Osho Hindi Story on Positivity
आप दुनिया को किस नजरिये से देखते हैं –
सुख दुःख इस बात पर निर्भर करता हैं
Osho hindi – एंक गांव में सुबह एक यात्री आया उसने अपने घोडे को रोका , गांव के दरवाजे पर बैठे हुए एक बुढे आदमी से उसने पुछा- इस गांव के लोग कैंसे है ? मैं इस गांव में ठहरना चाहता हूं, इसी गांव में निवास करना चाहता हूं। उस बुढे आदमी ने कहा- मेरे मित्र पहले मै तुमसे यह पुछूंगा कि तुम जिस गांव को छोडकर आ रहे हो उस गांव के लोग कैसे थे ?
उसने कहा उस गांव के लोगों का नाम भी न लें। उनका नाम लेते ही मेरे हृदय में आग की लपटें जलने लगती है और मेरा बस चले तो उनकी हत्या कर दूं। उस गांव के लोग इतने बूरे है, जिसका कोई हिसाब नहीं। जमीन पर उतने बुरे लोग खोजना कठिन है। उस बुढे आदमी ने कहा- मित्र घोडे को आगे बडा लो, मैं पचास साल से इस गांव में रहता हूं, इस गांव के लोग उस गांव के लोगों से भी ज्यादा बूरे है।
तुम इस गांव के लोगों को, उस गांव के लोगों से भी बदतर पाओंगे। तुम आगे जाओं तुम दूसरा गांव खोज लो। यह तो बहुत बुरा गांव है। वह आदमी गया भी नही था कि एक बैलगाडी आकर रूकी और एक आदमी अपने परिवार को लिए उसमे आया और उस यात्री ने इस बुढें आदमी से भी पुछा –
Be Positive Story By Osho
मैं इस गांव में रहना चाहता हूं, इस गांव के लाग कैसे है ? उस बुढे ने कहा- पहले मुझे बता दो, तुम जिस गांव से आये हो उस गांव के लोग कैसे थे ? उसने कहा- उनका नाम भी हृदय को आनन्द से और कृतार्थता से भर देते है। बडे भले थे वे लोग उन्हें छोडना इससे आुंसु मेरे अब तक गिले है। लेकिन मजबूरी थी कि छोडकर आना पडा है। इस गांव के लोग कैंसे है ?
उस बुढे ने कहा- आओं तुम्हारा स्वागत है। पचास साल से इस गांव मे रहता हूं, इस गांव के लोग तो उस गांव से बहुत बेहतर है। जिस गांव के लोगों को तुमने छोडा , तुम इस गांव के लोगों को इतना अदभूत पाओगे कि कभी छोडकर नहीं जा सकोगे। आजाओं गांव तुम्हारा स्वागत करता है।
स्वाल आपका है, गांव का नहीं है। आप कैंसे हैं गाँव वैसा हो जायेगा। सवाल आपकी दृष्टि का हैं । आपकी दृष्टि क्या है , जीवन को देखने की आप जीवन को कैसें लेते है। आनन्द से लेते है या दुख से। अगर दुख से लेते हैं तो आप जीवन के प्रति जो भी करेंगे वह सुखद नही हो सकता हैं।
जीवन को आनन्द से लें , जीवन को धन्यता से लें, ग्रेट्यिुड जीवन को कृतार्थता से लें और जीवन के प्रति प्रेमपूर्ण और शांतिपूर्ण, जीवन के प्रति अत्यंत निरअहंकार के भाव से व्यहवहार करें तो आपके भीतर धार्मिक व्यक्ति का जन्म होगा और हो सकता हैं की इस जन्म का परिणाम यह हो कि आप जहां हैं वहीं आपके जीवन में संन्यास आ जाएं। संन्यास आपका आत्मिक परिवर्तन नहीं है।
आप कैसे है वैसा घर हो जायेगा। और अगर आप गलत हैुं तो आप संन्यासी होकर भी दुनिया में गलत होते चले जायेंगे।