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( vote)Leo Tolstoy Short Story
कैसे कहते हो कुछ नहीं
एक युवक बड़ा दुखी होकर टॉलस्टाय के पास आया और दीन स्वर में बोला, ‘में इस समय बड़ी दुविधा में हूँ । मेरे पास फूटी कौड़ी तक नहीं है, आप कुछ मदद करें ।
‘टॉलस्टाय उसकी बात को सुनकर कुछ देर सोचते रहे, फिर बोले, ‘मेरा एक दोस्त है जो अंगो का व्यापर करता है। तुम एक काम करो 20 हजार में उसे अपनी दोनों आँखें बेंच दो ।’
‘हरगिज नहीं । आँखे देखने के काम आती हैं, इन्हें बेच दूंगा तो में देखूंगा कैसे । नहीं, में आँखे नहीं बेच सकता । युवक घबराता-सा बोला ‘अच्छा, तो इस हाथों को ही बेच दो । वह तुम्हें इनकी कीमत 15 हजार तो दे ही देगा ।’ टॉलस्टाय ने कहा । युवक ने साफ़ मना कर दिया । बोला, ‘ आपसे मुझे ऐसी आशा नहीं थी ।’
टॉलस्टाय बोले, ‘में तुम्हारी परेशानी को समझता हूँ । इसीलिए कह रहा हूँ, तुम्हारे लिए यह सौदा लाभकारी रहेगा । यदि तुम धनवान बनना चाहते हो, एक लाख में अपना यह शरीर बेच डालो । हमेशा-हमेशा के लिए तकलीफों से छुटकारा मिल जाएगा ।
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आप एक लाख की बात करते हैं, में एक करोड़ में भी यह शरीर नहीं बेचूंगा ।’ युवक तल्ख़ स्वर में बोला । तब टॉलस्टाय मुस्कराते हुए बोले, ‘जो व्यक्ति एक करोड़ में भी अपना जिस्म बेचने को तैयार न हो, वह कैसे कहता है की उसके पास कुछ भी नहीं है । अरे, भाई यह शरीर अमूल्य है । परिश्रम करो, सफलता अवश्य मिलेगी ।’
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It is a good story for writing project