कब्ज रोग के बारे में इन हिंदी – देश की 14 प्रतिशत शहरी आबादी गंभीर रूप से कब्ज की बीमारी से पीड़ित हैं। कब्ज मल साफ़ नहीं होने की समस्या का नाम हैं। कभी कभार कब्ज होना आम बात है लेकिन यही समस्या पिछले तीन महीनों से जारी हो तो असाध्य कब्ज की शिकायत हो जाती हैं। इसी से समस्या के गंभीर होने का भी संकेत मिलता हैं। कब्ज के कारण जहां से मल शरीर को छोड़ता हैं वहां सबसे ज्यादा तकलीफ होती हैं।
कब्ज का रोग – कब्ज शरीर कितना खराब कर देता हैं
- हैमरॉयड्स
कब्ज होने के कारण मल सख्त हो जाता है और इसे शरीर से बाहर निकालने के लिए जो लगाना पढता हैं। इसकी वजह से मलद्वार और गुदा की नसें फूल जाती हैं। इन्ही फूली हुई नसों को पाइल्स या हेमरॉइड्स कहा जाता हैं। यह मलद्वार के आसपास वेरिकोस वेइन्स की तरह होती हैं। कभी ये मलद्वार से बाहर निकल आती हैं। तो कभी ये अंदर ही रहते हुए फूल जाती हैं।
इन फूली हुई नसों में खुजली होती है और दर्द भी बहुत होता है। कई बार फूली हुई नसें कब्ज के कारण सुख कर सख्त हो चुके मल से रगड़ खाकर छील जाती हैं जिससे खून निकलने लगता है। कई बार रक्त फूली हुई नसों के इर्द गिर्द जमा हो जाता है जिससे बहुत दर्दनाक और सख्त गोला बन जाता है। इसके वजह से स्किन टैग्स हो जाते है साथ ही ब्लड क्लॉट और संक्रमण भी हो जाते हैं।
- एनल फिशर्स
सख्त मल को बाहर निकालने की कोशिश में शरीर को जो जोर लगाना पड़ता है उससे गुदा के आसपास की डिशटूज को एनल फिशर्स कहा जाता है। इसकी वजह से खुजली चलती है और खून निकलने लगता हैं। चूँकि एनल फिशर्स की वजह से मरीज मल त्यागने से जी चुराता हैं। इसलिए कब्ज और दुखदाई हो जाती हैं।
ऐसा कई बच्चों में भी होता है, की मल त्यागने से रेक्टम में दर्द होगा वे यह सोचकर मल को रोक कर बैठ जाते हैं। यद्पि चिर जाने का घाव बहुत छोटा होता है लेकिन कई बार यह बड़ा होकर एनस की रिंग मसल्स को भी प्रभावित कर देता है। यह मांसपेशि अनस को हमेशा बंद करके रखती हैं।
मल त्याग की जरुरत के वक्त ही खुलती है। इस तरह के एनल फिशर्स को ठीक करना मुश्किल होता है। कई बार ठीक करने के लिए मरीज की सर्जरी की जाती हैं। अगर एक के बाद एक एनल फिशर हो गया तो जल्द ही दूसरे फिशर्स भी जाते हैं।
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- इम्पेक्शन
जब मल शरीर से बाहर नहीं निकल पाता हैं तो वह आंतों में चिपकना शुरू कर देता हैं। इस तरह सख्त होकर एक बड़ा गोला बन जाता हैं जो ब्लॉकेज कर देता है। आमतौर पर निचली आंतों की मांसपेशियां मल को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ती हैं और फैलती हैं। लेकिन इस सख्त और बड़े गोले को शरीर बाहर नहीं निकाल पाता। इसकी वजह से दर्द होता है और उल्टियां होती हैं। बच्चों और बुजुर्गों में यह समस्या आम है।
- रेक्टल प्रोलेप्स
बड़ी आंत का अंतिम हिस्सा जो एनस पर ख़त्म होता है वह रेक्टम कहलाता हैं। जब आप लगातार मल त्याग करने में जोर लगाते है तो यह फैलकर शरीर से बाहर फिसल जाता हैं। कभी-कभी रेक्टम का कुछ हिस्सा ही बाहर आता है पर कभी-कभी पूरा हिस्सा ही बाहर आ जाता हैं। इसमें दर्द भी बहुत होता हैं और खून बहने का कारण भी बनता हैं।
- क्या हैं इलाज
आमतौर पर कोलोरेक्टल सर्जरी से इन सभी समस्याओं का इलाज होता हैं लेकिन कुछ मरीजों में अपनी लाइफ स्टाइल चेंज करके ही फायदा हो जाता हैं। कब्ज के मरीजों को फाइबर फूड्स खाना चाहिए ताकि पेट में मल न सूखे। मांसाहार का त्याग करना चाहिए और खूब पानी पिटे रहना चाहिए।
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kabj se rahat pane ka koi tarika bataye
Rojana subah uthne ke baad khaali pet gau mutra ka sevan kariye yaa fir raat ko sone se pahle triphala churna lijiye.