400 घर के लिए वास्तुशास्त्र – Vastu Tips For Home in Hindi

Indian Vastu Shastra Best Tips For Home in Hindi घर और वास्तु टिप्स

vastu tips for home in hindi

वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व होता है, अगर हम वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की व्यवस्था बनाकर रखे तो जिंदगी में आने वाली आधी परेशानिया तो यूँही ख़त्म हो जाती है। पेश है  Common Vastu Shastra tips in Hindi language for home (new & old) यह घर के लिए वास्तु शास्त्र की 50 टिप्स है।

Vastu tips for home construction in Hindi – इनके जरिये आप घर के आम दोषो को ख़त्म कर सकते है। कई लोग वास्तु को अनदेखा कर देते हैं और फिर उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है जैसे परिवार में किसी की मृत्यु हो जाना आदि। इसलिए बताई जा रही होम वास्तु टिप्स (Upay) पर ध्यान दें और अपना जीवन को खुशाल बनाये।

वास्तु में हवा और रोशनी का महत्त्व

  • घर में हवा और प्राकृतिक रौशनी की व्यवस्था अवश्य होना चाहिए।

वास्तु के अनुसार शयनकक्ष

  • (Bedroom) शयनकक्ष की व्यवस्था इस तरह से होना चाहिए की सोते समय पैर उत्तर दिशा और सिर दक्षिण दिशा की और हो।
  • ज्योतिष के अनुसार सोते समय व्यक्ति के पैर दरवाजे की तरफ नही होना चाहिए।

400 Vastu Tips in Hindi For Home Construction – वास्तु के अनुसार घर कैसा हो

वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय

  • Toillet (Let & Bath) हमेशा घर के पश्चिम दिशा में ही बनाना चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार toilet और bathroom हमेशा अलग-अलग होने चाहिए, यदि bathroom और toilet एक साथ है तो bathroom में कांच की कटोरी में साबुत भरकर रखे और हर सप्ताह इसे बदलते रहे। नमक नकारात्मक ऊर्जा का नाश करता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा 

  • घर में पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
  • पूजा स्थल के बारे में एक बात का ख्याल अवश्य रूप से रखे की पूजा घर या पूजा स्थल के ऊपर गुम्बज या शीर्ष कभी न रखे।
  • पूजा घर में भगवान की प्रतिमा स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति का ध्यान उस तरह से नहीं रखा जा सकता है जैसा की रखा जाना चाहिए।
  • फटे हुए चित्र, खंडित मूर्ति, पूजा घर में बिलकुल नहीं होनी चाहिए।
  • घर में कभी भी सीढियो के निचे पूजा घर नहीं बनाना चाहिए।
  • मकान बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखे की toilet के बगल में पूजा घर नहीं हो।

Tips  Shivalay

  • पूजा घर में शिवालय नहीं होना चाहिए, आप चाहे तो शिवजी की मूर्ति अवश्य रख सकते है।

घर के सामने क्या नही होना चाहिए

  • घर के just सामने कोई पेड़, नल, पानी की टंकी नहीं होना चाहिए, इनकी वजह से घर में Positivity के आने में problems होती है।

Vastu Tips टूटे-फूटे सामान

मकान की छत पर कभी भी बेकार की चीजे, टूटे-फूटे सामान और गन्दगी न रखे। घर की छत हमेशा साफ़ और स्वच्छ रखे।

Vastu Tips  फलदार पेड़

  • घर के front में अगर कोई फलदार पेड़ है तो उसे कभी सूखने न दे, अगर यह सुख रहा हो या फल नही दे रहा हो तो इससे घर के लोगो को संतानोत्पति की समस्या या बाँझपन से जूझना पद सकता है।
  • यदि घर की किसी दीवार पर पीपल उग जाये तो उसे पूजा करके हटाते हुए गमले में लगा देना चाहिए, पीपल को बृहस्पति गृह का करक मन जाता है।

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Tips  9 फूलदार पौधे के बारे में वास्तु शास्त्र 

  • घर के ठीक सामने या बहार की साइट में छोटे फूलदार पौधे लगाना शुभ होता है।

Tips 10 वास्तु शास्त्र के अनुसार Study Room 

  • घर के अंदर बच्चो का रूम उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, अगर बच्चो का study room अलग है तो वह दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
  • Study room में देवी सरस्वती की तस्वीर या मूर्ति लगाना बहुत श्रेष्ठ होता है, बच्चो के कमरे की दीवारों का colour light होना चाहिए।

Tips 10 वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर (kitchen)

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार kitchen हमेशा घर के आग्नेय कोण में होना चाहिए।
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन करते समय हमारा मुह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • Kitchen के अंदर wash Bessin में कभी भी झूठे और गंदे बर्तन रात को नही छोड़ने चाहिए, अगर हो सके तो kitchen में सुबह और शाम भोजन बनाने से पहले धुप दीप अवश्य करना चाहिए।
  • एक बात हमेशा याद रखे कभी भी kitchen में पूजा स्थल नही रखे।
  • वास्तु के अनुसार किचन सावधानीपूर्वक निश्चित करे, रसोईघर में खाना बनाने के चूल्हे और wash bessin की जगह में अंतर बनाये रखे।

Home Vastu Tips For Bedroom (शयनकक्ष)

  • घर में Bedroom कभी भी दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए, Bedroom में mirror नहीं लगाना चाहिए , इससे आपसी संबंधों में दूरिया बढ़ सकती है।
  • Bedroom में लकड़ी के बने bad रखना चाहिए।
  • Bedroom में कभी भी मंदिर नहीं होना चाहिए, लेकिन Decoretion का सामान या किसी प्रकार का music instrument रख सकते है।
  • Bedroom की दीवारों के लिए White , Blue , Purpul colour ही अच्छा माना जाता है।
  • धन की तिजोरी को Bedroom के दक्षिण-पश्चिम भाग में रखने से घर के निवासियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  • घर के Bedroom में भगवान के Photos, calander तस्वीरे या फिर धार्मिक आस्था से Related वस्तुए नहीं रखना चाहिए, Bedroom की दीवारों पर Poster या तस्वीरे न लगाए तो अच्छा है।
  • Bedroom में किसी भी प्रकार के पौधे नहीं लगाना चाहिए, इससे married life पर बुरा असर पड़ता है।
  • घर के मुखिया का Bedroom दक्षिण-पश्चिम दिशा में अच्छा माना जाता है, इससे घर के मुखिया का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और समृद्धि घर में आती है।

