लोगों का काम है कहना- Shekh Chilli Ki Majedar Kahani in hindi

Sending
User Review
5 (1 vote)

Shekh Chilli Ki Kahani in Hindi

sheikh chilli

शेखचिल्ली और दुबली पतली घोड़ी ।

पढ़िए मजेदार शेख चिल्ली की कहानी – शेखचिल्ली की बीवी जब काफी दिनों बाद भी अपने ससुराल नहीं लौटी तो एक दिन शेख स्वयं अपनी बीवी को लेने उसके मायके पहुंचे। कुछ दिन वहां ठहरने के बाद वे अपनी बीवी के साथ वापस अपने घर के लिए चल पड़े। आते समय शेख एक दुबली-पतली घोड़ी पर सवार थे और उनकी बेगम पैदल चल रहीं थी ।

 “कैसा मूर्ख आदमी है, औरत तो पैदल चल रही है और स्वयं मजे से घोड़ी पर बैठा है, औरत ।” मार्ग में एक राहगीर ने उन्हें देखते हुए कहा । “बेगम! में उतर जाता हूँ, तुम बैठ जाओ ।” शेख ने अपनी बीवी से कहा । बेगम पैदल चलते-चलते थक गई थी, सो झट से घोड़ी पर बैठ गई ।

अब शेख पैदल चल रहे थे। कुछ दूर का सफर तय करने पर उन्हें  कुछ महिलाये मिलीं जो कुए पर पानी भर रहीं थी। उन्होंने शेख को देखकर कहा- “कैसा मूर्ख आदमी है, जो खुद तो पैदल चल रहा है  और….औरत को भी तो शर्म नहीं आती ।

” शेख ने जब ये बात सुनी तो स्वयं भी घोड़ी पर सवार हो गए । अब कमजोर घोड़ी मियां-बीवी के बोझ से दबी जा रही थी और एकदम चलने को तैयार नहीं थी, पर शेख उस पर बराबर चाबुक बरसा रहे थे ।

Story of Shekh Chilli Ki Kahani in Hindi

आगे चलकर उन्हें कुछ राहगीर मिले, उन्होंने शेख को देखकर कहा–“कैसा मूर्ख आदमी है, इतना वजन इस कमजोर घोड़ी पर तो वह चलेगी कैसे और ऊपर से इसे चाबुक से मार रहा है, इसे बिलकुल भी दया नहीं आती ।” 

“बेगम ! नीचे उतारो, दुनिया वाले बिलकुल मूर्ख हैं । यह सुनकर शेख बोले । अब दोनों घोड़ी से उतरकर पैदल चलने लगे । आगे चलकर फिर कुछ लोग मिले । उन्होंने शेख को देखकर कहा—

“केसा मूर्ख है की पैदल चल रहा है, जबकि घोड़ी साथ है ।” 

शेखजी यह सुनकर एकदम भड़क गए और घोड़ी को गिराकर उसके पाँव बांधकर कंधे पर उठाकर चल दिए।  थोड़ी दूर पर कुछ और लोग मिले तथा शेखजी को देखकर हँसते हुए कहने लगे–“देखो जाहिल है लगता है जमात से आया है ।” यह सुनकर शेख को बड़ा गुस्सा आया । उन्होंने घोड़ी को एक दरिया में फेंक दिया और घर लौट आए।

लोगों का काम है कहना, तुम अच्छा करो या बुरा उन्हें तो बस तुम्हारे मजे लेने है, तुमसे मतलब निकलवाना है ।

Read More:

Leave a Reply