मुल्ला नसरुद्दीन के खयालिक पूलाव – Funny Story of Mulla Nasruddin

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Mulla Nasruddi Stories in Hindi

मूल्ला के खयालिक पूलाव

mulla nasruddin kahani

Mulla nasruddin story in Hindi – एक बार अपने गधे पर सवार  मुल्ला नसरुद्दीन कहीं चला जा रहा था। कहाँ जा रहा था यह उसे खुद पता नहीं था। वह गधे की पीठ पर बैठा खयालिक पूलाव पका रहा था।

मैं चार दुकाने खरीदुंगा एक कुम्हार की, एक जीन साज की, एक दर्जी की, एक मोची की। हर दुकान में दो कारीगर रखुंगा- बस ! अपना काम तो सिर्फ पैसा बटोरना- बस फिर साल-दो-साल में रईस बन जाऊंगा – मकान ? हाँ मकान भी तो खरीदूंगा।

आह! उसमे एक बाग भी होगा। बाग में फव्वारे होंगे, पेड होंगे, पौधे होंगे, पेडों पर पिंजरें लटके होंगे, जिनमे चिडियां चह-चहा रही होंगी- शादी ? अरे हाँ भाई शादी भी करूंगा। ज्यादा नहीं बस दो शादीयां करूगा। हर बीवी से तीन या चार बार लडके हों
गे। वाह मजा आ जायेगा। फिर उनकी शादीयां………

अपने ही विचारों में गुम मुल्ला नसरुद्दीन को दिन में दिन-दुनिया की कोई खबर ही नहीं थी, उसका गधा किस ओर जा रहा था, इसका भी उसे कोई ईल्म नहीं था। वह तो बस अपने खयालों की दुनिया में खोया हुआ था। उसका गधा भी मालिक को लापरवाह जानकर अपनी बदकारी पर उतर आया था। सामने ही एक छोटी सी खाई पर पूल बना था।

मगर वह शैतान पूल पर न जाकर दाईं ओर मुड गया। उसका ईरादा छलांग लगाकर खायी पार करने का था। और ऐसा ही उसने किया भी। उसने अपनी चाल और तेज की और दोडकर छलांग लगा दी। Mulla Nasruddin Ki Kahani.

उधर मूल्ला नसरूद्दीन अपने लडकों के खयालों में उलझा हुआ था। जब लडके बडे हो जायेंगे तो मैं उन्हें बुलाकर …..अरे! यह मैं हवा में क्यों उडा जा रहा हूं- या खुदा मेरे शरीर में पंख लग गये क्या? लेकिन  नहीं ऐसा कुछ नहीं था, इसका अहसास उसे तब हुआ जब वह बंदूक की गोली की भांति धरती पर आकर गिरा।

उसके हलख से एक तेज चीख निकल पडी। उसकी आखों के सामने सीतारे से गिरकर रह गये।
जल्द ही उसे वास्तविकता का अहसास हो गया।

और फिर धूल और गर्द से भरा कराहता हुआ जब वह उठा तो उसका गधा दोस्ताना अंदाज में कान हिलाता हुआ उसके करीब आकर खडा हो गया। दुनिया भर की मासुमियत उसके चेहरे पर झलक रही थी। उसने कुछ ऐसे अंदाज में आखें चिमचिमाई मानों अपने मालिक से कहना चाहता हो कि आओ मेरे आका! फिर से मेरी पीठ पर बैठों।

Mulla nasruddin stories – अबे नमक हराम, गुस्ताख मेरे बाप दादाओं के ना मालूम किन गुनाहां की सजा के रूप में तेरा मेरा साथ बना है। या मेरे खुदा! इस लकडबघें।ना जाने मूल्ला नसरूद्दीन उसे कितनी गालियां और देता कि तभी उसकी नजर वहीं एक टुटी हुई दीवार के पास बैठे कुछ लोगो पर पडी और वह खामोश हो गया।

उम्मीद करते है आपको मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी बहुत अच्छी लगी होगी, इसके अलावा हमने और भी कई कहानियां यहाँ पर दी हैं आप उन्हें भी पड़ें.

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