Vastu Home Tips घर में क्या न रखे/लगाए  

  • घर में कभी भी कांटेदार पौधे नहीं लगाने चाहिए, लेकिन फेंगशुई पौधे, money plant या बांस लगा सकते है।
  • घर में कभी भी महाभारत, कब्रिस्तान, युद्ध और झगडे की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए।
  • घर में नकली पौधे नहीं लगाने चाहिए, ये asthetic sens के लिहाज से अशुभ माने जाते है, ये धुप और गंध को भी ज्यादा आकर्षित करते है।

Tips 13 घर का मध्य भाग

  • घर का मध्य भाग ब्रम्हस्थान होता है, इसे हमेशा खाली और साफ़-स्वच्छ रखना चाहिए। कहा भी जाता है कि घर के मध्य के स्थान में भगवान ब्रम्हा का निवास स्थान होता है।

Tips 14 वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार

  • मकान का Main gate दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए, अगर ऐसा है और इसे आप नहीं बदल सकते तो द्वार के ठीक सामने बड़ा सा दर्पण लगाए जिससे Negetive anergy द्वार से ही वापस लौट जाएगी।
  • घर की window and gate ऐसे होने चाहिए जिससे की सूर्य का प्रकाश ज्यादा से ज्यादा समय के लिए घर के अंदर आये, इससे घर की बीमारिया दूर होती है और Positive anergy घर में बानी रहती है।

Tips 15 मकान की सीढिया

  • घर की सीढिया सामने की और नही होनी चाहिए और सीढ़ी ऐसी जगह पर होनी चाहिए की घर में घुसने वाले व्यक्ति को यह सामने नजर नही आनी चाहिए।
  • सीढ़ी के पायदानों की संख्या विषम 21 ,23 ,25 में होनी चाहिए।
  • सीढ़ी के नीचे कुछ उपयोगी सामान रख सकते है लेकिन सामान सुसज्जित होने चाहिए।
  • सीढ़ी के नीचे toilet , kitchen , bathroom , पूजा घर आदि नही होने चाहिए।

घर में पानी संग्रहण (water tank) 

  • घर में पानी का संग्रहण (water tank) ईशान्य कोण में ही होना उचित माना गया है।

घर में सामान कहा और कैसे रखे-

  • घर के अंदर Freez दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें यह बहुत शुभ होता है।
  • घर में भरी सामान दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने चाहिए, हलके सामान उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखे जाना चाहिए।
  • सुख समृद्धि पाने के लिए घर की पूर्वोत्तर दिशा में पानी का एक कलश रखे, इससे आपके घर में सुख समृद्धि में वृद्धि होगी।

घर की positivity कैसे बढ़ाये

  • घर की positive anergy बढ़ाने के लिए गुलदस्तों में रोज ताजे फूल लगाए, फूलो के गुलदस्ते ताजगी और सौभाग्य में वृद्धि करते  है।
  • घर की lights पूर्व या उत्तर दिशा में lagi होनी चाहिए।

Guest Room (मेहमान घर)

  • मकान में गेस्ट रूम उत्तर-पूर्व की और होना चाहिए, अगर उत्तर-पूर्व में संभव न हो तो उत्तर पश्चिम दिशा दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है।

वास्तु दोष को कम करने या समाप्त करने के उपाय-

  • घर में मौजूद किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को ख़त्म करने के लिए या कम करने के लिए वास्तु दोष निवारक यंत्र का प्रयोग किया जा सकता है। इस यंत्र की स्थापना पंडित या पुरोहित से ही करवाना चाहिए।
  • वास्तु दोष को कम करने या ख़त्म करने के लिए स्वस्तिक चिन्ह को घर के मुख्य द्वार पर अंकित करने से भी सभी तरह के वास्तु दोष ख़त्म हो सकते है।

351 To 400 Vastu For Home in Hindi – घर के लिए वास्तुशास्त्र

वास्तु क्षेत्र के अनुसार घर के ईशान दिशा में बालकनी नहीं रखना चाहिए। (वास्तु के मुताबिक बालकनी कहां रखे बनाये)

मकान बनाते समय पश्चिम से पूर्व में और दक्ष्णि से उत्तर में अधिक खाली जगह नहीं रखनी चाहिए।

उत्तर से पश्चिम में और पूर्व से पश्चिम में अधिक स्थल रखना खतरे से खाली नहीं हैं।

कोई भी स्थल जिसके दक्षिण में अधिक खाली जगह हो, वह भूखंड या मकान 12 वर्ष के भीतर बिक जाता है। इसलिए भवन निर्माण के समय इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।

यदि मकान में दो बरामदे रखे जा रहे हैं, तो वास्तुशास्त्री के हिसाब से पच्शिम के बरामदे से पूर्व का और दक्षिण के बरामदे से उत्तर का बरामदा चौड़ाई में कुछ अधिक रखें।

पूर्व व उत्तर मुख्य द्वार वाले घरों में बरामदे घर से कम ऊंचाई में डालना अच्छा रहता हैं।

पूर्व का बरामदा घर की स्त्रियों के स्वस्थ की रक्षा करता हैं।

उत्तर का बरामदा पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता हैं।

बाथरूम में कमोड इस तरह लगा होना चाहिए की कमोड पर बैठे व्यक्ति का मुख उत्तर या दक्षिण में हो।

बाथरूम में कमोड ईशान क्षेत्र में नहीं लगाए।

कमोड की व्यवस्था शौचालय की दक्षिण दिशा की तरफ होनी चाहिए।

बाथरूम के पूर्व या उत्तर दिशा की और वाश बेसिन लगाए।

बाथरूम स्नान घर का द्वार पूर्व में होना चाहिए

शावर, नल, आदि बाथरूम के ईशान में लगाए।

बाथरूम में पानी का निकास व ढलान ईशान क्षेत्र में रखें।

भूखंड पर पूजा के बाद सबसे पहले उत्तर पूर्व या ईशान में भूमिगत पानी की टंकी, कुआ या बोरिंग का निर्माण करवाए। इससे गृह निर्माण में पैसों की दिक्कत नहीं आती हैं।

