Birbal Wisdom Story With Morals
Story of akbar begum and birbal in Hindi – यह बात साफ हैं कि अकबर बीरबल को बहुत चाहते थे लेकिन उनके दरबार के बाकी दरबारी, कर्मचारी और रिश्तेदार बीरबल से बैर-भाव रखते थे। वे लोग किसी न किसी बहाने बीरबल को वहां से निकलवाना चाहते थे लेकिन बीरबल की बुद्धि के आगे हार माननी पडती थी।
काफी कोशिश करने के बाद बीरबल के विराधीयों ने जब यह समझ लिया की इस तरह से उनकों हटाना मुश्किल हैं तब उन सबने मिलकर बेगम के भाई को राजी किया उसे भडकाया और कहा – आप जैंसे कुशल व्यक्ति के रहते हुए अकबर ने एक हिन्दू को अपना प्रधानमंत्री बनायें इसमें सबसे ज्यादा आपका ही अपमान हैं यह कहकर और खुब सीखा पढाकर उसे बेगम के पास भेजा।
बेगम के भाई ने मंत्री पद प्राप्ति की लालसा से अपनी बहन के पास जाकर बीरबल की बहुत निंदा की और अकबर बादशाह को दिल बीरबल के विरूद्ध भरने की पूरी कोशिश की। बेगम अपने भाई के कथन को नहीं टाल सकी और उन्होंने यह बात अकबर से कही, अकबर ने सुनी-अनसुनी कर दी।
बेगम ने जब यह देखा कि साधारण तरीके से अकबर की मति नहीं पलट सकती तो उन्होंने स्त्री सुलभ शस्त्रों का उपयोग किया दूसरे दिन रात को जब अकबर बादशाह महल में आये तो रोजाना की तरह न तो बेगम ने अकबर का स्वागत ही किया और न ही कुछ बोली।
अकबर ने बेगम की बेरूखी का कारण समझ लिया पर अंजान बनकर इस नाराजगी का कारण पुछने लगे, बेगम ने आंखों में बनावटी आंसु भरकर जवाब दिया- अगर आप मुझे खुश देखना चाहते हैं तो बीरबल को निकालकर उसकी जगह पर किसी ऐसे व्यक्ति को दिवान बनायें जो मुसलमान हो, नही तो मैं जहर खाकर मर जाउंगी।
बेगम का निशाना अकबर पर सही बैठा, वह घबरा गये कुछ देर चुप रहने के बाद वह बेगम से बोले- बिना किसी अपराध के बीरबल को निकाल देने से जनता में असंतोष फैल जायेगा।
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तुम कोई ऐसा तरीका बताओं जिससे बीरबल अपराधी साबित हो जायें ऐसा होते ही वह स्वयं ही पद छोडकर कहीं चला जायेगा क्योंकि वह बहुत ही स्वाभिमानी है। बेगम को अकबर की बातों से ढांढास बंधा वह कोई उपाय सोचने लगी कुछ देर बाद बेगम का चेहरा खिल उठा इसकी एक सरल तरकीब मेरे समझ में आ गई हैं कल सुबह होते ही आप नाराज होकर बाग में चलें जायें और बीरबल से कहे कि बेगम को मनाने के लिए बुला लाओ अगर नहीं ला सके तो आप पद से हटा दिये जाओगे।
अकबर बादशाह ने बेगम की बात मान ली, सुबह होते ही बादशाह अकबर और बेगम में अनबन होने की खबर जब बीरबल को मिली तो वे अकबर से मिलने बाग में गये उन्हे देखकर अकबर ने उनको बेगम के कथानुसार कह सुनाया। बीरबल ने भी अपने बाल धूप में सफेद नहीं किये थे वे सब चाल समझ गये थे उन्होंने तुरन्त अपने गुप्तचरों को जरुरी बातें समझाकर बेगम के पास पहूंचे।
अदब से कुशल क्षेम पूछने के बाद उन्होंने इधर-उधर की बातों में उनकों उलझाया तभी उनका सिखाया हुआ गुप्तचर वहां पहूंचा और उनसे बोला – दिवानजी इस आपसी झगडे का कारण आपसी कहासुनी है, जहांपनाह अपनी बात पर अटल हैं आप व्यर्थ ही यह कोशिश कर रहे हैं मेरी राय में तो आप अकबर की मति पलट दीजिए। अगर उन्होंने ऐसा कर लिया तो उससे आपका काम बन जायेगा।
बेगम ने इस बात को ध्यान पूर्वक सुना उस आदमी के चले जाने के बाद बीरबल ने बेगम से कहा- यह आदमी अकबर का सन्देश लाया था कि आपसे इस कारण रुष्ट हैं कि आप उन्हें ज्यादातर गलत काम करने को कह देती हैं और अकारण ही रूठ जाती है। इससे अकबर का दिल आपसे बहुत खिन्न हो गया है।
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वह जल्दी ही नई बेगम लाने वाले हैं, बीरबल के मुख से ऐसा कथन सुनते हैं बेगम को यकीन हो गया कि अकबर नयी बेगम लाने की कोशिश कर रहे होंगे। बेगम को विचारमग्न देखकर बीरबल वहां से चले गये उनके जाते ही बेगम ने कपडे बदले और पालकी में सवार होकर बाग में अकबर के पास जा पहूंची।
उन्होंने तरह-तरह से अकबर की खुशामद की तब अकबर ने कहा – जरूर ही बीरबल ने तुम्हें बहका दिया हैं जहांपनाह बीरबल मुझे नहीं बहका सकते मैं इतनी मूर्ख नहीं हूं सब समझती हूं मेरे होते हुए आप किसी दूसरी औरत को खास बेगम का दर्जा नहीं दे सकते मेहरबानी करके मुझे माफ करें,
अब कभी भी कोई गुस्ताखी नहीं होगी। बेगम की बेसिर-पैर की बातों से अकबर समझ गये कि जरूर ही बीरबल ने कोई गुल खिलाया है। इसके बाद बेगम को विश्वास दिलाने के लिए जब उन्होंने कसम खायी कि वह किसी बेगम की तलाश में नहीं है तब बेगम को अहसाह हुआ।
अकबर बादशाह ने बेगम से सारा हाल पूछा, बेगम ने गुप्तचर की सूचना और बीरबल का कथन अकबर बादशाह को सुना दिया, सुनकर बादशाह हसंते-हंसते लौट-पौट हो गये अब बेगम को यह समझते देर नहीं लगी कि वह सचमुच ही बीरबल के बहकावे में आ गई थी लेकिन अब पछताने से क्या हो सकता था। बेगम को इस हार से बडा सदमा पहूंचा फिर उन्होंने बीरबल के विरूद्ध अकबर बादशाह से कभी कुछ नहीं कहा।