यह कहानी moral kids story in Hindi शिक्षा देगी की हमे हमेशा दूसरों की बुराइयों नहीं देखनी चाहिए। पहले खुद के अंदर के दोष देखने चाहिए।
एक महात्मा साधना में लीन रहते थे। एक दिन एक लड़का उनके पास आया वह उनका चेला बनना चाहता था। इसलिए महात्मा ने उसे अपना चेला बना लिया। लड़का बहुत ही चंचल स्वाभाव का था। ज्ञान और ध्यान में उसका मन नहीं लगता था। दिनभर आने-जाने वालों से बाते करने और मस्त रहने में ही उसका समय व्यतीत (निकलता) था। महात्मा ने कई बार उसे समझाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माना और हर बार महात्मा उसे समझाने में असफल रहते।
दुनिया चमत्कार को नमस्कार करती है, यह सोचकर एक दिन चेला महात्मा से बोले, मुझे कोई चमत्कार सीखा दीजिये। महात्मा ने कहा बेटे, चमत्कार किसी काम का नहीं होता। चमत्कार से एक बार भले ही व्यक्ति प्रसिद्धि पा ले, लेकिन अंत में उसका परिणाम अच्छा नहीं होता।
महात्मा ने उसे बहुत समझाया लेकिन चेला उसकी बात पर अड़ा रहा, और जिद करता रहा। आखिरकार महात्मा जी ने उसे एक पारदर्शी चमत्कारी डंडा दिया और बोले, “लो चमत्कार!! इस डंडे को तुम जिस किसी के सीने के सामने करोगे तो उस व्यक्ति के दोष इसमें प्रकट हो जायेंगे।
चेला चंचल स्वभाव का था ही, वह आश्रम में आने जाने वाले लोगों के सीने के सामने उस डंडे को घुमा देता। ऐसा करने से वह डंडा उन लोगों की बुराइयां, कमजोरियां को दिखाने लगता और फिर वह चेला उन लोगों की बुराइयों के बारे में सभी लोगों को बताता और उनको भला बुरा कहता, इससे लोग शर्मिंदा हो जाते।
इससे परेशान होकर कुछ व्यक्ति महात्मा जी के पास पहुंचे और उनसे निवेदन किया, महात्मा जी आपने चेले के हाथ में डंडा क्या थमा दिया, वह हमारे दोष ही देखता रहता है। महात्मा ने उन लोगों की बाते सुनी और उनसे वादा किया की वह इसके लिए जरूर कुछ करेंगे।
एक दिन महात्मा जी सो रहे थे। चेले के मन में आया की में आज क्यों न महात्मा जी के ही दोष देख लू। यह विचार करके उसने महात्मा जी के सीने के सामने डंडा कर दिया। महात्मा जी के भीतर क्रोध, अभिमान, माया लोभ के हल्के-हल्के से अंश दिखाई देने लगे।
अगले दिन सुबह वह चेला महात्मा जी को नमस्कार करके बोलै, में जा रहा हूँ। में आपको दोष रहित मानता था, और सोचता था की आप में किसी भी तरह का दोष नहीं है, लेकिन आपमें तो कई दोष है। ऐसी स्थिति में आपके साथ रहकर क्या करूँगा।
महात्मा जी ने कहा, चेले तुम्हारी बात बिलकुल ठीक है की में दोषमुक्त नहीं हूँ। लेकिन विश्वास कर की में इन दोषो को दूर करने की कोशिश में लगा हूँ। तुम जाना चाहते हो तो ख़ुशी से जाओ पर जाने से पहले एक बार यह डंडा अपने सीने की तरह भी कर लो ताकि तुम्हे अपने दोष भी मालुम हो जाए और तुम्हे पता चल जाए की तुम्हारे अंदर लोभ, अभिमान, वासना और जाने क्या-क्या ढेरों दोष है।
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उसने ठीक वैसे ही किया और अपने दोष देखकर वह महात्मा जी के पैरों में गिर पड़ा, रोते हुए वह महात्मा जी से माफ़ी मांगने लगा, और उसने महात्मा जी से कहा आज से में दूसरों के दोष देखने से पहले अपने दोष देखा करूँगा।
यह kids story in hindi with moral कहानी बहुत बड़ी सीख देती है, पहली तो की हमे दूसरों की बुराइयों और कमजोरियों को देखने से पहले अपनी बुराइयां और कमजोरिया भी देखना चाहिए। और दूसरी सीख है हमेशा दूसरे व्यक्ति के दोष ही नहीं उनके गुणों को भी देखना चाहिए। हर एक व्यक्ति में कुछ अच्छे और कुछ बुरे गुण होते है। इसलिए सकारात्मक बने और दूसरे व्यक्ति और अपने में नकारात्मक चीजों को न देखते हुए सकारात्मक चीजों की और देखने का प्रयास करे।