भूखंड के मध्य का भाग यानी ब्रह्म स्थान लहाइ रखें यहाँ कोई निर्माण नहीं होना चाहिए।

मकान की नीव खोदते समय भूमि से पत्थर, आईटी निकलती हैं, तो ग्राम स्वामी की आयु में वृद्धि होती हैं।

यदि नीव खोदते समय राख, कोयला, हड्डी, लोहा आदि निकलता है, तो यहना भवन निर्माण टाल देना बेहतर होता हैं। फिर बाद में किसी योग्य पंडित द्वारा इस विषय में चर्चा कर भूमि की शुद्धि करवाए।

घर का मुख्य द्वार वहां न रखें जहाँ घर के सामने से आई कोई सड़क समाप्त होती हो। (घर का मैं दरवाजे के लिए वास्तु टिप्स)

मुख्य द्वार की और किसी पेड़ का धुंध वाला हिस्सा हो तो उसे काट दें।

नैऋत्य कोण के स्थान का फर्श कभी भी निचा नहीं रखे।

ईशान कोण के स्थान का फसढ़ हमेशा निचा रखे।

ईशान कोण में रसोई घर न बनवाये। (रसोई घर कहां न बनाये)

आग्नेय कोण में रसोई घर बनवाये। (रसोई घर कहां बवाये वास्तु के अनुसार)

घर के बिजली के मीटर, main switch केबल आदि आग्नेय कोण में लगवाए।

हमेशा ब्रह्म स्थान भूखंड का बिच खुला व निर्माण रहित होना चाहिए।

दक्षिण में द्वार न बनवाये। खासकर दक्षिण के मध्य हिस्से में बिलकुल नहीं, क्योंकि यहां यमराज का निवास होता हैं।

यह ध्यान रखें की गृह निर्माण करते समय ईशान कोण कटना नहीं चाहिए।

वायव्य कोण का निर्माण बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिए। लेकिन कोना कटा हुआ हो सकता हैं।

आग्नेय कोण का निर्माण बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिए। लेकिन कोना कटा हुआ हो सकता हैं।

इस बात का ध्यान रखें की कमरे आदि के दरवाजे के अंदर की और खुलने चाहिए।

नैऋत्य कोण का निर्माण सबसे ऊंचा रखें।

शौचालय वायव्य कोण, अग्नि कोण, दक्षिण पश्चिम या पश्चिम में बनवाया जा सकता हैं। (वास्तु के अनुसार शौचालय कहां बनवाये)

किसी भी स्थान का उत्तर तथा पूर्व हल्का होना चाहिए।

किसी भी स्थान का दक्षिण और पश्चिम भारी होना चाहिए।

घर के मुख्य द्वार के ऊपर स्वस्तिक का चिन्ह लगाए।

घर की चारदीवारी चौकोर बनवाये।

स्टोर रूम दक्षिण पश्चिम में शुभकारी होता हैं। (वास्तु के अनुसार स्टोर रूम)

पूजा कक्ष में भगवान् की प्रतिमा पुरव या उत्तर दिशा में लगाए।

घर में तहखाना न बनवाये। यह वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं माना जाता हैं।

भवन की छत और ग्राउंड फ्लोर का ढाल पश्चिम से उत्तर पूर्व दिशा की और रखें।

वास्तुशास्त्र में पूर्व का मुख्य द्वार सर्वश्रेष्ठ माना जाता हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार कहां बनवाना चाहिए।

पूर्व के मुख्य द्वार का सही स्थान उत्तर पूर्व हैं।

इस प्रकार से भवन के उत्तर में मुख्य द्वार बनवाना हो तो उत्तर पूर्व चुनिए।

भवन के पश्चिम में मुख्यद्वार बनवाना हो तो दक्षिण पश्चिम का चयन न करें।

भवन के पश्चिम में मुख्य द्वार उत्तर पश्चिम स्थान पर बनवाये। भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार कहां रखें।

मकान के निर्माण में काम आने वाली लकड़ियां अशोक, चन्दन, देवदार, शीशम, सागवान, निम्, साल, कटहल आदि की होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार घर कैसे बनवाये, घर के लिए वास्तुशास्त्र देखें।

भवन निर्माण में पीपल, नारियल आदि वृक्षों की लकड़ियों का इस्तेमाल न करें।

प्राकृतिक रेत, चुना, बलुआ, पत्थर और संगमरमर आदि भवन निर्माण सामग्रियों का रहने वालों पर बहुत शुभप्रभाव पड़ता हैं।

ग्रेनाइट। क्वार्ट्ज, प्रबलित सीमेंट, कंक्रीट आदि का घर निर्माण में बहुतायत इस्तेमाल होने पर रहने वाले हमेशा दबे दबे से रहते हैं।

कांच के अधिक प्रयोग से असुरक्षा की भावना पैदा होती हैं।

घर बनाने के लिए ईंट और प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पत्थर आदर्श रहते हैं।

गृह निर्माण में भारी कंक्रीट का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा निवासियों का सुख चैन छीन लेता हैं। (वास्तुशास्त्र के अनुसार घर बनाते वक्त क्या सावधानी रखें)

घर में भारी स्टील के प्रयोग से भी बचें।

गृह निर्माण में ज्यादा सिंथेटिक पदार्थो के इस्तेमाल से बचें।

गृह निर्माणों में प्रयोग किये जाने वाले पत्थर मजबूत व सख्त होने चाहिए।

गृह निर्माण में प्रयोग में लाइ जाने वाली ईंट ला रंग की होनी चाहिए साथ ही यह सुन्दर आकृति की हो, दरार न हो।

मकान के बाहर मुख्य द्वार पर भूलकर भी कांच लगवाए। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार कैसा हो।

रसोई घर का द्वार हमेशा छोटा ही रखें।

मकान में जल निकासी की नाली की व्यवस्या इस तरह होनी चाहिए, पूर्व में जल निकास लाभप्रद होता हैं। (वास्तु के अनुसार घर में नाली कहानी निकाले)

उत्तर दिशा में नाली का जल निकास धन लाभ देता हैं।

दक्षिण दिशा में नाली का जल निकास रोग, शोक और गृह स्वामी की मृत्यु का कारण बनता हैं।

