पेड़ की दर्द भरी दास्तां
Story on Unity strength with moral – अनेकता ही हमारे देश, समाज और घर परिवार की प्रगति न हो पाने का कारण हैं। और आज इसका फैलाव बहुत ही ज्यादा हो गया हैं। हर जगह, हर घर में अनेकता पाई जाने लगी हैं। और इस अनेकता को रोका जा सकता हैं, अगर हम आने वाली पीढ़ी बच्चों और युवा दोस्तों को यह एहसास दिलाये की एकता कितनी जरुरी हैं।
तो शायद हमारे देश में, घर में, समाज में हर जगह फिर से वही प्रगति होने लगे। तो चलिए आगे पढ़ते हैं यह कहानी – जिसमे पेड़ अपनी अनेकता के उदाहरण से हमे सजग हो जाने का इशारा कर रहा हैं। लकडहारे को लकडी काटते देख पेड की आखों में एक दम ही आंसू की धारा बहने लगी।
एकता पर कहानी – अपनों पर कहानी बिछड़ने पर हम सब अति कमजोर हो जाते हैं
यू तो वह हर दृष्टि से द्रढ़ था, उसकी जड भी गहरी थी, काया भी हस्त-पुष्ट सभी तरह से मजबूत लेकिन आज अपने आप कुछ सोच-सोच कर वह मन ही मन पश्यताप कर रहा था। कुल्हाडी की तीखी चोंटे बाराबर उसके तने पर पड रही थी।
लगातार कुल्हाडी चलाने से हथेली में आया हुआ पसीना भेट पर लग जाने के कारण लकडहारा थोडी देर रूक कर उसे पोछता, सुस्ताता। फिर खट-खट चोटे मारने लगता उसका एक-एक हिस्सा थोडा-थोड़ा करके काटता जा रहा था। कुल्हाडी ने पेड को सोच विचार मे मग्न और गर्म-गर्म आसु बहाते देख सहानुभूति और दर्द भरे स्वर में कहा’- क्षमा करना भाई! सब मेरा ही कसुर है।
मेरी वजह से जी तुम्हारे शरीर पर अत्याचार हो रहा है। तुम्हारी दुर्दषा का कारण मैं ही पापी हू। माफ़ करना। मुझसे क्यों क्षमा मांग रहे हो भाई ? लोहा तो लकडी को काटता ही हैं। यह तो प्रकृति का सनातन नियम है।
मुझे पछतावा यही हैं कि मेरे द्वारा तुम्हारी दुर्दशा हो रही है। मैं तुम्हारी दुर्दशा का साधन बन रहा हूं । नहीं , नहीं। यह मैं क्यों मानने लगा ? यह मेरे – अपने दुष्कर्माें की सजा है। हर व्यक्ति को अपने पापों का फल भुगतना पडता है।
Motivational Unity Story for kids
कुल्हाडी की सहानुभूति देखकर पेड ने दर्द भरे स्वर में कहा- नही भाई! मैं तुम्हे दोष नही देता। कुल्हाड़ी बोली – तो फिर किस लिए उदास हो भला? अपने मन की बात मुझसे कहकर हल्का कर लो। यूँ अन्दर ही अन्दर घुटकर तो तुम बहुत ही जल्दी अपने को बर्बाद कर डालोगे।
दुसरों से कहने पर ही मन का भार हल्का होता है। बोलो तुम्हारे दुख का क्या कारण है ? पेड कुछ सकुचाया उसने लज्जित होकर आंखे नीचे कर ली। आज जैंसे वह अपनी ही नजरों में गिर गया था। क्या कहें ? कैंसे कहें ? निश्चय ही नही कर पा रहा था। भाई बोलते क्यों नही, पश्यताप की अग्नि मे क्यो भस्म हो रहे हो। कुल्हाडी के इस अनुनय और अनुरोध से पेड कुछ आश्वस्त हुआ, साहस बटोर कर कुछ कहने को उघत हुआ। वह बोला – मुझे तुमसे कोई शिकायत नही है।
मुझे लज्जा तो इस बात पर आ रही हैं कि हमारी लकडी की ही जाति का बना यह हत्था अपनी जाति और वंश को नष्ट करने में सहायक बना हुआ है। तुम्ही सोचो यदि लकडी का यह हत्था तुम्हारा सहायक न बनता तो भला तुम मुझे किस तरह काट सकते थे। नही बिल्कुल नही। लकडी की सहायता से ही तुम इस योग्य बने हो कि मुझे यो धीरे-धीरे काटते चले जा रहे हो। फिर ?
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सारा दुख-दर्द शब्दो में उडेलते हुए और नेत्रों से आंसू बहाते हुए पेड बोला – जब अपना ही अपने को काटता हैं तो बडी ग्लानि होती है। अपना यदि विश्वाश्घात न करे तो दूसरा कुछ नही बिगाड सकता। अब तुम्ही बताओं अगर यह लकडी का टुकडा – यह मेरा ही अंश तुम्हारी सहायता सहयोग नहीं करे । दूसरे शब्दों मे विश्वासघात न करे तो तुम्हारी पैनी धार भी मेरा कुछ नही बिगाड सकती।
कुल्हाड़ी और पेड़ की दर्द भरी दास्तां
यदि हमारे अन्दर ही कोई कमजारी हैं तो दूसरे को भला क्यों दोष दें । वह क्या कमजोरी है ? लोहे की कुल्हाडी ने स्पष्टीकरण चाहा- एकता का अभाव ! यदि हम सबमें एकता रहती तो भले ही यह लकडी का छोटा सा टुकडा जलकर ख़त्म हो जाता लेकिन दुश्मन की किसी भी हालात में मदद नहीं करता।
Unity is strength best inspirational unity story with morals in hindi – >> विश्वासघात, विभाजन, फुट- यही तो सारे उत्पातो की जड है। जब हम खुद ही एक-दूसरे को परेशान करने लगते हैं तो मैं क्या, बडे-बडे परिवार, बडे-बडे समुदाय यहां तक कि देश तक नष्ट हो जाते हैं । कुल्हाडी चुप! डससे आगे कुछ पुछते न बना। अगर आपके घर पर आपसे छोटा कोई भाई, बहन हो या आपका कोई बच्चा हो तो उसे यह कहानी जरूर पढ़कर सुनाये ताकी हम अपनी प्रगति को बढ़ सके- धन्यवाद।
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