देशभक्ति – Swami Ramteerth Ki RashtraBhakti

** स्वामी रामतीर्थ **

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स्वामी रामतीर्थ

अमरिका में वेदान्त का प्रचार कर भारत लौटते हुए स्वामी रामतीर्थ जापान गये, वहां उनका भव्य स्वागत हुआ, उन्हें वहां एक विद्यालय में आमंत्रित किया गया। एक नन्हे से छात्र ने उनसे उसका सरनेम पुछा- तुम किस धर्म को मानते हो ?

‘बोद्ध धर्म’ को छात्र ने सादर उत्तर दिया। स्वामीजी ने पुनः पुछा बुद्ध के बारे में तुम्हारें क्या विचार हैं? छात्र ने सादर उत्तर दिया बुद्ध तो भगवान है। इतना कहकर उसने बुद्ध का ध्यान करके अपने देश की प्रथा के अनुसार भगवान बुद्ध को सम्मान के साथ प्रणाम किया।

तब स्वामीजी ने छात्र से पुनः पूछा- अच्छा बताओ तुम कॉन्फिसियस को क्या समझते हो ? छात्र ने बुद्धिमानी से उत्तर दिया- कॉन्फिसियस एक महान संत है और उसने पूर्ववत बुद्ध की तरह कॉन्फिसियस को ध्यान करके सादर प्रणाम किया।

अंतः में स्वामीजी ने प्रश्न किया- अच्छा बताओ किसी दूसरे देश से जापान को जीतने के लिए एक भारी सेना आ जाए उसके सेनापति बुद्ध अथवा कॉन्फिसियस ही हो तो तुम क्या करोगेे ? यह सुनकर छात्र का चेहरा तमतमा गया। स्वामीजी की बात पर वह गुस्से में भरकर खडा हो गया। उसकी भूजाऐं भडक उठी। उसने अपनी आंखों से घुरते हुए जोश के साथ कहा-

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तब में अपनी तलवार से बुद्ध का सिर काट दूंगा और कॉन्फिसियस को तो पैरों तले कुचल दूंगा। छात्र का जोशीला उत्तर सुनकर स्वामीजी गदगद हो गये।

उन्होंने उस वीर विद्यार्थी को अपनी बाहों में भर लिया और उनके मूंह से निकल पडा-शाबाश, वाह! जिस देश के बच्चे ऐसे देशभक्त हों वह देश कभी गुलाम नहीं हो सकता। और उसकी उन्नति को कोई नहीं रोक सकता।

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