पश्चिम में नाली का जल निकास अग्नि भय व धन की हानि का कारण बनता हैं।

भूखंड के सामने कब्रिस्तान या शमशान का होना अशुभ हैं।

भंडार गृह वायव्य कोण में रखें। (वास्तु के अनुसार भण्डार गृह)

घर के लिए वास्तु टिप्स – कबाड़ खाना नैऋत्य दिशा में शुभ होता हैं। कबाड़ खाना कहां रखना चाहिए घर में।

रसोई घर का प्लेटफार्म उत्तर पूर्व में बनवाये।

गैस सिलेंडर का स्थान अग्नि कोण में रखें।

भवन का निर्माण करने से पूर्व शिलान्यास करने का विधान हैं। शिलान्यास के लिए पांच शिलाओं की स्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती हैं।

स्थापना से पूर्व शिला पूजन करें। इसके बाद गृह निर्माण कार्य प्रारम्भ करना चाहिए।

भवन में बनाये जाने वाले कक्षों की माप और दिशा आदि का विवरण व निर्माण का रेखांकन चित्र स्वयं या आर्किटेक्स तैयार करा लेना चाहिए।

भवन में सबसे पहले दीवारों की तरफ ध्यान देना चाहिए। घर के लिए वास्तु टिप्स भारतीय वास्तु शास्त्र।

दीवारें सीधी और एक आकर में होनी चाहिए।

कहीं मोटी व कहीं पतली दिवार वास्तु के हिसाब से अशुभ हैं।

मकान में प्राकृतिक रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें।

मकान में हवा आए इसकी व्यवस्था सुनिश्चित कर लें।।

मकान की खिड़कियां ऐसी अवस्था में होनी चाहिए की हवा व रोशनी अंदर आ सके। यह बहुत जरुरी हैं अन्यथा घर वाले सुख से नहीं रहते हैं।

कक्षों के निर्माण में हमेशा इस बात का ध्यान रखें की भूखंड में बनाये जाने वाले कक्ष दक्षिण और पश्चिम दिशा में भारी रखे जाए। वास्तु टिप्स मकान कैसे बनाये।

पूर्व एवं उत्तर दिशा में खिड़कियां या रोशन दार रखने पर इस दिशा में हल्कापन रहता है।

पूर्व एवं उत्तर दिशा में अधिक स्थान छोड़ें।

पूर्व एवं उत्तर दिशा में छोड़े गए स्थान में लोन आदि का प्रयोग करे।

पूर्व एवं उत्तर दिशा में दक्षिण एवं पश्चिम दिशा की अपेक्षा अधिक खाली स्थान छोड़ें।

छत एवं फर्श के सम्बन्ध में भी यही नियम लागू होता हैं।

अगर घर में डांस कक्षां बनवाना चाहते हैं, तो इसके लिए पूर्व, पश्चिम वायव्य या आग्नेय कोण का चयन करना शुभ रहता हैं।

दूकान का मुख्य द्वार वायव्य कोण में बनवाये। वास्तु शास्त्र के अनुसार दुकान का मुख्य द्वार।

घर में पश्चिम में दो द्वार न रखें।

घर के पश्चिम में दो कमरों का होना भी शुभ नहीं हैं।

आज के समय में हॉल को आंगन के समक्ष रखना छाइये।

वास्तु के विभिन्न ग्रंथों के अनुसार बनाये जाने वाले मकान के अंदर कक्षों की स्थिति इस प्रकार होनी चाहिए-पूर्व दिशा में बाथरूम। किचन का स्थान आग्नेय। दक्षिण में शयन कक्ष। नैऋत्य ,एओम हरज स्वामी का शयन कक्ष। नैऋत्य में कपडे रखने का स्थान, आलमारी। नैऋत्य में चोचले। नैऋत्य में बड़े बेटे का शयन कक्ष। वायव्य में बड़ी बेटी का कमरा, जो अविवाहित हो तथा शीघ्र शादी की बात चल रही हो।

  • छोटी पुत्रियों को वायव्य स्थित कमरे में न रखें।
  • पश्चिम में डाइनिंग रूम।
  • वायव्य में अनाज गृह।
  • वायव्य में शौचालय भी सौभाग्य दायक होता हैं।
  • वायव्य में पशुशाला भी रखी जा सकती हैं।
  • ईशान व उत्तर दिशा में पूजा का कमरा न रखें।
  • उत्तर में जल रखने का स्थान या जल स्त्रोत का भंडार ।
  • उत्तर में धन जमा करने का स्था।
  • दक्षिण नेरिया में शौचालय।
  • पश्चिम नैऋत्य में स्टडी कक्ष।
  • उत्तरी वायव्य में रति गृह रखें।
  • पूर्वी ईशान में वस्तुओं का संग्रह करने का स्थान रखें।
  • उत्तरी ईशान में दवा रखने का स्थान।
  • उत्तरी ईशान में इलाज करने का स्थान।
  • यदि तहखाना घर में गंवाना हो, तो पूर्व उत्तर या ईशान की और बनवाये।
  • अगर कुवां खुदवाना हो तो पूर्व दिशा में खुदवाये। ऐसा करने से गृह स्वामी के ऐश्वर्य में वृद्धि होती हैं। साथ ही गृह स्वामी आरोग्य सुख प्राप्त करता हैं।
  • आग्नेय में कुवां नहीं होना चाहिए।
  • दक्षिण दिशा में कुवां नहीं होना चाहिए।
  • नैऋत्य का कुवां भी विनाशकारी होता हैं।
  • ईशान दिशा में स्थित कुवां स्वास्थ्य एवं धन में वृद्धि करता हैं।
  • उत्तर दिशा का कुवां सुख प्रदान करता हैं। यहां कुवां का अर्थ सिर्फ कुवां ही नहीं, बल्कि इसके अंतर्गत भूमिगत पानी की टंकी, बोरिंग, टूबवेल आदि आते हैं।
  • घर में जल निकासी की व्यवस्था के बारे में वास्तु शास्त्र के विभिन्न ग्रंथों में जानकारी मिलती हैं।
    पूर्व में जल निकासी होने पर घर में धन आता हैं।
  • आग्नेय में जल निकासी से धन का नाश होता हैं, मृत्यु भय भी बना रहता हैं।
  • दक्षिण में जल निकासी व्यवस्था होने पर गृह स्वामी विवालिया हो जाता हैं।
  • नैऋत्य में जल निकासी हो तो निवासी कलह में दिन गुजारेंगे।
  • उत्तर में जल निकासी का होना शुभ माना जाता हैं।
  • ईशान में जल निकासी हो तो सुख सम्पदा घर में आती हैं।
  • पश्चिम में जल निकासी हो, तो शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
  • वायव्य में जल निकासी शुभ नहीं होती हैं।
  • अगर आपको एक ही स्थान या दिशा में दो शयन कक्ष बनवाने हो तो एक मुख्य शयन कक्ष दक्षिण दिशा में बनवाये दूसरा शयन कक्ष उत्तर पश्चिम दिशा में बनवाये।
  • नैऋत्य कोण से आग्नेय कोण की और एवं नैऋत्य कोण से वायव्य कोण की और शयन कक्ष बनवाना शुभ होता हैं।
  • पूर्व दिशा में शयन कक्ष न बनवाये
  • उत्तर दिशा में शयन कक्ष न बनवाये
  • आग्नेय दिशा में सोने का कमरा नहीं होना चाहिए
  • ईशान कोण में शयन कक्ष न बनवाये
  • मुख्य शयन कक्ष दक्षिण पश्चिम कोने में बनवाये। (स्वामी का निवास स्थान हैं)

