बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियां – Kids Stories Collection in Hindi

Best Kids Stories in Hindi बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानियां

  • मोनू और परी

किसी गाँव में मोनू नाम का एक लड़का रहता था वह बहुत शरारती था। उसे अक्सर औरों को परेशान करने पर बहुत मजा आता। एक दिन तालाब के किनारे उसने एक मेंढक को देखा, मोनू को शरारत सूझी और उसने एक पत्थर उठाकर मेंढक पर दे मारा , बेचारा मेंढक पीड़ा के मारे चिल्लाने लगा लेकिन मोनू को मजा आ रहा था।

जब वह घर जाने लगा तो वह किसी चीज़ से ठोकर खाकर जोर से गिर पडा, उसके पैर में घाव हो गया था। वह कराहता हुआ घर पहुँचा , घरवाले उसकी ये हालत देखकर घबरा गए, उन्होंने तुरंत उसकी मरहमपट्टी की। मोनू बिस्तर पर पड़ा पड़ा कराह रहा था । काफी दिन बीत गये लेकिन मोनू का घाव ठीक होने के बजाय बढ रहा था उसे असहनीय पीड़ा होने लगी । उसे नींद भी नहीं आती रात को भी वह कराहता रहता ।

मोनू की माँ ने एक दिन उसे कहानी सुनाई परियों की, माँ ने बताया किस तरह परी बच्चों की मदद के लिए आती थी । कहानी सुनते सुनते मोनू को नींद आ गयी । सपने में मोनू ने देखा उसके सामने परी खड़ी है वह कहता है “परी रानी ! मेरा घाव ठीक कर दो !” “नहीं मोनू ! तुमने बेजुबान जानवरों को बहुत सताया है उसी का फल है कि तुम्हारा घाव ठीक नहीं हो रहा है।”

“तो क्या मेरा घाव कभी ठीक नहीं होगा ?” “अगर तुम आज के बाद कभी किसी को तंग नहीं करोगे और अपनी गलतियों का प्रायश्चित करोगे तो तुम ठीक हो सकते हो” यह कहकर परी गायब हो गयी । सुबह मोनू की आंख खुली उसे अपना सपना याद था परी की बात उसे अच्छी तरह याद थी। उसने घरवालों से खाना माँगा खुद खाने के लिए नहीं बल्कि जानवरों को खिलाने के लिए ।

मोनू घर के बाहर बैठ गया जो भी जानवर दिखता उसे खाना डालता पुचकारता। उसी दिन से मोनू का घाव ठीक होना शुरू हो गया । मोनू का घाव कुछ दिनों में पूरी तरह ठीक हो गया अब वह सबका दोस्त जो बन गया था।

  • राखी की होशियारी

राखी रामू कुम्हार की बेटी थी। उसके घर में बडी गरीबी थी फ़िर भी वह बडी होशियार थी। वह मन लगाकर पढती और घर के कामों मे भी मदद करती। राखी आठवीं कक्षा में हो गई थी। उसकी एक सहेली थी राधा। दोनों खूब घुल-मिलकर रहती थी।

राखी और राधा दोनों ने ड्राइंग विषय ले रखा था। वे फ़ूल-पत्तियों और पशु-पक्षियों के चित्र बडे सुन्दर बनाती। उनके अध्यापक उन दोनों की बडी प्रशंसा करते। राखी की बडी इच्छा थी कि वह अपने घर की गरीबी दूर करने में अपना योगदान दे सके। लेकिन वह मजबूर थी।

एक दिन दोनों सहेली मेला देखने गई। एक दुकान पर बडे सुन्दर गमले, मर्तबान वगैरह बिक रहे थे। राधा ने एक मर्तबान की कीमत पूछी। दुकानदार ने बताया, “सौ रुपये” इतना महंगा; राखी ने मन ही मन कहा। राधा ने एक तरफ़ रखे मर्तबान की कीमत पूछी तो उसे पता चला कि वो सिर्फ़ बीस रुपये का है।

अबकि बार राखी ने पूछा “चाचाजी, इन दोनों की कीमत में इतना फ़र्क क्यों?” “दिखता नहीं इस पर कलाकारी की हुई है इसलिये महंगा है।” दुकानदार ने बताया। राखी को आइडिया आया कि क्यों ना वह भी अपने पापा के बनाये हुए मिट्टी के बर्तनों पर चित्रकारी करे तो उनकी भी अच्छी कीमत मिल सकती है।

