हुआ उसकी खोज में हरकारे भेजे गये मगर मख्खीमार बहादुर का अता-पता नहीं मिला। राजा ने क्रोधित होकर आदेश दिया कि मख्खीमार की सारी संपत्ति जब्त कर ली जाये और जो कोई मख्खीमार को पकड कर राजदरबार में पेश करेगा उसे उचित इनाम दिया जायेगा।
फिर विवश होकर राजा ने अपनी सेना को मोर्चे पर भेज दिया। उधर मख्खीमार बहादुर घुमता फिरता जंगल में जा पहूंचा। सवेरा हो गया चारों ओर धूप खिली हुई थी। मख्खीमार को भूख भी सताने लगी थी उसने इधर-उधर देखा तो उसकी नजर एक कुए पर पडी, मख्खीमार ने सोचा कि क्यो न यहीं बैठकर भोजन किया जाये। उसने कुए की मेढ साफ की और रोटियों की पोटली खोल कर बैठ गया। फिर सोचने लगा कि रोटीयां तो तीने हैं अभी न जाने कहां तक का सफर करना पडे यही सोचकर वह जोर-जोर से कहने लगा एक खाउं, दो खाउं या तीनों को खा जाउं ?
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किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान Very Funny Story
उसकी यह ध्वनि जंगल में दूर -दूर तक सुनाई दे रही थी। जिस कुए की मेढ पर वह बैठा था उसी कुए में तीन परीयां रहती थी उसकी बात सुनकर वह तीनों परीयां भयभीत हो गई। तीनों ने आपस में मंत्रणा की और कुए से बाहर आकर मख्खीमार से बोली – हैं मुसाफिर हमने तुमहारा क्या बिगाडा हैं जो तुम हमें खाना चाहते हो ?
मख्खीमार पहले तो सकपकाया फिर तुरन्त ही समझ गया कि माजरा क्या है। अगले ही पल वह अकड कर बोला – नहीं, नहीं मैं तो अवश्य ही तुम्हें खाउंगा। देखो मुसाफिर यह उचित नहीं आखिर क्यों खाना चाहते हो हमें ? उचित, अनुचित मैं कुछ नहीं जानता मैं तो बस खाउंगा।
अब तो परीयां बहुत घबराई ओर बोली- देखों मुसाफिर अगर तुम हमें न खाने का वादा करों तो हम तुम्हें कुछ चमत्कारिक वस्तुएं दे सकती है। चमत्कारी वस्तुएं सुनते ही मख्खीमार के मन में लालच आ गया। उसने पूछा – कैसी विचित्र वस्तुएं ?
एक परी ने उसे दो पंख दिये और कहा – इन्हें सिर में खोसकर तुम जहां चाहों उडकर जा सकते हो। दूसरी परी ने एक चादर दी और कहा – बडी करामती चादर हैं इसे ओढकर तुम सबको देख सकोगे मगर तुम्हें कोई नहीं देख पायेगा।
तीसरी परी ने कहा – Turning Point
यह ऐसी जादुई तलवार हैं जिसे अपने हाथ में लेते ही यह अपने आप चलने लगेगी। और दुश्मनों को गाजर मूली की तरह काटकर फेंक देगी। अब तो मख्खीमार की बांछे खिल गई उसने मूछों पर ताव देते हुए परीयों से तीनों वस्तुएं ले ली।
फिर पंख सिर में खोंसे तलवार हाथ में ली और चादर ओढकर बोला – मैं शत्रुओं के बीच जाना चाहता हूं। मख्खीमार के कहने भर की देर थी की वह मैंदान-ए-जंग में जा पहूंचा और मार-काट मचाने लगा। पलक झपकते ही शत्रु पक्ष में हाहाकार मच गया।
स्थिति यह थी कि मख्खीमार को तो कोई देख नहीं पा रहा था लेकिन वह सबको देख रहा था। इसलिए मख्खीमार पर कोई वार नही कर सका। शत्रुपक्ष की सेना ने संदेह किया कि हो न हो इस राजा की मदद को कोई भुत-प्रेत या जिन्न आ गया है जेंसे ही सेना में यह अफवाह फैली शत्रुपक्ष के सारे सैंनिक अपनी अपनी जान बचाकर भागे।
देखते ही देखते जंग का मैंदान दुश्मनों से खाली हो गया। राजा के गुप्तचरों ने राजा को जाकर यह सुचना सुनाई कि विजयी हमारी हुई हैं और किसी देवीय ताकत ने हमारी और से युद्ध लडा है। राजा और दरबारी हैरान हो उठे लेकिन इससे पहले की वह कुछ कह पाते मख्खीमार बहादुर तलवार घुमाते हुए राज दरबार में जा पहुंचा।
मक्खीमार बहादुर का स्वागत
राजा ने सिंहासन छोडकर उसका स्वागत किया। सभी दरबारी उसके सम्मान में उठकर खडे हो गये। लौटते समय उसे यह भी पता चल गया था कि महाराज ने उसकी संपत्ति जब्त कर ली हैं अतः बिगडते हुए बोला- महाराज यह क्या बात हुई कि आपने मेरी सारी संपत्ति जब्त कर ली साथ ही मुझ भगोडा भी घोषित कर दिया।
जबकि मैं नदी पर अपनी तलवार बनाने गया था रात में खुन पसीना एक करके तलवार की धार को तेज करता रहा और सुबह होते ही शत्रुओं पर टूट पडा। बूरा न मानना मख्खीमार हमने समझा कि तुम डरकर भाग गये हो।
चिचोरी से करते हुए राजा बोला
तुम सेना आदि कुछ भी अपने साथ लेकर नहीं गये। महाराज मैं क्या कोई छोटा-मोटा योद्धा हुं जो अपने साथ सेना लेकर जाता ? क्रोध न करो मख्खीमार हम तुम्हारी संपत्ति से भी दूगूनी संपत्ति तुम्हें वापस लौटाएंगे और आज से दो गिन्नी रोज राजकोष से तुम्हें मिला करेंगी। और फिर राजा ने उसकी संपत्ति के साथ ही अपनी पुत्री की शादी उससे करने की घोषणा भी कर दी।
निष्चित दिन मख्खीमार बहादुर की शादी राजकुमारी से हो गई। अब तो मख्खीमार की पांचो उंगलियां घीं में थी मगर अब उसने निठल्ले बैठना छोड दिया था और कामकाज में व्यस्त रहने लगा था। जिम्मेदारीयों का बोझ बते ही उसकी गप्पे हाकंने की आदत भी दूर हो गई थी। जब किसी पर उत्तरदायित्व का बोझ आ पडता हैं तो वह निठल्ला कभी नहीं रह सकता।
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किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान – उम्मीद है दोस्तों आपको यह मक्खीमार बहादुर की long funny comedy story in hindi बहुत अच्छी लगी हो। जब हमने इस मजेदार कहानी को पहली बार सुना तो सोचा की क्यों न ऐसे आप सभी दोस्तों के साथ शेयर की जाए।
Nice story