Vastu tips for children’s room in hindi

  • बच्चों का शयन कक्ष दक्षिण पश्चिम दिशा में बनवाये।
  • बच्चों का शयन कक्ष ईशान कोण में भी बावय जा सकता हैं हैं।
  • नव विवाहितों के लिए उत्तर दिशा में कमरा बनवाये
  • नव विवाहितों के लिए वायव्य कोण में कमरा बनवाये
  • घर के लिए वास्तु टिप्स – गृह स्वामी के छोटे भाइयों या बच्चों के लिए शयन कक्ष गृह स्वामी के शयन कक्ष से पूर्व दिशा में या फिर उत्तर दिशा में ही बनवाये।
  • मेहमानों के लिए वायव्य कोण में कमरा बनवाये
  • यदि स्नान कक्ष शयन कक्ष के साथ ही बनवाने की योजना हैं (यह सिर्फ तभी होता हैं, जब भूखंड का आभाव हो अथवा और कोई विकल्प बचा न रहे। तो स्नान कक्ष को शयन कक्ष के पूर्व या उत्तर में बनवाये।

नाहने का कमरा भवन के बाहर उत्तर-पूर्व कोने में भी ठीक बनवाया जा सकता हैं। लेकिन ध्यान रहे की भवन और उसकी चारदीवारी से यह बाहर रहे bathroom according to vastu shastra in hindi

बॉयलर बाथरूम में दक्षिण पूर्व किनारे पर लगाए

स्नान घर के लिए दक्षिण पूर्वी कोना भी उपयुक्त हैं। इस बात का ध्यान रखें की यह मकान तथा उसकी चारदीवारी से सत्ता न रहे।

स्नान घर दक्षिण या पश्चिम चारदीवारी की दिवार को छू सकता हैं। यह मुख्य भवन की दिवार से सत्ता हुआ नहीं होना चाहिए।

शौचालय के लिए दक्षिण पश्चिम का कोना उत्तम हैं। वास्तु के अनुसार शौचालय कहां रखें।

पूर्व और दक्षिण पूर्व के बिच के क्षेत्र तेल घी आदि का भंडार गृह बनाने पर घर में सुख शांति बनी रहती हैं।
उत्तर पश्चिम के कमरे में अनाज रखें।

उत्तर पूर्व में पूजा स्थान, प्रवेश द्वार और मंडप बनाने से ख़ुशी और समृद्धि हासिल होती हैं।

उत्तर पूर्व और पूर्व के बिच का घाग ध्यान उपासना कक्ष के लिए उत्तम हैं।

भवन के मध्य में घर का आंगन होना चाहिए, भारतीय वास्तु के अनुसार घर में आंगन बनाना अति महत्वपूर्ण होता हैं।

नव ग्रहों को ध्यान में रखकर मकान का निर्माण किया जाना श्रेष्ट हैं। वास्तु शास्त्री इस बात पर जोर देते आए हैं की मकान का निर्माण इस प्रकार होना चाहिए की घर में नव ग्रहों को पर्याप्त स्थान व सम्मान मिल सके। तभी नवग्रहों का अच्छा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता हैं तथा व्यक्ति का जीवन अनंत व समृद्ध शाली होता हैं।

सूर्य गृह का स्थान घर के पूजा गृह में होता हैं।
सूर्य घर वालों के स्वास्थ्य की रक्षा करता हैं
चन्द्रमा गृह का वास स्थान स्नान घर हैं। यह घर के लोगों को यश प्रदान करता हैं
मंगल गृह का निवास स्थान रसोई घर में होता हैं। यह घर के सदस्यों में बुद्धि व सद्चरित्र का निर्माण करता हैं। यह धनदायक भी हैं।

बरामदे या मध्य के बड़े कमरे में बुधग्रह का वास स्थान हैं।

बृहस्पति गृह का वास स्थान उत्तर के कोनागर में होता हैं या फिर अध्ययन व चिंतन कक्ष में होता हैं।

शुक्र का वास स्थान दक्षिण में होता हैं। दक्षिण पश्चिम और पश्चिम किनारों पर निर्मित भोजन कक्ष प्रसाधन कक्षा शयन कक्षा में शुक्र का वास् होता हैं।

घर में प्रवेश की दाहिनी तरफ राहु का स्थान हैं
घर में प्रवेश की बायीं और केतु का स्थान हैं
राहु और केतु निवासियों को इज्जत व व समृद्धि प्रदान करते हैं। ये घरवालों को दुश्मनो से रक्षा भी करते हैं।

एक वास्तु अनुकूल निर्मित भवन में ये सारे गृह मिलकर व्यक्ति के जीवन को मंगलमय ऊर्जामय व स्वस्थ करते हैं।

आजकल शहरों में आत्ताच लेट्रिन बाथ्रून का चलन हैं। हालांकि वास्तु शास्त्र में कहीं भी इसका जिक्र नहीं किया गया हैं। तथापि ईशान कोण में तहखाना और वहीँ दक्षिण मध्य व नैऋत्य के बिच वाले स्थान पर शौचालय बनाया जा सकता हैं।

