Positive Vision
फकीर बायजीद एक रास्ते से गुजरता था उसे चोंट लग गई एक पत्थर से पैर टकरा गया आकाष की तरफ देखकर प्रार्थना कर रहा था | चलते चलते स्मरण कर रहा था प्रभु का चोंट लग गई पैर लहुलुहान हो गया वहीं घुटने टेक कर बैठ गया लेकिन उसकी आंखों से खुषी के आसु बहने लगे | उसके भक्तों ने कहा, यह जरा जरूरत से ज्यादा है जिसकी तुम प्रर्थना करते हो |
वह तुम्हारी इतनी भी फिक्र नहीं करता कि तुम आकाष की तरफ देख रहे हो तो वह कम से कम तुम्हारें पैर को बचाये, उसकों कुछ पडी ही नहीं है तुम खाली आकाष में ही अपनी बातें किये जा रहे हो। यह सब प्रार्थना बेकार है, कोई है ही नही वहां, और अब तुम किसलिए प्रसन्न हो रहे हो ? पैर से खुन बह रहा है
बाईजिद ने कहा – नहीं समझे तुम्हें पता नहीं फांसी हो सकती थी उसने बचा ली, बुराईयां और भूलें तो मैने इतनी की हैं कि आज अगर फांसी भी लगती तो भी कम थी लेकिन पैर में सिर्फ थोडी सी पत्थर की चोंट लगी थोडा सा खुन बहा उसकी बडी क्रपा है प्रार्थना सुन ली गयी, तुम्हें पता नहीं हैं क्या हो सकता था,
मुझे पता हैं क्या हो सकता था प्रार्थना न होती आज बचाने को तो फांसी हो सकती थी। प्रार्थना ने छाते की तरह ढांक लिया बचा लिया जरा सी चोंट लगी बच गये धन्यवाद न दूं प्रसन्नता से न नांचु ????
अगर देखने की द्रष्टि विधायक हो तो तुम शिकायत में से भी धन्यवाद खोज लोगें। देखने की द्रष्टि निषेधात्मक होतो तुम अहोभाव से भी शिकायत खोज लोगे। यह तुम पर निर्भर हैं स्वर्ग तुम्हारी द्रष्टि है नरक तुम्हारी द्रष्टि है।
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