गुरु नानक का आशीर्वाद Guru Nanak Story in Hindi
एक बार गुरु नानकदेव अपनी शिष्यमंडली के साथ एक गाँव में पहुंचे। वहां के लोग बड़े सरल स्वाभाव के थे। उन्होंने उनकी बड़ी आवभगत की। वहां कुछ समय तक रूक कर जब वह चलने लगे तब गाँव वालों को आशीर्वाद दिया, ‘तुम्हारा यह गांव पूरी तरह उजड़ जाएँ। तुम सब अलग-अलग गाँवो में जाकर रहने लगो।’
वहां से चलकर नानकदेव अगले गाँव में गए। वहां के लोग पशुवत थे। उन्होंने नानकदेव की शिष्यमंडली के साथ आते उन पर पथ्थरों की बरसात कर दी। इतना सबकुछ सह कर भी उन्होंने गाँव वालों को आशीर्वाद दिया, ‘तुम्हारा यह गाँव सदा आबाद रहे। तुम सभी इसी गाँव में एकजुट हो कर रहो।’
नानकदेव के शिष्यों को उनकी बात बड़ी अटपटी लगी। कुछ शिष्यों ने उनसे पुछा, ‘गुरुदेव! जिन लोगो ने आपका स्वागत किया उन्हें तो आपने उजड़ जाने का आशीर्वाद दे दिया और जिन्होंने आपका अपमान किया उन्हें आजाद होने का आशीर्वाद दिया। इसका रहस्य क्या ?’
नानकदेव बोले, ‘सीधी-सी बात है। जो लोग अच्छे होंगे, वह जहाँ भी जायेंगे अन्य लोगों को अच्छी बातें ही सिखाएंगे। इसके विपरीत जो लोग बुरे होंगे, वह बुराइयां ही फैलाएंगे। मेरे आशीर्वाद का यही रहस्य है।’
सीख : अच्छाई को जितना हो सके बढ़ाओ और बुराई को जितना हो सके घटाओ
** बालक नानक की सिख **
Story for kids in hindi – साँझ का समय था, शीतल हवा बह रही थी। ऐसे में नन्हा नानक नदी के तट पर नीले आसमान को निहार रहा था। तभी किसी ने आवाज़ लगाई, ‘भैया दिन ढल चूका है, अब घर चलो।’
नानक ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी बड़ी बहन बोली, ‘आज सर्दी ज्यादा है, मां ने तुम्हारे लिए यह गरम चादर भेजी है, ओढ़ लो।’ नन्हा नानक चादर ओढ़कर बहन के साथ घर की और चलने लगा।
मार्ग में उसने देखा की एक भिखारी ठण्ड में ठिठुर रहा हैं। उसके कपडे जगह-जगह से फटे हुए थे। नानक को उसे देख-कर दया आ गई। उसने वह गरम चादर उस भिखारी को देते हुए नसीहत दी, ‘बाबा, ईश्वर ने आपको हाथ-पैर दिए हैं, काम क्यों नहीं करते। यूँ भीख मांगना उचित नहीं है।’ भिखारी नानक को देखता रह गया। उस दिन के बाद से उसने कभी भीख नहीं मांगी और मेहनत करके अपना निर्वाह करने लगा।