घर का निर्माण करने से पूर्व चारदीवारी का निर्माण करा लेना उत्तम हैं।

उत्तर एवं पूर्व मुखी घरों के लिए गौमुखी मकान अशुभ होते हैं

घर के प्रत्येक सदस्य पर वास्तु का अलग-अलग प्रभाव पड़ता हैं।

ज्येष्ठ माह में भूखंड की उत्तर दिशा में खुदाई शुरू करने से शुभ फल की प्राप्ति होती हैं।

पौष, माध, मार्ग शीर्ष मॉस में भवन की नींव की दक्षिण दिशा में खुदाई करने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

अगर फाल्गुन महीने में गृह निर्माण करना चाहते हैं, तो भूखंड की पश्चिम दिशा में नींव खनन कार्य करे। शुभ परिणाम प्राप्त होगा।

भादो में पूर्व दिशा में नींव खनन कार्य करना चाहिए
वास्तु शास्त्र में इस बात पर जोर दिया गया हैं की नींव की खुदाई उत्तर पूर्व से ही शुरू करनी चाहिए
नींव की दिवार का निर्माण नैऋत्य कोण से ही करना होता हैं
घर में दीवारों की ऊंचाई पूर्व, उत्तर-पूर्व में नीची रखें।
दक्षिण एवं नैऋत्य दिशा वाले कमरों में भारी सामन जितना अधिक रहेगा, गृहस्थ जीवन उतना ही सुखमय बीतेगा।

हल्का सामान उत्तर ईशान और वायव्य दिशाओं में जितना होगा, गृहस्थ जीवन उतना ही सुखकर होगा। Home According to vastushastra in Hindi best tips ever 400+

पश्चिम दिशा में वृक्ष लगाना अच्छा होता हैं

ऊंचे पेड़ व ऊंचे भवन पूर्व दिशा में विनाशकारी होते हैं

वास्तु के अनुसार भवन में एक ही मुख्य द्वार रखना उत्तम रहता हैं, वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार।

सभी सहायक दरवाजों व खिड़कियों की उंचरी एक समां होनी चाहिए

द्वार के ऊपर द्वार का निर्माण अशुभ हैं अगर भवन बहुमंजिली न हो।

भवन के निर्माण में अधपकी ईंटों का प्रयोग न करे

खिड़की तीन फुट ऊंचाई का लगाए

वास्तु के अनुसार गैराज के लिए वायव्य या आग्नेय कोण उत्तम हैं

वायव्य में कार कड़ी करना सबसे अधिक श्रेष्ट माना गया हैं

वायव्य के पश्चिम में गैराज होने पर कार स्वामी को बहुत यात्री करनी पद सकती हैं

आग्नेय में कार कड़ी करना उतना अच्छा नहीं हैं

गैराज का फर्श उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ ढलवाए रखें

गैराज की छत मुख्य भवन और चारदीवारी को नहीं छुए

गैराज के चारों और कम से कम दो तीन फुट छोड़ी खुली जगह रखें

नैऋत्य में भूलकर भी पार्किंग न बनवाये

गैराज का द्वार उत्तर या पूर्व की तरफ रखें

गैराज की ऊंचाई कंपाउंड द्वार की उंचरी से कम रखें

उत्तर या पूर्वभिखमुखी भूखंड में ईशान के उत्तर या पूर्व में पोर्टिको बनाया जा सकता हैं

पोर्टिको मुख्य भवन को नहीं चुना चाहिए

अध्ययन कक्ष के लिए भूखंड का पश्चिम सर्वोत्तम स्थान हैं

घर के मुख्य द्वार के सामने नाहने का कक्ष नहीं रखें

घर के मुख्य द्वार के साथ भी नाहने कमरा न बनवाये

रसोई के ऊपर स्नान घर नहीं होना चाहिए

पूजा घर के ऊपर भी स्नान घर न बनवाये

वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष से शता स्नानघर नहीं होना चाहिए

वास्तु के अनुसार पूजा घर के लिए ईशान दिशा उत्तम हैं

पूजा घर में कम से कम भार रखें

पूजा घर का द्वार पूर्व या उत्तर में बनवाए

पूजाघर में दरवाजे और खिड़कियों की विपार्टी दिशा में रोशनदान लगवाए

पूजाघर में सफ़ेद या हलके पिले संगमरमर का फर्श बहुत शुभ हैं

पूजाघर में ब्रह्मा विष्णु महेश सूर्य इंद्रा आदि देवताओं की मूर्तियों के मुख पश्चिम दिशा में ही रखें।

हनुमान जी की मूर्ति का मुख नैऋत्य दिशा में रखें

गणेश जी, दुर्गा जी, भैरों बाबा का मुख दक्षिण दिशा में रखें

कुबेर का मुख दक्षिण में रखें

पूजा घर में मुर्तिया प्रवेश द्वार के एकदम सामने न रखें

प्राचीन मंदिरों से लाइ गई मूर्तियों को पूजा घर में न रखें

मूर्तियों का मुख एक दूसरे की और नहीं होना चाहिए

दीवारों से सटाकर मुरिया न रखें

शयन कक्ष की उत्तर दिशा में खिड़की न लगवाए

घर के प्रवेश द्वार के बाहर पोर्चे या गैराज का निर्माण करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की उसकी छत समतल न हो।

पोर्चे के दाए या बाए से कुछ दुरी से चारदीवारी के मुख्य द्वार तक सड़क जानी चाहिए

पोर्चे के ठीक सीधे से सीधी सड़क चारदीवारी के मुख्य द्वार तक जाती हैं तो सौभाग्य के द्वार बंद हो जाते हैं।

कमरे में दुछत्ती दक्षिण या पश्चिम में बनाने का वास्तु में विधान हैं।

नैऋत्य कोण में दक्षिण या पश्चिम में दुछत्ती का निर्माण किया जा सकता हैं।

घर में खिड़की और दरवाजे की संख्या विषम नहीं होनी चाहिए

किसी भी भूखंड के चारों कोण वास्तु में काफी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। गृह निर्माण के दौरान ईशान कोण को थोड़ा आगे निकाल दें। जिससे इसका कोण 80-80 का बन जाए

