में अकेला मुर्गा – Tenaliraman Ki Majedar Kahani

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तेनालीराम की कहानियाँ

tenali ramana stories

अकेला मुर्गा….

एक दिन राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम के उपहास के लिए अन्य लोगों के साथ मिलकर एक योजना बनाई। योजना के हिसाब से सभी ने अपने जेबो में एक-एक अंडा रख लिया ।

जब तेनालीराम आए तो कृष्णदेव राय बोले, तेनालीराम इस हौज में कूदने पर एक अंडा मिलता हैं। हम सभी इसमें कूदेंगे ओर अंडा लेकर आएंगे। तुम भी कूदना

बारी-बारी करके सभी दरबारी कूदते गए ओर अंडे लाते रहे। आखिरी में तेनालीराम के कूदने की बारी आई। तेनालीराम कूदकर जब बाहर निकले तो खाली हाथ थे  तेनालीराम को खाली हाथ आते देख कर सब उन पर हंसने लगे। सभी को हँसते हुए देख कर तेनालीराम खामोश व् गंभीर हो गए ।

कृष्णदेव राय ने तेनालीराम का मजाक उड़ाते हुए स्वर में कहा, सभी लोग एक-एक अंडा ढूंढ लाए । लेकिन सिर्फ तुम कुछ नहीं लाए । क्यों, क्या बात है ? हार गए न ।

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कृष्णदेव राय की बात सुनते ही तेनालीराम ने, फटाक से उत्तर दिया, यह बात नहीं है, हुजूर ! तेनालीराम ने बड़े सहज स्वर में कहा, बात यह है की में ही एक अकेला मुर्गा हूँ ।

जो मुर्गियां थी, वे ही तो अंडे दे सकती थी । इतनी मुर्गियों ने मेरी बदौलत अंडे दिए है । कृष्णदेव राय ठहाका लगाकर हंस पड़े ओर विरोधी मूह लटकाकर रह गए ।

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