उसने राधा को अपना आइडिया बताया। राखी और राधा ने मिलकर एक दिये को पीले रंग से रंगकर उस पर रंग-बिरंगी फ़ूल पत्तियां बनाई। फ़िर उन्होंने वह दिया को अपने घरवालों से और अपने ड्राइंग टीचर से दिखाया। सबने उनकी सराहना की।

राखी ने अपने मन की बात ड्राइंग टीचर से कही तो उन्होंने कहा “राखी, अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारे द्वारा पेंट किये हुए मिट्टी के बर्तन यदि हाट बाजार में बिके तो तुम्हें इसके लिए अलग से रंग और सामान लाना होगा, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।”

राखी के टीचर ने रंग, ब्रुश वगैरह लाकर राखी को दिए। राखी ने मिट्टी के मटकों, सुराही, दीयों पर सुंदर पेंटिंग करने लगी। उसके पेंट किए हुए मिट्टी के बर्तन अच्छी कीमत पर बिकने लगे। धीरे धीरे राखी ने बिजली से चलने वाला चाक खरीद लिया। वह मिट्टी के खिलौने भी बनाने लगी। उसके खिलौने बडे सुन्दर लगते और हाथों हाथ बिक जाते। इस तरह राखी की होशियारी से उसका घर संपन्नता की और बढ चला।

  • रिंकू सियार का सुधार

चंपक वन में एक रिंकू नामक सियार रहता था। वह बडा ही धूर्त और चालाक था वह अक्सर चंपक वन के जानवरों को अपनी अक्ल से ठगता और परेशान करता रहता था। इस वजह से सब जानवर उससे नफ़रत करते थे। कोई भी उससे बात करना पसंद नहीं करता था पर रिंकू सियार बेशर्म बनकर उनके घर पहुंच जाता और उन्हें अपनी मीठी लच्छेदार बातों में फ़ंसाकर ठग लेता।

धीरे धीरे रिंकू के किस्से पूरे वन में फ़ैल गए। अब सब उससे सावधान रहने लगे। एक दिन रिंकू कहीं जा रहा था तो मीना गिलहरी ने कहा “रिंकू अंकल किसे ठगने चल दिये अब कोई आपकी दी हुई मीठी गोली नहीं खाने वाला” मीना गिलहरी की बात सुनकर सब हंस पडे।

इसी तरह एक दिन रिंकू सियार सोनू हिरन के घर के पास से जा रहा था उसने देखा कि सोनू हिरन समोसे और गुलाब जामुन का नाश्ता कर रहा है उसने सोचा कि अगर वह उसके घर चला जाये तो उसे भी स्वादिष्ट नाश्ता मिल सकता है। लेकिन ये क्या उसे आता देख सोनू हिरन ने झट से अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया। रिंकू सियार को काटो तो खून नहीं।

कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। ना ही तो कोई उससे बात करता ना अपने घर बैठाना। जहां भी कुछ जानवर होते वे उस पर व्यंग्य करने लगते। रिंकू सियार अब घर से बाहर निकलने से भी कतराने लगा। उसे ढंग से नींद भी नहीं आती क्योंकि चंपक वन के जनवरों द्वारा किये हुए व्यंग्य उसे चुभते रहते। वह बेचैन रहने लगा।

एक दिन बल्लू चीता कहीं जा रहा था। उसने देखा कि रिंकू सियार रुआंसा सा अपने घर के दरवाजे पर खडा है। बल्लू चीता उसके पास गया और बोला “रिंकू क्या बात है तुम ऐसे उदास और परेशान से क्यों हो?” “भैय्या बल्लू, अब न तो कोई मुझसे बोलना पसंद करता है ना मिलना जुलना मैं क्या करूं?”

रिंकू सियार ने मायूसी से कहा। बल्लू ने उसे समझाते हुए कहा “रिंकू तुमने उन्हें ठगा है अगर वे तुमसे ऐसा व्यवहार नहीं करते तो तुम्हें अपनी गलती का एहसास नहीं होता”। बल्लू चीते की बात सुनकर रिंकू की आखों में आंसू आ गए वह बोला “हां भाई बल्लू मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है, मैं सुधरना चाहता हूं”।

“तो ठीक है कल से तुम मेरे यहां काम पर आ सकते हो” बल्लू ने उसे समझाते हुए कहा “अगर तुम मेहनत की कमाई खाओगे और शराफ़त से रहोगे तो सभी तुमसे अच्छा बरताव करेंगे।” रिंकू सियार धूर्तता और कपट छोडकर शराफ़त का जीवन बिताने लगा।