ईशान कोण पर कोई भी निर्माण कार्य न करें। इससे घर में बीमरियना फैलती हैं

वायव्य कोण को भूलकर भी बंद न करे

वायव्य कोण की पश्चिमी दिवार पर बड़ा द्वार बनाने से लक्षीण का घर में आगमन होता हैं

नैऋत्य कोण के बाहर चबूतरा और बाहरी सीढ़ियों का निर्माण करके दक्षिणी और पश्चिमी दिवार में दरवाजा व खिड़कियां बनाना अत्यंत ही लाभदायक हैं

नैऋत्य कोण में भीतर की पश्चिमी या दक्षिणी दिवार पर सीधी बनाई जा सकती हैं। इसका दरवाजा छत पर उत्तर या पूर्व दिशा में रखें

आग्नेय कोण को भी बंद नहीं रखना चाहिए अगर यह कोण बंद हो जाता हैं तो पुरे घर की अग्नि व ताप व्यवस्था गड़बड़ा जाती हैं। अग्नि काण्ड का भय बना रहेगा।

आग्नेय कोण को पूर्व दिशा में खुला रखें । इससे प्रायिक ऊर्जा, हवा, प्रकाश, घर में प्रवेश करके घर के ताप को नियंत्रित करता हैं।

चारदीवारी और मुख्य भवन के बिच की जगह खुली रहती हैं तो इसके परिणाम बहुत ही दुखद ही सुखद होते हैं।
ईशान कोण की ऊंचाई सदा ही कम रखें

नैऋत्य कोण की ऊंचाई सर्वाधिक रखें। इससे घर में कभी धन का आभाव नहीं होगा

जिस भूखंड की पूर्व दिशा में केवल एक ही मार्ग हो तो ऐसे भूखंड पर बना मकान हर तरह से शुभ व श्रेष्ठ होता हैं। इससे कभी धन की कमी नहीं आती।

मकान में खिड़की के पल्ले बाहर की और खुलने वाले लगवाए

मकान में द्वार के पल्ले अंदर की और खुलने वाले लगवाए

भवन का उत्तरी द्वार निचले फर्श पर तथा दक्षिणी द्वार ऊंचे फर्श पर रखें। इससे धन की कभी कमी नहीं रहेगी
मकान में लम्बे गलियारे निकालने से बचें। यह अशुभ होता हैं।

दक्षिण पश्चिम में सीधी बनवाते समय यह कोशिश करे की दक्षिण दिवार से ही ऊपर की और सीधी जाए

नैऋत्य कोण की दक्षिण या पश्चिम की दिवार में ही सीढ़ियों का निर्माण होना चाहिए

उत्तर व पूर्व दिशा की दिवार से लगा बैडरूम बाथ्रून या टॉयलेट नहीं बनवाये यह वास्तुदोष होगा

भवन निर्माण में वास्तु पुरुष का स्थान सर्वोपरि हैं। वास्तु पुरुष के विभिन्न अंगों पर विभिन्न देवताओ का वास होता हैं। भवन का कौन सा स्थान खुल छोड़े कहां मुख्य द्वार बनवाये, स्नानगार कहां हो, आदि सब देवताओ की वास्तुदेव में स्थित का पता लगाने के बाद ही संभव हो पाता हैं।

भवन निर्माण कार्य बहुत करने से पहले वास्तु पुरुष को स्थिति का ज्ञान करने के लिए एक साधारण फॉर्मूले पर गौर करना चाहिए- भवन निर्माण की जो तारीख आपने निर्धारित कर रखी हैं, उसमे चार जोड़ कर संख्या को दोगुना कर ले।

इसके बाद उसमें ग्रा स्वामी के नाम के अक्षरों की संख्या को जोड़े। उसे तीन से भाग दें। अगर शेष एक रहता हैं, तो स्वर्ग में, दो शेष रहता हैं, तो पातळ में और अगर कुछ भी शेष न बचे, तो वास्तु पुरुष समझे की मृत्यु लोक में स्थित हैं।

वास्तु पुरुष स्वर्ग में होता हैं तो लगातार लक्ष्मी की वर्षा होती हैं

वास्तु पुरुष शुन्य में होता हैं यानी मृत्यु लोग में स्थित होने पर गृह स्वामी भी मृत्यु को प्राप्त होता हैं

वास्तु पुरुष के मस्तक और कमर से लेकर नाभि का भाग बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं। भवन निर्माण के समय इन दोनों हिस्सों पर िशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

अधोमुख लेटे हुए वास्तु पुरुष का सर ईशान में बाई भुजा वायव्य में, दाहिनी भुजा आग्नेय में, पैर नैऋत्य में तथा नाभि स्थल ब्रह्म स्थान में माना गया हैं। यही कारण हैं की ईशान व ब्रह्म स्थान में भारी सामान नहीं रखना चाहिए।

शरीर निर्माण पंच तत्वों जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि व हवा से बना हैं तथा वास्तु पुरुष की आत्मा स्वरुप उपस्थित हर आवास को जीवन से परिपूर्ण करती हैं।

ईशान में वास्तु पुरुष का सिर होता हैं। यहां पर भगवान शिव का वास् हैं।

ईशान में पूजा स्थल उत्तम रहता हैं

भवन निर्माण में यदि भुखन L आकर का हैं, तो भूखंड के दक्षिण पश्चिम या नैऋत्य भाग में ही भवन का निर्माण करे।

प्राचीन वास्तु शास्त्र में बेसमेंट बनाने का कोई विधान नहीं हैं। अतः: बेसमेंट का निर्माण बहुत आवश्यक होने पर ही करें।

बेसमेंट की ऊंचाई नौ फ़ीट से कम नहीं होनी चाहिए
बेसमेंट का चौथाई भाग जमीनी सतह से ऊपर रखें ताकि सूर्य की किरणे अंदर प्रवेश कर सकें

वास्तुशास्त्र के अनुसार गृह निर्माण से पूर्व भूखंड पर ईशान दिशा में भूमिगत पानी की टंकी , कुवा या बोरिंग का निर्माण करवा कर उसी जल से ईंट जोड़ने नींव या अन्य निर्माण कार्यों का होना चाहिए

वास्तुशास्त्र के मुताबिक नींव की खुदाई का कमा ईशान कोण से शुरू करके वायव्य कोण से शुरू करें और नैऋत्य कोण तक ले जाए।

