अपनी क्षमता को बढ़ाने का एक नुस्खा – बड़ी सफलता के लिए बड़ा कदम

हम सभी किताबे पढ़ते है और फिल्मे देखते है। यह हम सबकी सही आदत है लेकिन अपनी क्षमता को बहुत अधिक बढ़ाना है या यु कह लीजिये की अपने अंदर की छिपी हुई क्षमता को जाग्रत करना है तो हमे अपने काम को कुछ हटकर करना होगा। आपने देखा होगा की जिसे आंखों से दिखाई नहीं देता, उसके स्पर्श करने की क्षमता, उसके महसूस करने की क्षमता से बहुत अधिक बढ़ जाती है।

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सर आप उलटा बोल गए। जब उसने मुझसे यह कहा, तो मेरा यह पूछना बनता ही था की “कैसे” मैने उल्टा क्या कहा है। उसने अपनी सफाई पेश की सर आपने कहा की तुम लोगों को किताब को देखना चाहिए और फिल्म को पढ़ना चाहिए। क्या यह उल्टा नहीं है?

में उस नौजवान की परेशानी को समझ रहा था। वह अपनी जगह पर बिलकुल सही था, सोलहआने सही, लेकिन में भी गलत नहीं था तो फिर यहां समस्या यह पैदा होती है की एक दूसरे के विपरीत बात कहने वाले दो लोग एक साथ ही साथ सही कैसे हो सकते है। आइये इसे समझते है और इसे समझकर फायदा भी उठाते है।

हम सभी किताबो को पढ़ते है और फिल्मो को देखते है यह हम सबकी आदत है और सही आदत है, लेकिन यदि हमें अपनी क्षमता को बहुत अधिक बढ़ाना है यह यूं कह लीजिये की अपने अंदर की छिपी हुई क्षमता को जाग्रत करना है तो हमे अपने काम को कुछ हटकर करना होगा आपने देखा होगा की जिसकी आंखों से दिखाई नहीं देता उसके स्पर्श करने की क्षमता, उसके महसूस करने की क्षमता बहुत अधिक बढ़ जाती है।

वह बहुत हलकी सी आवाज को भी सुन लेता है इसका कारण यही होता है की वह अपनी न देख पाने की कमी को इस तरह पूरा कर लेता है आप एक बार करके देखिये आप किसी पुस्तक को धीरे-धीरे पढ़िए और पढ़ते समय अपनी आंखों के सामने पड़े हुए के अनुसार दृश्य लाने शुरू कर दीजिये।

इससे आपको उस पुस्तक को पूरा करने में वक्त तो थोड़ा ज्यादा जरूर लगेगा। लेकिन इसके बदले में आपको दो जबरदस्त फायदे होंगे पहला फायदा यह होगा की पढ़ने में आपको मजा आएगा वैसे तो ज्यादातर लोगों को पढ़ना एक नीरस और उबाव काम लगता है।

लेकिन आपको आनंद मिलने लगेगा दूसरा लाभ यह होगा की इस तरह से पढ़ी हुई बाते आपके दिमाग में ज्यादा अच्छे तरह से दर्ज होंगी और ज्यादा समय तक दिमाग में बनी भी रहेंगी।

विज्ञानं का भी नियम तो यही है न की जब दो विरोधी वस्तुए मिलती है तो उनसे एक नई तीसरी चीज बनती है और उनकी क्षमता बढ़ जाती है विद्युत के धनात्मक और ऋणात्मक आवेश मिलकर ही तो आकाश में बिजली की चमक पैदा करते है और भयानक किस्म की गढ़-गढ़ाहट भी।

यह चमक और यह गड़गड़हट ही वह ऊर्जा है जो अब तक सोइ हुई थी, छिपी थी। हजारो सफल लोगों के जीवन हमे बताते है की सफलता किसी की बपौती नहीं होती है, धन और संपत्ति का तो हस्तांतरण किया जा सकता है लेकिन सफलता का नहीं। इस सफलता को हमे हासिल करना पड़ता है और अपने अंदर मौजूद संभावना का इस्तेमाल करके ही हम इसे प्राप्त कर सकते है। मेरी बात पर विश्वास कीजिये, आप एक शुरूआत तो कीजिये फिर देखिये की होता क्या है।

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