चंपक वन के सभी जानवर उसे मेहनत करते देख चकित थे। एक दिन जंगल में सभा हुई तो बल्लू चीते ने सबको संबोधित करते हुए कहा “मैं सभी जानवरों से अपील करता हूं कि वे रिंकू सियार को अपना ले, क्योंकि उसने अब धूर्तता छोड मेहनत करनी शुरु कर दी है” रिंकू सियार ने सबसे रुंधे गले से सबसे माफ़ी मांगी तो सबने उसे गले से लगा लिया।….

भोलू “फटीचर….फटीचर….” कुछ बच्चे भोलू का मज़ाक उड़ा रहे थे, भोलू रुआंसा खड़ा था । “किसी का ऐसे मज़ाक उड़ाते हैं क्या?” अचानक दीपक सर ने कहा जो अचानक क्लास मैं आ गये थे “माफी माँगो इससे” भोलू एक ग़रीब लड़का था पर उसकी माँ उसे पढ़ना लिखाना चाहती थी इसलिए वो ग़रीबी में भी भोलू को अच्छे स्कूल में पढ़ा रही थी।

दीपक सर ने सभी को सवाल हल करने को कहा। सभी सवाल हाल करने लगे। ” अरे भोलू, तुम सवाल हाल क्यों नहीं कर रहे?” साहिल जो भोलू के पास बैठा था उसे सवाल हाल ना करते देख बोला। “मेरे पास पेन नहीं है” “तो मेरा ले लो मेरे पास दो पेन हैं” साहिल ने भोलू को पेन दे दिया। भोलू ने पेन मिलते ही फटाफट सवाल हाल कर दिया।

” शाबाश भोलू, तुमने तो बहुत जल्दी सवाल हल किया, तुम बहुत होनहार हो”। दीपक सर ने भोलू की तारीफ की तो और बच्चे जलभुन गये। इसी प्रकार साहिल अक्सर अपनी चीज़े भोलू के साथ शेयर कर देता था और साहिल के साथी उसे ऐसा करते देख नाक भों सिकॉड़ते थे पर साहिल उनकी परवाह न करता। एक दिन साहिल अपने साथियों के साथ खेल के मैदान में क्रिकेट खेलने गया।

भोलू भी वहाँ मौजूद था। “भोलू, तुम भी हमारे साथ खेलोगे” साहिल ने भोलू से पूछा। इससे पहले की भोलू कुछ कहता साहिल के साथी चिल्लाए ” हम इसे अपने साथ नहीं खिलाएँगे” भोलू उदास होकर एक तरफ बैठ गया। एकाएक मौसम खराब हो गया और मुसलाधार बारिश आने लगी सभी अपने अपने घरों की तरफ भागे। अचानक साहिल ठोकर खाकर गिर पड़ा और एक पत्थर से जा टकराया।

उसके माथे से खून बहने लगा। साहिल के साथी साहिल को मुसीबत में छोड़कर भाग गये पर भोलू ने आकर साहिल को सहारा देकर उठाया और अपने घर ले गया। ” माँ ये साहिल है जो मेरी बड़ी मदद करता है, बेचारा गिर गया” भोलू की माँ ने साहिल के कपड़े बदलवाए। ” अरे इसके माथे से खून बह रहा है में अभी डॉक्टर साहब को बुलाती हूँ” भोलू की माँ डॉक्टर को बुला लाई।

डॉक्टर ने भोलू की मरहम पट्टी की। ” अगर समय रहते पट्टी न कराई होती तो हालत गंभीर हो सकती थी” डॉक्टर साहब बोले। बारिश रुकने पर भोलू साहिल के पापा को बुला लाया। साहिल के पापा को जब सब पता चला तो उन्होने भोलू की पीठ थपथपाते हुए कहा, “शाबाश! भोलू, आज तुम्हारी वजह से ही हमारा बेटा सुरक्षित हो, तुम साहिल के सच्चे मित्र हो।

मुझे तुम पर गर्व है, आज से तुम्हे किसी चीज़ की कोई कमी या दिक्कत नहीं होगी, यह तुम्हारा इनाम है तुम्हारा सब खर्चा में ऊठाऊण्घा ताकि तुम एक काबिल नागरिक बन सको”। भोलू की माँ की आँखों में खुशी के आँसू थे।

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