आखिर में आग्नेय कोण से शुरू करके नैऋत्य कोण पर समाप्त करना वास्तु सम्मत हैं

नींव भरे का कार्य सबसे पहले नैऋत्य से प्रारंभ करके आग्नेय कोण तक ले जाए

फिर नैऋत्य से वायव्य कोण तक ले जाए

इसके बाद आग्नेय से ईशान कोण की और ले जाए

आखिर में वायव्य से ईशान क्योंकि और ले जाये

भवन की दीवारें बनाते समय भी वास्तु का विशेष ध्यान रखें

जिस तरह आपने नींव भरे की हैं ठीक वही नियम यहां भी लागू होना चाहिए

भवन निर्माण के समय भूखंड के उत्तर पूर्व कोने में अथवा इसके आस पास निर्माण सामग्री में न रखें। अन्यथा निर्माण कार्य समय से पूरा नहीं होगा

इस दिशा में ईंट, पत्थर, चुना, बजरी, लोहा, सीमेंट, टाइल्स, आदि वस्तुए भी न रखें। पानी को छोड़कर सारी निर्माण सामग्री रखने से जल्द कार्य पूरा होता हैं

भवन के निर्माण से पहले ही भूखंड के चारों और दीवारे न बनवाये ऐसा करने से निर्माण कार्य ठंडा पड़ जाता हैं

निर्माण सामग्री की सुरक्षा के लिए केवल दक्षिण दिशा तथा पश्चिम दिशा में दिवार कड़ी करने का विधान हैं। शेष दिशाओ में दीवारे भवन निर्माण पूर्ण होने के बाद ही बनवाये

भूखंड खरीदते ही भवन निर्माण का कार्य फ़ौरन शुरू नहीं कर देना चाहिए। निर्माण कार्य शुरू करने से पूर्व उत्तर का मध्य निकालना आवश्यक हैं

अधिक से अधिक चुम्बकीय कम्पास चुंबकीय उत्तर दिशा की डिग्री निकाले

भूखंड की मिटटी को समतल जरूर करे

भवन बनाने से पहले जमीं की चारों दिशाओं व चरों उप दिशाओं व चारो उप दिशाओं के कोणो को भी वास्तु के नियमो के अनुकूल ठीक कर लेना चाहिए। चरों उपदिशाएं परस्पर आमने सामने होनी चाहिए इनकी मिलान पर भूखंड का मध्य होना चाहिए

मध्य स्थल को हमेशा भार मुक्त रखें

ब्रह्मस्थल का स्वरुप पिरामिड जैसा बनवाये

भूखंड में कहीं भी गद्दे नहीं होने चाहिए

भूखंड पर अगर बड़े पेड़ हैं, कांटेदार झाड़ियां हैं तो निर्माण कार्य शुरू करने से पहले ही इन्हें खुदवा दें वरना भवन निर्माण कार्य समय से पूरा नहीं होता हैं

दरवाजा कभी भी बिच में नहीं रखे। इससे कूल का नाश होता हैं।

दरवाजा अपने आप खुलना व बंद नहीं होना चाहिए। यह वास्तुदोष होता हैं। जो किसी दुर्घटना की और इशारा करता हैं।

वास्तु सम्मत तरीके से फर्श का निर्माण करें वर्तमान महानगरीय संस्कृति में गांवों के अनुरूप फर्श बनाना तो संभव नहीं हैं, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर वास्तु सम्मत फर्श बनाया जा सकता हैं

फर्श बनाने का एक वास्तु सिद्धांत यह है की फर्श में ऊष्मा एवं ऊर्जा को संचारित संचालित करने की क्षमता कम से कम होनी चाहिए

दक्षिण पूर्व, दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम में अत्यधिक चमकते फर्श जो किसी भी रूप में हो, नहीं होने चाहिए।
वर्गाकार या आयत कार कामे में लम्बाई व चौड़ाई के हिसाब से फर्श के लिए पत्थर के पीस कटवाए
घर के उत्तर, उत्तर पूर्व, पूर्व में चमकते शुभ रहते हैं

किचन में बना प्लेटफार्म काल मैगनेट मार्बल शीशे का प्रतिबिम्ब दें, उसे न लगाए।

फर्श पर पत्थर लगाने से पहले इस बात का ध्यान रखें की ये ज्यादा गहरे रंग के न हो

हलके रंगों के टाइल्स बेहतर साबित होते हैं

यह सभी वास्तु टिप्स घर के लिए बहुत ही जरुरी हैं, घर बनाने के लिए वास्तुशास्त्र को मानना चाहिए। ऐसे कई लोग हैं जो की वास्तुशास्त्र को नज़रंदाज़ करते हैं लेकिन उनके नजरअंदाज करने से वास्तु दोष नहीं टल जाता, उन्हें इसके नुकसान भोगने ही पढ़ते हैं Indian ancient vastushastra tips fo home construction, bedroom, toilet, room etc। 400 Vastu tips for home in Hindi language अर्थात नया माकन बनवाने से पहले या किसी बना हुआ मकान का वास्तु देखने के लिए किसी योग्य ग्यानी पुरुष पंडित आदि को बुलाकर इस बारे में विचार करे, हमारी माने तो एक नहीं 2-3 पंडितों को अलग अलग दिन बुलाकर उनकी राय लें। क्योंकि सभी पंडितों का मत एक नहीं होता हैं। इसलिए सभी के मत लें व जो मत ज्यादा मिले वही कार्य करिये। वास्तु के अनुसार घर कैसे बनाये उपाय घर के लिए वास्तु टिप्स एवं शास्त्र सुझाव

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16 Comments

  1. Gaurav Saxena May 4, 2017
  2. Gaurav Saxena May 4, 2017
    • Ask Your Question May 5, 2017
  3. विरेंद्र सिंह May 10, 2017
    • Ask Your Question May 11, 2017
  4. n.jadhav May 22, 2017
    • Ask Your Question May 22, 2017
      • Bunkar August 26, 2018
  5. pooja mishra June 18, 2017
  6. ranjit thakur June 28, 2017
  7. Krishna February 26, 2018
  8. चुन्नी लाल आसवानी March 31, 2018
  9. Gourav July 11, 2018
  10. Sitaram Singh October 13, 2018
  11. P RAJESH June 19, 2019

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